मित्रता दिवस : सार्थक कल्पनाओं से दुनिया बेहतरीन दिखती है

नीलम पांडेय ‘नील’, देहरादून

साथी… समाज जिस गतिशीलता के साथ आगे बढ़ रहा है, वहां मित्रता के मायने में कई छुपी हुई महत्वाकांक्षाएं जन्म ले चुकी होती हैं. सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, तकनीकी चुनौतियां हमारे व्यक्तिगत संबंधों पर भारी पड़ रही हैं, किंतु हमें मित्रता की मौलिक अवधारणा को बचाना होगा.

आज तक हमने जितनी भी बातें की होंगी, वहां हम स्वयं के निजी स्वार्थो में बंधे रहे, हमारी मित्रता समय की धारा में बह रही होती है, किंतु समय को समृद्ध करना भी हमारी जिम्मेदारी होती है. समृद्ध समय हमारे हिस्से और हमारी अनगिनत पीढ़ियों के हिस्से में एक भयमुक्त वातावरण तैयार करेगा, जहां मित्रता को ईश्वर के समतुल्य रखा जाएगा. हमारी चाहना में एक समृद्ध मित्रता भविष्य को बदलने की क्षमता रखेगी.

एक दिन धर्म का नाम मित्र होगा. एक दिन समाप्त हो जाएंगे सारे विश्व युद्ध, एक दिन सभी गृह युद्धों का स्वरूप बदल जाएगा. एक दिन विश्व शांति की स्थापना में सभी अपनी चौखटों को खुला छोड़ दूर निकल जायेंगे किसी अनजानी यात्रा में….

क्योंकि उनकी चौखटों की देखभाल उनके निस्वार्थ मित्रों की जिम्मेदारी होगी, एक दिन लोग पुरानी लड़ाइयों को चुटकुलों की तरह याद कर मुस्कराएंगे, एक दिन इतिहास किसी रोचक कहानी की तरह होगा, वहां भूत की वीभत्स तस्वीरें डराएंगी नही. हर आने – जाने वाले पथिक रास्ते में मिलने वाले हर पथिक को गले लगाते हुए,वे वहां छोड़ जायेंगे तमाम यादें, एक दिन विश्व की तमाम धरोहरें हम सबकी होंगी, क्योंकि उनमें अधिकांश कहानियां प्रेम और मित्रता की अनूठी मिसाल होंगी. एक दिन सभी देशों की सीमाएं खुल जाएंगी, एक दिन संसार में मनुष्यता का अपना झंडा होगा जिसके नीचे खड़े लोग एक दूसरे के अभिन्न मित्र होंगे, उन्हें याद नही होगा वे किस जाति, गोत्र, क्षेत्र, अथवा धर्म से हैं, उन्हें याद रहेगा दुनिया में प्रेम है… जो टिका रहना चाहिए.

साथी… तुम्हें यह सोच कर हंसी आ रही होगी, मेरी ये तमाम बातें, मेरी कोरी कल्पना है, किंतु सच तो ये है कि कल्पनाओं से ही विज्ञान के कई अविष्कार हुए हैं, एक वायदा करो साथी… आप भी कुछ ऐसी ही कल्पना करना और शायद आप करते भी होगें… देखना एक दिन सामूहिक कल्पनाओं की शक्ति विश्व मैत्री को सगरमाथा के शीर्ष अथवा चोमोलंगमा के शिखर पर ग्लेशियर्श में पड़ती हुई सुनहरी धूप की असंख्य किरणें… तुम्हारी मुस्कान की तरह खिल उठेगी… कल्पनाओं की उड़ान बहुत ऊंची होती है… सार्थक कल्पनाओं से दुनिया बेहतरीन दिखती है.

(लेखिका कविसाहित्यकार एवं पहाड़ के सवालों को लेकर मुखर रहती हैं)

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