मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां कुकरैल नदी तट पर स्थित सौमित्र वन में ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ जन अभियान’ के अन्तर्गत एक दिन में प्रदेश में 36 करोड़ 50 लाख पौध रोपण महाअभियान का शुभारम्भ किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हरिशंकरी वृक्ष वाटिका स्थापित की. उन्होंने छात्र-छात्राओं को पौध वितरित कीं तथा 10 किसानों को कार्बन क्रेडिट से हुई आय के प्रतीकात्मक चेक प्रदान किये.
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस महाअभियान से जुड़ने तथा एक पेड़ मां के नाम लगाने का शुभ अवसर लगभग प्रदेश के प्रत्येक परिवार को प्राप्त होने जा रहा है. इस पवित्र अभियान के अंतर्गत एक ही दिन में प्रदेश में लगभग 03 पेड़ प्रत्येक मातृशक्ति के नाम पर लगने जा रहे हैं. इसके अंतर्गत 36 करोड़ 50 लाख पेड़ लगाए जाएंगे. आज प्रातःकाल प्रारम्भ हुए कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक लगभग 12 करोड़ पौध रोपण का कार्य सम्पन्न किया जा चुका है. ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के अंतर्गत पेड़ लगाने के साथ-साथ उसका संरक्षण भी करना होगा. इसके माध्यम से हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित करने के कार्यक्रम से जुड़ेंगे. इसीलिए कहा गया है कि ‘पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ’.
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन व नेतृत्व में प्रदेश में वृक्षारोपण महाअभियान से जुड़ने का कार्य किया गया. आज जहां प्रदेश में एक ही दिन में 36 करोड़ 50 लाख पौध रोपण किया जाएगा, वहीं विगत 07 वर्षों में राज्य सरकार ने अब तक 168 करोड़ पौध रोपित कीं. इस अभियान के अंतर्गत लगाए गए 75 से 80 प्रतिशत पेड़ अभी भी जीवित हैं. वैश्विक संस्थाएं इस अभियान को मान्यता प्रदान कर रही हैं.
आज के इस कार्यक्रम में 10 किसानों को कार्बन क्रेडिट के अंतर्गत प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई. इन किसानों ने कार्बन उत्सर्जन से होने वाली पर्यावरण क्षति की भरपाई पेड़ लगाकर की है. इन्होंने इसके अंतर्गत अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर कार्यवाही को आगे बढ़ाया. वैश्विक संस्थाओं ने इनके कार्यों का निरीक्षण किया. नेट जीरो का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में किसानों को यह प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है.
इन प्रयासों के परिणामस्वरूप प्रदेश सरकार को 200 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हो रहा है. इसके अंतर्गत कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए लगाए गए पेड़ों के कारण किसानों को लगातार 05 वर्ष तक धनराशि प्रदान की जाएगी. पहले चरण में आज 25 हजार किसानों को इस सुविधा का लाभ प्रदान किया जा रहा है. इसके तहत फलदार, औषधीय, पीपल, पाकड़, बरगद, हरिशंकरी आदि के पौध रोपण के साथ-साथ नवग्रह वाटिका, नक्षत्र शाला आदि स्थापित करने का कार्य सम्पन्न किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से 50 वर्ष पूर्व कुकरैल नदी अपने जीवन्त स्वरूप में थी. यह कुकरैल से निकलकर गोमती नदी में मिलती थी, लेकिन वर्ष 1984 के पश्चात इस नदी को भू-माफियों ने अपने स्वार्थ के लिए पाटना प्रारम्भ किया. परिणामस्वरूप नदी, नाले में परिवर्तित हो गयी तथा बस्तियों के ड्रेनेज को उड़ेलने का माध्यम बन गई. जिस नदी पर सभ्यता और संस्कृति बसी हुई थी, उसको नष्ट कर दिया गया. इन कार्यों से गोमती नदी को भी प्रदूषित किया गया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इस अभियान के साथ जनप्रतिनिधिगण, प्रदेश के सभी विभाग तथा समाज के विभिन्न तबके के लोग जुड़े हैं. जनपद सीतापुर में प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल इस अभियान को आगे बढ़ा रही हैं. उन्होंने प्रदेशवासियों का आह्वान करते हुए कहा कि प्रदेश में पेड़ों की कमी नहीं है. इनमें छायादार, इमारती लकड़ी, फलदार, औषधीय तथा सजावटी आदि विविध प्रकार के पौधे हैं. प्रदेश सरकार ने जगह-जगह वाटिका विकसित करने का निर्णय लिया है. सौमित्र वन और शक्तिवन की तर्ज पर अलग-अलग जगहों पर हरिशंकरी, नवग्रह, नक्षत्र आदि वाटिकाओं को लगाया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने कहा की आज सायंकाल होते-होते प्रदेशवासियों को वृक्षारोपण अभियान के लक्ष्य को प्राप्त करने का शुभ समाचार मिलेगा. इसके साथ ही हम इस पवित्र अभियान को नई ऊंचाई पर पहुंचने का कार्य करेंगे. प्रधानमंत्री आवास योजना के 56 लाख लाभार्थियों के घरों में एक-एक सहजन का पेड़ भी लगाया जा रहा है. प्रदेश में विरासत वृक्षों को बचाने की मुहिम को आगे बढ़ाया गया है. 100 वर्ष पुराने पेड़ों को प्रत्येक परिस्थिति में बचाना है. कहा जाता है कि जनपद बाराबंकी में स्थित द्वापर युग का कल्पवृक्ष 5,000 वर्ष पुराना है. इसे अनेक पीढ़ियों ने देखा है.
लखनऊ प्रदेश की राजधानी है, इसने स्वयं को प्रदेश के सबसे बड़े महानगर के रूप में स्थापित किया है. प्रदेश सरकार ने कल ही इसको स्टेट कैपिटल रीजन के रूप में विकसित करने तथा इसके आसपास के क्षेत्र को आर्थिक प्रगति के नए मानक से जोड़ने के लिए कार्यवाही को आगे बढ़ाया है. विकास का लाभ लम्बे समय तक लोगों को तब प्राप्त होगा, जब हम भौतिक विकास करने के साथ-साथ उससे होने वाली पर्यावरणीय क्षति को न्यूनतम स्तर तक ले जाएंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में पर्यावरण संरक्षण के लिए अनेक कदम उठाए गए. वर्ष 2017 से पूर्व प्रदेश के शहरों में हैलोजन स्ट्रीट लाइटें लगायी गयी थीं. इससे अधिक विद्युत खपत के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन भी ज्यादा होता था. इन्हें एलईडी स्ट्रीट लाइटों से बदला गया. राज्य में ऐसी 16 लाख एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं. सिंगल यूज प्लास्टिक का बैन, पर्यावरण तथा जीव जगत की रक्षा के लिए उत्तम प्रयास हो सकता है. प्रदेश में यह कार्य भी किया गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व के पर्यावरणविद् ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर चिंतित हैं. ग्लोबल वॉर्मिंग जीव सृष्टि के सामने संकट के रूप में सामने आया है. इस संकट का कारण मनुष्य का स्वार्थ है. इसको नियंत्रित करने की जिम्मेदारी भी मनुष्य के ऊपर ही होनी चाहिए. जलवायु परिवर्तन के कारण असमय वर्षा, सूखे तथा बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ता है. इन सब कारणों से अकाल पड़ने की सम्भावना भी रहती है.