सीमांत जिले पिथौरागढ़ में लिपुलेख से कैलाश पर्वत के दर्शन संभव है. स्थानीय लोगों ने जब चीन सीमा पर बसे ओल्ड लिपुपास की पहाड़ी से कैलाश पर्वत के दर्शन किये. उसके बाद उन्होंने स्थानीय प्रशासन को इसके बारे में बताया. जिसके बाद जिला प्रशासन इस इलाके में धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं की तलाश में जुट गया है.
पिथौरागढ़ राज्य के साथ ही यह पूरे भारत के लिए गौरव की बात है जो भी श्रद्धालु काफी समय से कैलास मानसरोवर यात्रा नहीं होने से मायूस है वे यात्री अब पिथौरागढ़ से ही कैलास दर्शन कर सकते हैं यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है. इससे हमारा सीमांत क्षेत्र पयर्टन के क्षेत्र में आगे बढेगा और जो कैलास मानसरोवर को लेकर पिथौरागढ़ की जो पहचान थी वह दोबारा उसको मिल सकेगी. सरकार और प्रशासन को इस ओर जल्दी से जल्दी ध्यान देना चाहिए ताकि ऐसा रास्ता निकाला जाये कि पिथौरागढ़ से ही कैलास के दर्शन हो सके.
पयर्टन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार के टूरिज्म अधिकारियों की टीम गुंजी, आदि कैलाश और ओम पर्वत पयर्टन स्थलों का दौरा कर चुकी है और इन स्थानों को कैसे पयर्टन के क्षेत्र में विकसित किया जा सकता है उसके लिये विचार विमर्श किया गया. सेना और अन्य सुरक्षा बलों के अधिकारियों के साथ बातचीत की जा रही है. इन सारी बातों पर एक रिपोर्ट तैयार की जायेगी और यह रिपोर्ट प्रशासन को भेजी जायेगी जिससे कि यहां के पयर्टन को और बेहतर किया जा सके.
दरअसल कैलाश पर्वत की यात्रा यानि कैलाश मानसरोवर यात्रा भारत में एक पर्व के रूप में देखी जाती है. यहां लोग बड़े ही उत्साह से यात्रा में शामिल होते हैं. जानकारों का कहना है कि यात्रा का कुछ हिस्सा बेहद संवेदनशील क्षेत्रों से होकर गुजरता है. वहीं दुर्गम पहाड़ इसे और खतरनाक बनाते हैं. लेकिन भगवान भोले की धुनी में रमे भक्त इन सबसे बेपरवाह यात्रा पूरी कर लौटते हैं.