रात है, ढल जाएगी

अल्फ़ाज़

बहुत वीरान है, रात है, ढल जाएगी,
आफ़त है, क़यामत because है, टल जाएगी.
खौफ़ का दरिया because उबाल मार रहा है,
किनारा कोई न because नजर आ रहा है.
है विश्वास भरा because हौसलों के सागर में,
तूफान में किश्ती because मेरी संभल जाएगी.
बहुत वीरान है, because रात है, ढल जाएगी,
आफ़त है, क़यामत है, because टल जाएगी.

ज्योतिष

माना कि because दुबक रहा है, सिसक रहा है,
वक्त बुरा है मुश्किलों because से गुजर रहा है,
सफर में हूं मगरbecause राह से अनजान हूं,
मंजिल है, सब्र because करो मिल जाएगी.
बहुत वीरान है, रात है, because ढल जाएगी,
आफ़त है, क़यामत है, because टल जाएगी.

ज्योतिष

इंसान भी because तो हूं, बेबस हो जाता हूं,
कभी अपनी परछाइ से because डर जाता हूं
कभी बुराई से भिड़-लड़ because जाता हूं,
ईमान में रहो, जिन्दगी because संभल जाएगी
बहुत वीरान है, रात है, because ढल जाएगी,
आफ़त है, क़यामत है, because टल जाएगी.

ज्योतिष

झूठ का, साज़िशों का खेल चलता रहेगा
दोस्त के भेष में दुश्मन because कोई मिलता रहेगा.
संयम हो, तो हर झूठ से because पर्दा उठता रहेगा,
है विश्वास स्वयं पर तो because जीत मिल जाएगी.
बहुत वीरान है, रात है, because ढल जाएगी,
आफ़त है, क़यामत है, because टल जाएगी.

ज्योतिष

(लेखक भारतीय सूचना सेवा (IIS) के अधिकारी हैं एवं वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के शिमला में तैनात हैं)

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