- सी एम पपनैं
रानीखेत. ‘क्रिएटिव उत्तराखंड-म्योर पहाड़’ द्वारा आयोजित तथा सांस्कृतिक समिति रानीखेत एवं छावनी परिषद द्वारा रानीखेत के बहुउद्देशीय भवन में 10, 11 और 12 मई को आयोजित नौवां ‘रानीखेत किताब कौतिक’ स्कूली बच्चों व स्थानीय जनमानस के मध्य प्रेरणादायी छाप छोड़ संपन्न हुआ.
प्राकृतिक सुषमा की दृष्टि से सदा सैलानियों को आकर्षित करता रहा उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल के सु-विख्यात पयर्टन नगर रानीखेत में आयोजित किए गए ‘रानीखेत किताब कौतिक’ का आयोजन बड़े स्तर पर आयोजित किया गया. 10 मई को रानीखेत तथा क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों में अलग-अलग कैरियर से संबंधित ज्ञान वर्धक कार्यक्रम आयोजित किए गए.
11 मई को छावनी परिषद के बहुउद्देशीय भवन में ‘रानीखेत किताब कौतिक’ का भव्य श्रीगणेश मुख्य अतिथि कुमाऊं रेजीमेंट मुख्यालय कमांडेंट संजय यादव द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर व चिल्ड्रंस अकादमी सौनी द्वारा स्वागत गीत तथा जीजीआईसी रानीखेत की बालिकाओं द्वारा कर्ण प्रिय सरस्वती वन्दना से किया गया. आयोजित किताब कौतिक मुख्य कार्यक्रम की अध्यक्षता छावनी परिषद सीओ कृणाल रोहिल्ला द्वारा की गई. विशिष्ट अतिथि के तौर पर सेवानिवृत ले.जनरल डॉ.मोहन चंद्र भंडारी की उपस्थिति मुख्य रही.
आयोजन मुख्य अतिथि मुख्यालय कमांडेंट संजय यादव द्वारा किताब कौतिक पुस्तक स्टालों में पहुंच कर विभिन्न प्रकाशकों की सजी किताबों का अवलोकन किया गया तथा हस्तशिल्पियों के स्टालों का अवलोकन कर जानकारी हासिल की गई.
आयोजित आयोजन में अंचल व देश के नामी प्रकाशको की हजारों किताबों के साथ-साथ कुमाऊं उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाते हस्त निर्मित विभिन्न कलाकृतियों के स्टाल भी लगाए गए थे. अंचल के सु-विख्यात चीड़ बगट हस्त शिल्पी भुवन चंद्र साह तथा विशन दत्त जोशी ‘शैलेश’ की कुमाऊनी संस्कृत रामायण सहित अनेक किताबें आकर्षण का केंद्र रही. द्वाराहाट की मंजू साह द्वारा पिरुल पर किए गए हस्त शिल्प ने भी दर्शकों को अत्यधिक प्रभावित किया.
सुप्रसिद्ध लेखकों से परिसंवाद, पुस्तक विमोचन, सैन्य परंपरा, कृषि बागवानी, हिन्दी साहित्य में कविता विधा सहित अनेक साहित्यिक एवं सामयिक विषयों पर परिचर्चा, कवि सम्मेलन के साथ-साथ नेचर वाक, स्टार गेजिंग, बाल प्रहरी लेखन कार्यशाला, सांस्कृतिक संध्या, स्कूली बच्चों के लिए गतिविधियां, स्वयं सहायता समूहों व हस्त-शिल्पियों के स्टाल के बीच दर्जनों प्रकाशकों की हजारों पुस्तकों की उपलब्धता ने कौतिक देखने आए जनमानस व खासकर स्कूली बच्चों को एक नया आयाम दिया.
आयोजित किताब कौतिक में हजारों लोगों ने शिरकत कर मेले की रौनक बढ़ा, हजारों किताबों का अवलोकन कर अपने पसंदीदा लेखकों व विषयों की करीब पांच हजार किताबों की खरीद फरोख्त की गई. आयोजित किताब कौतिक में बाल साहित्य, विज्ञान, पर्यटन, राजनीति, लोक संस्कृति, आध्यात्मिक व पौराणिक साहित्य आदि से संबन्धित हर तरह की उपयोगी किताबों की भरमार देखी गई. दर्जनों प्रकाशकों की मौजूदगी ने आयोजित किताब कौतिक की महत्ता को बढ़ाने का काम किया. उदय किरोला जी के निर्देशन में हुई 5 दिवसीय लेखन कार्यशाला (5 से 9 मई) में विभिन्न विद्यालयों के 60 छात्र छात्राओं ने भाग लिया और विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से रचनाशीलता की ओर कदम बढ़ाया.
