डॉ. हरीश रौतेला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रहे हैं और अब उन्हें सह क्षेत्र संपर्क प्रमुख बनाया गया है. वह अपनी सरलता, सौम्यता और सादगी के लिए लोकप्रिय है. डॉ हरीश रौतेला का मानना है कि वर्तमान युग पढ़ने का ही नहीं बल्कि शोध का भी युग है. वह कहते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व्यक्ति निर्माण का कार्य करता है. व्यक्ति का निर्माण हो गया तो राष्ट्र का निर्माण हो जाएगा. हरीश रौतेला पर्यावरण सुरक्षा और प्रदूषण मुक्त भारत के स्वप्न को साकार करने में जुटे हैं. उनकी शख्सियत चकाचौंध से दूर रहकर अपने कार्य में जुटे रहने वालों की है.
उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला को वैश्विक बनाने में भी डॉ. हरीश रौतेला का महत्वपूर्ण योगदान है. उन्हें इस लोकपर्व से बेहद लगाव है और वह चाहते हैं कि हरेला से हर व्यक्ति सीख ले और पर्यावरण का संरक्षण करे. डॉ. हरीश रौतेला हरेला पर वृक्षारोपण करते हैं और लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं.
कई साल पहले उन्होंने हरेला पर्व के सप्ताह में 25 लाख पेड़ लगाए और लोगों को भी इसके लिए प्रेरणा दी. उनके ही प्रयासों से अब देश और विदेश में बड़ी तादाद में उत्तराखंड समाज हरेला का त्योहार मनाता है और इस त्योहार से जुड़ा है. वह नई पीढ़ी को भी हरेला से जोड़ने के प्रयास में जुटे रहते हैं. उनके प्रयासों की बदौलत ही 2020 में भी लगभग 50 से ज्यादा देशों में हरेला पर्व मनाया गया.
डॉ. हरीश रौतेला उत्तराखंड के प्रवासियों में शिक्षा की अलख भी जगा रहे हैं. वह हर जगह प्रवासी उत्तराखंडियों को सुपर-10 विद्यार्थी तैयार करने की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि शिक्षा से परिवार, समाज और देश बदलता है. युवाओं को शिक्षित करने से उनका आने वाला कल समृद्ध होगा. इसलिए लोग चाहें कुमाऊं के हो या गढ़वाल के, कुछ ऐसे युवाओं को तैयार करने की जरूरत है जो आगे प्रांत ही नहीं देश का नाम रोशन कर सकें.
डॉ. हरीश रौतेला कहते हैं कि ऐसे युवा तैयार करो जो आगे चलकर उत्तराखंड की पहचान को प्रसारित करेंगे. ये ही युवा आगे चलकर स्वामी विवेकानंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जैसे योग्य व्यक्ति बन सकते हैं. वह कहते हैं कि अच्छी शिक्षा से ही रोजगार का सृजन होता है. आपकी अच्छी शिक्षा होगी तो आप अच्छे स्टार्टअप शुरू कर सकेंगे. उनका मानना है कि साल 2050 तक भारत को सर्वाधिक स्टार्टअप देने वाला देश बनाना है.