देहरादून: एक तरफ सरकार ड्रग्स फ्री देवभूमि की बात कर रही है तो दूसरी ओर शराब को बढ़ावा दे रही है। शराब भी नशा ही है और इस नशे में लोगोंा की पीढ़ियां तक बर्बाद हो गई। बावजूद सरकार मुनाफा कमाने के चक्कर में अपने ही नागरिरकों को नशे की गर्त में धकलने का काम कर रही है। सवाल यह है कि जब ड्रग्स फ्री देवभूमि की बात हो सकती तो फिर शराब मुक्त देवभूमि क्यों नहीं हो सकती?
प्रदेश में घरेलू बार लाइसेंस जारी किया गया है। इस बार की शराब नीति में व्यवस्था की गई थी। घर के लिए बार लाइसेंस लेने के लिए संबंधित को 12 हजार रुपए लाइसेंस फीस देनी होगी। हर वर्ष लाइसेंस का नवीनीकरण कराना होगा। राज्य सरकार ने ‘होम मिनी बार लाइसेंस नीति’ को मंजूरी दे दी है। कुछ शर्तों के साथ इच्छुक लोगों को होम बार लाइसेंस मिलेगा।
जिला आबकारी अधिकारी राजीव चौहान ने बताया कि अभी तक एक लाइसेंस के लिए आवेदन आया था। इसे जारी कर दिया गया है। एक लाइसेंस पर 50 लीटर शराब देसी विदेशी रखी जा सकती है। सरकार ने ठेकों से शराब को घरों तक पहुंचा दिया। बार का जैसा माहौल जब घर में होगा, तो अंदाजा लगा सकते हैं कि आने वाली पीढ़ी पर क्या असर पड़ेगा।