नई दिल्ली. ‘अपनी धरोहर’ संस्था द्वारा नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में अपना पहला उत्तराखंडी प्रवासी सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें दिल्ली एनसीआर में सक्रिय प्रमुख संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ हिमालयी सरोकारों और उत्तराखंड की धरोहर से जुड़े विषयों पर संवाद हुआ. बिज़नेस उत्तरायणी, इनक्रेडिबल आर्ट एंड कल्चरल फाउंडेशन तथा लोन सारथी के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों और दिल्ली एनसीआर से जुड़े प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पर्यावरण,कृषि, उद्यानिकी,लोककला,भाषा- बोली,खानपान और परंपरागत हस्त शिल्प आदि के साथ ज्वलंत सामयिक विषयों और समस्याओं पर भी चर्चा की.
सम्मेलन का उद्घाटन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दीप प्रज्वलन और राष्ट्रगीत वंदे मातरम् से हुआ. उत्तराखंडी महिला कलाकारों द्वारा पारंपरिक उत्तराखंडी मांगल गायन और युवा कलाकार जगदीश आगरी द्वारा मशकबीन वादन से अतिथियों का स्वागत किया गया.
अपनी धरोहर संस्था के अध्यक्ष श्री विजय भट्ट के साथ समारोह अध्यक्ष सुप्रसिद्ध उद्योगपति श्री चंद्र बल्लभ टम्टा,मुख्य वक्ता केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के मीडिया सलाहकार और पर्वतीय लोकविकास समिति के अध्यक्ष प्रो. सूर्य प्रकाश सेमवाल और द्वारका उत्तराखंडी उत्तरायणी समिति के अध्यक्ष श्री प्रेम सिंह रावत ने दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया. संस्था द्वारा स्वागत रूप में विशिष्ट अतिथियों को विलुप्त होती काष्ठ कला से युक्त हस्तनिर्मित ठेकियां दी गईं .
अपनी धरोहर के अध्यक्ष श्री विजय भट्ट ने संस्था के कार्यों और उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि स्थानीय कलाकारों और लुप्त होती परंपरागत विधाओं को संरक्षण देने की आवश्यकता है. साथ ही बागेश्वर उत्तरायणी मेले के विकृत होते स्वरूप पर हम सबको चिंता करनी है. स्थानीय स्तर पर जो प्रमुख निर्माण कार्य चल रहे हैं, उन निर्माण कार्यों में स्थानीय स्थापत्य के स्थान पर राज्य से इतर से कार्य करवाना भी चिंताजनक है.
श्री भट्ट ने अपनी धरोहर के इस प्रथम प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन के सफल आयोजन हेतु सबके सहयोग की सराहना की और दिल्ली एनसीआर में प्रो.सूर्य प्रकाश सेमवाल के मार्गदर्शन में शीघ्र अपनी धरोहर की कार्यकारिणी गठित करने की भी घोषणा की. उत्तराखंड राज्य से सर्वाधिक मतों से विजयी होकर केंद्र की राजग सरकार में नवनियुक्त सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री का कार्यभार ग्रहण करने के बाद सबसे पहले पहाड़ के कार्यक्रम में उपस्थित हो रहे श्री अजय टम्टा का समारोह स्थल में पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया.
वरेण्य अतिथि के रूप में श्री अजय टम्टा ने कहा कि अन्य हिमालयी राज्यों ने कई कठिनाइयों के बावजूद भी अपने परम्परागत कार्य पेशे और विधाओं को नहीं छोड़ा, इसके साथ ही वहां के भू-कानून भी व्यावहारिक हैं. इन सब कारणों से चाहे हिमाचल प्रदेश हो या पूर्वोत्तर के हिमालयी राज्य,आज ये सभी समृद्ध हैं जबकि हमारे यहां हमेशा से कृषि से इतर कार्यों नौकरी अथवा व्यवसाय इत्यादि करने हेतु बाहर जाने के संस्कार ही ज्यादा दृढ़ रहे. उत्तराखंड में प्रतिभा की कमी नहीं है बस सब चीजों को ढंग से क्रियान्वित करने की जरूरत है. श्री टम्टा ने आगे कहा कि केवल भाषणों से कुछ नहीं होगा, हम सभी यदि अपने मूल स्थान हेतु ज्यादा से ज्यादा समय देने का मन बना लेंगे तभी कुछ ठोस और सुफल देने वाला काम हो सकेगा.
सम्मेलन के मुख्य वक्ता प्रो. सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और भाषा -बोली का एक व्यापक परिप्रेक्ष्य है. हमारे पुरुषार्थी,पराक्रमी और ईमानदार समाज की एक विश्वसनीय मान्य छवि बनी हुई है. हमें संकीर्ण भाव में न जाकर अपनी लोकसंस्कृति,लोककला और लोकजीवन को बचाने का कार्य करना चाहिए. अपनी धरोहर के विज़न और मिशन को दिल्ली एनसीआर ही नहीं देशभर में विस्तार देने के प्रयास करने की आवश्यकता है. दिल्ली में भी स्थानीय स्तर पर संस्था की कार्यकारिणी का गठन हो,ऐसी अपनी धरोहर के पदाधिकारियों से हमारी अपेक्षा है.