पिथौरागढ़ से हमरो नेपाली पुस्तकालय, कुमाऊनी मासिक पत्रिका आदलि-कुशलि के होशियार सिंह ज्याला, अल्मोड़ा बाल प्रहरी के संपादक उदय किरोला की ‘पहरु’ कुमाऊनी पत्रिका तथा रानीखेत के उत्साही व जागरुक टिप्पणीकार व प्रसिद्ध व्यवसाई आनंद अग्रवाल के द्वारा आजादी पूर्व के अखबारों व तत्कालीन कालखंड में प्रकाशित महत्त्वपूर्ण खबरों ने कौतिक में आए दर्शकों की जिज्ञासा को बढ़ावा देने का कार्य किया. आयोजित आयोजन में युवाओं की भागीदारी बड़ी संख्या में आंकी गई. बच्चों और युवाओं में पढ़ने लिखने की संस्कृति विकसित करने के उद्देश्य से आयोजित किताब कौतिक ने लोगों को बहुत प्रभावित किया.
आयोजित किए गए तीन दिनी किताब कौतिक में नामी साहित्यकारों एवं लोक कलाकारों, साहित्य प्रेमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ स्थानीय स्कूली छात्र-छात्राओं तथा स्थानीय जनमानस की बड़ी संख्या में प्रभावशाली भागीदारी ने किताब कौतिक आयोजन की सोच को बल प्रदान किया. कई नामी रोजगार संबंधी विचारकों, साहित्यकारों व लोक कलाकारों में मौजूदा दौर के जाने-माने कवि गीत चतुर्वेदी, साहित्यकार भावना पंत, प्रसिद्ध जागर गायिका पद्मश्री बसंती बिष्ट, रजनीश कार्की, पद्मश्री शेखर पाठक, लोकगायिका कमला देवी, लोकगायक दिवान कनवाल तथा घुघुती जागर टीम इत्यादि इत्यादि की उपस्थिति के साथ-साथ भारतीय उद्योग जगत से जुड़े टी सी उप्रेती, जी बी पंत कृषि विश्व विद्यालय पंत नगर के पूर्व कुलपति बी एस बिष्ट, जिम कार्बेट पक्षी विशेषज्ञ राजेश भट्ट, बागवानी के क्षेत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त गोपाल उप्रेती, इतिहासकार प्रो.अनिल जोशी, व्यवसाई अतुल कुमार अग्रवाल, छावनी परिषद मनोनीत सदस्य मोहन नेगी, राजेंद्र पंत, बी एस कडाकोटी, मदन बिष्ट, नरेश डोबरियाल, चारू तिवारी, चंदन डांगी, पुष्पा देवी, हिमांशु उपाध्याय, डॉ.ललित उप्रेती, पी सी तिवारी, दयाल पांडे इत्यादि इत्यादि की प्रभावी उपस्थिति ने आयोजित कौतिक को यादगार बनाया.
सेवानिवृत ले.जनरल मोहन चन्द्र भंडारी द्वारा पहाड़ के लिए सैन्य सेवाओं का आर्थिक और समाजिक योगदान विषय पर प्रोजेक्टर के माध्यम से करियर काउंसलिंग की सैन्य संबंधी जानकारी दी गई. रजनीश कार्की द्वारा बच्चों को करियर काउंसलिंग की रोजगार संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई. रक्षा संपदा निदेशक डॉ. दीर्घ नारायण यादव के साथ उपन्यास एवं कहानी विश्व साहित्य के परिपेक्ष्य विषयक विमल सती द्वारा तथा जाने माने कवि गीत चतुर्वेदी के साथ हेम पंत द्वारा प्रभावशाली परिचर्चा की गई. कृषि और बागवानी के क्षेत्र में गोपाल उप्रेती द्वारा भी परिचर्चा में प्रतिभाग किया गया. चौबीस साल के उत्तराखंड पर पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, दिनेश तिवारी इत्यादि के साथ जगमोहन रौतेला की परिचर्चा प्रासंगिक रही.
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के क्रम में विवेकानंद विद्या मंदिर, रानीखेत इंटर कालेज, आर्मी स्कूल, जी डी बिड़ला स्कूल, वीर शिवा स्कूल इत्यादि इत्यादि द्वारा मनभावन लोकगीत व नृत्य प्रस्तुत किए गए.
बर्डवाचिंग के दौरान जिम कार्बेट के पक्षी विशेषज्ञ रमेश भट्ट के सानिध्य में आयोजको द्वारा आमन्त्रित अतिथियों को रानीखेत की रानीझील और दलमोटी जंगल की सैर करा कर विभिन्न पक्षी प्रजातियों की जानकारी दी गई. दुर्लभ पक्षियों के बावत अवगत कराया गया. रानीखेत की वादी से प्रकृति के नजारे दिखाए गए. पक्षी विशेषज्ञ द्वारा अवगत कराया गया, रानीखेत के इर्द-गिर्द के स्वास्थ वर्धक आभा से परिपूर्ण तथा जलवायु की विविधता से ओतप्रोत घने जंगलों में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां हैं जो पर्यटकों को आकर्षित कर सकती हैं. उक्त रमणीक स्थान पर्यटन और पर्यटकों की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण हैं.
