विकास भवन सभागार में प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को संबोधित करते हुए पीपुल्स फॉर एनिमल्स पशु कल्याण संगठन की सदस्य गौरी मौलखी ने कहा कि धार्मिक स्थलों में पशुओं के साथ किसी भी प्रकार से बुरा व्यवहार एवं क्रूरता की जाती है तो यह उत्तराखंड के लिए अच्छी बात नहीं है इसके लिए उन्होंने केदारनाथ यात्रा मार्ग में तैनात किए गए अधिकारियों एवं कर्मचारियों से कहा कि यात्रा मार्ग में संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों के साथ किसी भी प्रकार से कोई पशु क्रूरता न हो इस पर सभी अधिकारी एवं कर्मचारी कड़ी निगरानी रखें तथा यात्रा के दौरान यदि किसी घोड़े-खच्चर के साथ किसी भी प्रकार की कोई क्रूरता की जाती है तो संबंधित घोड़ा-खच्चर स्वामी एवं संचालक के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें.
उन्होंने पशु क्रूरता अधिनियम के संबध में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि धारा-11 में परिभाषित किया गया है कि किसी भी पशु पर अधिक बोझ लादना, विकलांग, घायल, कमजोर, वृद्ध आदि से कार्य किया जाना तथा पोष्टिक आहार व गरम पानी न देना, लगातार कार्य कराना एवं रहने के लिए उचित प्रबंधन न करना पशु क्रूरता है. यदि किसी व्यक्ति द्वारा ऐसा किया जाता है उसके विरुद्ध पशु क्रूरता अधिनियम के तहत त्वरित कार्यवाही की जानी नितांत आवश्यक है.
उन्होंने यह भी कहा कि यात्रा मार्ग में संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों के साथ किसी प्रकार से कोई क्रूरता न हो इस पर सभी अधिकारी एवं कर्मचारी निरंतर कड़ी निगरानी रखें तथा यह भी सुनिश्चित किया जाए कि संबंधित घोड़े-खच्चर स्वामी एवं संचालक द्वारा उन्हें समय-समय पर उचित पौष्टिक आहार एवं पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है कि नहीं इस पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है और किसी भी दशा में यात्रा मार्ग में कमजोर, विकलांग, अनफिट घोड़े-खच्चरों का संचालन न किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि पशुपालन विभाग द्वारा इससे पूर्व घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण कराते हुए स्वस्थ एवं तंदुरुस्त घोड़े-खच्चरों का ही यात्रा मार्ग में संचालन की अनुमति दी जाए जिससे कि यात्रा मार्ग में किसी भी घोड़े-खच्चर की मृत्यु न होने पाए.
इस अवसर पर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष रावत एवं पशु चिकित्सा अधिकारियों सहित यात्रा व्यवस्थाओं हेतु तैनात किए गए अधिकारी, कर्मचारी एवं पुलिस अधिकारी व पुलिस के जवान मौजूद रहे.