कैसे बनता है कोई समाज, कौन हैं ये लोग?
- डॉ. दीपा चौहान राणा
बिना किसी व्यक्ति विशेष के किसी समाज का निर्माण नहीं हो सकता है. हम मानव ही सभी समाज की नींव हैं. लेकिन इसी समाज में हमें सामाजिक बुराई देखने को मिलती है, एक से एक घिनौनी कुरीतियां तब से
चली आ रही हैं जब से इंसान इस धरती पर पैदा हुआ.कुरीति
उसी कुरीति में से एक है बलात्कार! क्या है बलात्कार?
जब किसी के साथ पूरे बल से उसकी मर्जी के बिना उसकी आत्मा, उसके शरीर तथा उसके अंगों को छुआ या नोचा जाए, वो होता है बलात्कार.कुरीति
ऐसी भी क्या है कि कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ इतने बल का प्रयोग करता है? उसके साथ इतना दानव जैसा व्यवहार करता है. ये एक संवेदनशील विषय है, जिस पर सिर्फ तभी बात
होती है, जब कोई बेटी या महिला इस घटना की शिकार होती है तभी बस बात होती है, उससे पहले कोई बात नहीं? इसके क्या कारण हो सकते हैं कि कोई व्यक्ति इतना घिनौना कैसे हो जाता है? शायद इसके बहुत सारे कारण होंगे.कुरीति
हम हमेशा कहते हैं की इंसान
एक सामाजिक प्राणी है, लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि इंसान एक सामाजिक ही नहीं एक आर्थिक तथा एक शारीरिक प्राणी है. प्रकृति ने इंसान को पूर्ण बनाया है परन्तु हम उस इंसान को हमेशा अधूरा रखने कि कोशिश करते हैं.कुरीति
जब हम इंसान की बात करते है
तो उसमें स्त्री—पुरुष दोनों आते हैं. प्रकृति ने दोनों को अपने सभी साधन देने में कोई भेदभाव नहीं किया, परन्तु हमने हमेशा से ही स्त्री को कमजोर समझा है. एक पितृसत्तात्मक समाज की स्थापना करने की कोशिश की है, जिससे स्त्री को हमेशा दबाया गया और उसका एक वस्तु की तरह इस्तेमाल किया गया.कुरीति
निर्भया के बाद लगा था
कि अब देश बदल गया है, युवा बदल गया, लोगों की सोच बदल गई, लेकिन अफसोस! कुछ नहीं बदला. 2012 और 2020 में कुछ नहीं बदला और ना कभी कुछ बदलेगा. न हम न हमारी सरकारें, न हमारे कानून न, हमारे समाज में इंसान के रूप में घूमते गिद्ध और भेड़िए, जो हर वक्त शिकार ढूंढते रहते हैं.
कुरीति
हमको यदि बलात्कार जैसी घिनौनी बुराई को समाज से हटाना है, तो सबसे पहले हमें स्त्री को बराबर का हक देना होगा. बराबर का मतलब बराबर है तरह से हर चीज में.