विशिष्ट अतिथि द्वारका उत्तराखंडी उत्तरायणी समिति के अध्यक्ष श्री प्रेम सिंह रावत ने कहा कि अपनी धरोहर संस्था ने उत्तराखंड में कोरोना के समय से बेजोड़ कार्य किया है,हम लोगों दिल्ली में अपनी धरोहर के अभियान को आगे बढ़ाने में अपनी ओर से पूर्ण सहयोग करेंगे.
महिला उद्यमी श्रीमती कविता बिष्ट ने कहा कि पहाड़ के युवाओं को अपनी मातृभूमि,बोली भाषा और अपनी विरासत के प्रति सचेत करने का अपनी धरोहर संस्था का कार्य अत्यंत अभिनंदनीय है. आगामी हरेला पर्व पर हर घर में हम सब पौधा लगाएंगे,आज ये संकल्प भी लेना है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध उद्योगपति श्री चन्द्र बल्लभ टम्टा ने कहा कि पहाड़ की धरोहर बचाने के लिए जंगलों की सुरक्षा,मंदिरों के सौंदर्यीकरण और नदियों की रक्षा के लिए ठोस उपाय आवश्यक हैं. अपनी धरोहर के इस अभियान में मेरा तन,मन और धन से यथाशक्ति सहयोग रहेगा.
अपनी धरोहर संस्था के सचिव एडवोकेट दिवाकर पांडे ने सभी अतिथियों,आगंतुकों और समिति प्रतिनिधियों का स्वागत करने के साथ संस्था द्वारा अब तक किए गए क्रियाकलापों का विस्तृत वृत्त भी प्रस्तुत किया. अपनी धरोहर के सचिव श्री धर्मेंद्र चंद ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से संस्था द्वारा कोरोना के समय से अब तक जारी प्रमुख गतिविधियों के साथ गोल्ज्यू संदेश यात्रा और अब तक के अधिवेशनों को प्रदर्शित किया. इसके उपरांत सम्मेलन में उपस्थित विभिन्न प्रबुद्ध और सजग बुद्धिजीवी समाजसेवियों ने अपने विचार रखे. प्रवासी उत्तराखंडी लोगों में अपने प्रदेश और माटी के प्रति लगाव दिखा और संवाद में प्रतिभागी प्रबुद्धजनों,विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगो ने अपने- अपने सुझाव रखे.
श्री दुर्गा सिंह भंडारी,भूपाल चंद,पत्रकार सीएम पपनै,कवि गिरीश बिष्ट,कवि दिनेश ध्यानी,साहित्यकार रमेश घिल्डियाल,लेखक नीलांबर पांडे, पत्रकार हरीश लखेड़ा और योग विशेषज्ञ डॉ.नवदीप जोशी ने भी अपने विचार रखे.सम्मेलन में ऑनलाइन जुड़कर प्राकृत यूकास्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पन्त ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि तो है ही पर यह समाधान भूमि भी है,स्वामी विवेकानंद सहित कई लोग यहाँ समस्याओं के निवारण के लिए आते रहे हैं . राज्य में देशभर से सर्वाधिक वैज्ञानिक संस्थान हैं और युवाओं को इसका लाभ उठाने की आवश्यकता है. सुप्रसिद्ध रंगकर्मी,शिक्षाविद और अपनी धरोहर संस्था के संरक्षक प्रो.दाताराम पुरोहित ने भी ऑनलाइन सम्मेलन में अपने विचार रखे.
इस अवसर पर अपनी धरोहर संस्था की ओर से सामाजिक क्षेत्र में विशेष योगदान हेतु कुमाऊं सांस्कृतिक समिति,गाज़ियाबाद, उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच, द्वारका कुर्मांचल रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसायटी,गढ़वाल हितैषिणी सभा,पर्वतीय लोकविकास समिति,अचिंत्य – YUWA,उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान,आगरी ढोल दमाऊं छोलिया ग्रुप,हिमालयन रिसोर्सेस एन्हांसमेंट सोसायटी फ़रीदाबाद आदि संस्थाओं को विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया. सम्मेलन में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को पिछौड़े के हैंड बैग और संस्था के जूट बैग भी भेंट किए गए. समारोह का मंच संचालन संस्था के सचिव एडवोकेट दिवाकर पांडे और बिजनेस उत्तरायणी के संयोजक नीरज बवाड़ी ने संयुक्त रूप से किया.
इस आयोजन को सफल बनाने में जगदीश नेगी,कैलाश पांडेय,दिनेश बम, ललित पन्त, परिशा कुंवर, अरविंद शर्मा, विनोद मधवाल व दिल्ली यूनिवर्सिटी की वॉलंटियर छात्राओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम के समापन से पूर्व उत्तराखंड में हाल की घटनाओं में दिवंगत हुए लोगों की आत्मा की शांति हेतु दो मिनट का मौन धारण किया गया.