‘किताब कौतिक’ में आयोजित सांस्कृतिक संध्या दिवंगत लोकगायक प्रह्लाद मेहरा को समर्पित की गई. जिसमें लोकगायिका पद्मश्री बसंती बिष्ट, कमला देवी, दिवान कनवाल, बाल कलाकार शिवांशू मेहता, घुघुती जागर टीम इत्यादि द्वारा दिवंगत लोकगायक को स्वरांजली दी गई.
12 मई की सांय ‘रानीखेत किताब कौतिक’ का समापन कवि सम्मेलन आयोजित कर किया गया जिसमें बड़ी संख्या में अंचल के कवियों व कवयित्रीयों द्वारा गंभीर, रोचक व प्रभावशाली कविता पाठ किया गया. किताब कौतिक में आयोजित मुख्य आयोजन सहित, स्कूलों व लोक कलाकारों द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों व कवि सम्मेलन का मंच संचालन आयोजन समिति अध्यक्ष विमल सती द्वारा बखूबी प्रभावशाली अंदाज़ में किया गया.
किताब कौतिक उत्सव समिति द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रतिभाग किए सभी स्कूल अध्यापकों, आमंत्रित लोकगायकों, कवियों तथा गणमान्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.
विख्यात पर्यटन नगर रानीखेत में जिला प्रशासन की मदद के बगैर आयोजित किया गया किताब कौतिक आयोजकों के लिए आर्थिक रूप से चुनौती भरा रहा है. किताब कौतिक मुख्य आयोजक हेम पंत द्वारा कहा गया, स्थानीय लोगों में गजब का उत्साह दिखा. रानीखेत की टीम का सामंजस्य शानदार था. बाहर से आए सभी मेहमान आयोजन से बहुत खुश दिखे.
सर्व विदित है, जीवन में किताबों का महत्व बहुत बड़ा है. किताबें पढ़ कर स्मरण शक्ति, कल्पना शक्ति, ध्यान केन्द्रित करने की शक्ति के साथ-साथ भाषा-कौशल तथा रचनात्मकता में वृद्धि होती है. विचारों में विविधता और परिपक्वता आती है. किताबें जीवन में निर्णय लेने की कला सिखाती हैं. किताबे पढ़ कर समाज का एक अच्छा और जिम्मेदार नागरिक बना जा सकता है. किताबें संघर्ष की सच्ची साथी बन, ज्ञान का संचार कर, हमारे जीवन में गुणात्मक परिवर्तन कर व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक उन्नति तथा मनोरंजन के लिए भी उत्प्रेरक हैं. किताबों का पठन-पाठन कर देश-दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों, विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं के बारे में तरह-तरह की जानकारी, विचार और तथ्यों का ज्ञान हासिल किया जा सकता है. जीवन के विभिन्न चरणों में किताबों से हासिल ज्ञान एक मार्ग दर्शक के रूप में साथ देता नजर आता है. इसीलिए किताबों को सबसे अच्छा मित्र कहा जाता है.
रानीखेत में आयोजित किताब कौतिक में प्रत्यक्ष रूप से स्कूली बच्चों व स्थानीय रहवासियों को आयोजित किताब कौतिक से जो भी प्रेरणादाई ज्ञान मिला, हस्तशिल्प व लोक संस्कृति का समावेश देखने को मिला, प्रत्यक्षदर्शियों में उत्साह के भाव देख कहा जा सकता है न सिर्फ आयोजकों, कौतिक में आए सभी दर्शकों में भी गजब का उत्साह देखने को मिला. आयोजित किताब कौतिक रानीखेत के रहवासियों को एक नया आयाम देता नजर आया.
किताब कौतिक के इस अभिनव प्रयास व प्रयोग के पीछे आयोजकों की सोच रही है एक साथ शिक्षा, साहित्य तथा अंचल की विशिष्ट लोक संस्कृति को आयोजित किताब कौतिक में शामिल कर उक्त विधाओं का संरक्षण व संवर्धन करना तथा अंचल के ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों की ओर सैलानियों का ध्यान आकर्षित कर पर्यटन को बढ़ावा देना. राजनैतिक व प्रशासनिक तौर पर ऐसे बहुउद्देशीय सरोकारों के बावत भले न सोचा जाए, नीति नियोजन न किया जाए, सामाजिक व सांस्कृतिक तौर पर किताब कौतिक जैसे आयोजन के माध्यम से जनजागरण करना एक अच्छी सोच का परिचायक है. ऐसे सरोकार व सोच का निश्चय ही जनमानस सदा स्वागत करेगा अभिनन्दन करेगा. जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण ‘रानीखेत किताब कौतिक’ में देखने को मिला है.