तभी एक स्त्री को हम शक्तिशाली बना सकते है वरना नहीं. हमें अपनी शिक्षा में सुधार करना होगा. सेक्स एजुकेशन को शिक्षा ने शामिल करना होगा. रोजगार देने होंगे. कोई भी मजबूत कानून या दंड इस बलात्कार रूपी घिनौनी घटना को होने से नहीं रोक सकता है आखिर ऐसा क्यों है? इस पर गंभीरता के सोचना होगा.कुरीति
निर्भया के बाद लगा था कि अब देश बदल गया है, युवा बदल गया, लोगों की सोच बदल गई, लेकिन अफसोस! कुछ नहीं बदला. 2012 और 2020 में कुछ नहीं बदला
और ना कभी कुछ बदलेगा. न हम न हमारी सरकारें, न हमारे कानून न, हमारे समाज में इंसान के रूप में घूमते गिद्ध और भेड़िए, जो हर वक्त शिकार ढूंढते रहते हैं. गिद्ध तो मरने का इंतजार करते हैं, फिर लाश को नोचते है, लेकिन इंसानी रूपी यह गिद्ध तो जिन्दा इंसान को नोच लेते हैं. मुझे नहीं लगता कि हम लेडीज और हमारी बेटियां कभी सुरक्षित महसूस कर पाएंगे. इसलिए इस संवेदनशील मुद्दे पर इस तरह से बात करनी पड़ रही है.कुरीति
आप और हम सभी
अपने आस—पास नजर रखें, किसी गलती को बढ़ावा न दें. मां बाप को स्वयं पता होता है कि उनके बच्चे कैसे हैं? आप अपने बच्चों को नैतिक शिक्षा का पाठ जरूर पढ़ाए. उन्हें बताएं कि जिस तरह आपकी बहन और बेटी है उसी तरह सभी को देखेंगे तो समस्याएं कम होती चली जाएंगी.
कुरीति
मैं सभी लेडीज से
अपील करती हूं आप खुद और अपनी बेटियों के आत्मरक्षा के गुर सीखाएं ताकि यदि कोई उनको बुरी नजर से देखे तो उसका मुहतोड़ जवाब दे सकें. हमको अपनी बेटियों को फौलादी बनाना होगा ताकि वो हर आने खतरे को भांप कर उसका मुकाबला कर सकें. जिस दिन हमने अपनी बेटियों का लालन—पालन अपने बेटों की तरह करना शुरू कर दिया उस दिन फिर उसके साथ इस तरह के घिनौनी हरकत करने हिम्मत नहीं कर पाएगा.कुरीति
यदि आपके दिमाग के किसी महिला
या लड़की को देखकर गंदे विचार आते हैं आप मानसिक रूप से बीमार हो सकते हैं, फिर आपको इसके लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. यह भी एक तरह की बीमारी ही है और हर बीमारी का इलाज है, बस हमें समझना होगा कि हम मानिसक रूप से बीमार हैं.कुरीति
आप और हम सभी अपने आस—पास
नजर रखें, किसी गलती को बढ़ावा न दें. मां बाप को स्वयं पता होता है कि उनके बच्चे कैसे हैं? आप अपने बच्चों को नैतिक शिक्षा का पाठ जरूर पढ़ाए. उन्हें बताएं कि जिस तरह आपकी बहन और बेटी है उसी तरह सभी को देखेंगे तो समस्याएं कम होती चली जाएंगी.कुरीति
गलत सोच बदलनी होगी.
आप किसी पर अपने विचार नहीं थोप सकते. स्वयं पर नियंत्रण नहीं है और समाज बदलने की बात करते हैं. सबसे पहले हमको अपने स्व से शुरुआत करनी होगी. अपनी बेटियों को भी अच्छी शिक्षा दो. संस्कार बेटों को सिखाना चाहिए कि वह स्त्री से कैसा व्यवहार करें. उन्हें हर मां—बेटी की इज्जत करना सीखाएं. याद करो फूलन देवी की कहानी और उसकी वो बहादुरी और वीरता. सलाम करती हूं मैं उन्हें जिसने 22 बलात्कारियों को एक साथ ही गोलियों से भून दिया था मैं चाहती हूं कि भारत की हर एक बेटी मुसीबत आने पर अपनी सुरक्षा के लिए मां काली का और फूलन देवी जैसा रूप धारण करें.कुरीति
“लुटी है एक बेटी,
लुटेरा है अगर आज़ाद तो अपमान सबका है,
बनो इंसान पहले, छोड़ धर्म और मज़हब की बातें
लड़ो मिलकर दरिंदों से, ये हिन्दोस्तान सबका है!!
(लेखिका राणा क्योर होम्योपैथिक
आप इनसे 7982576595 चीकित्सकीय सलाह ले सकते हैं)