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बेटियों की सुरक्षा के लिए माता-पिता का उनसे संवाद जरूरी : श्री कृपाशंकर

बेटियों की सुरक्षा के लिए माता-पिता का उनसे संवाद जरूरी : श्री कृपाशंकर

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हिमांतर ब्यूरो,  नोएडा इस देश के अंदर आज भी सब लोग कानूनों के विषय में नहीं जानते,सिस्टम ऐसा बना है कि एक गरीब व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट तक नहीं जा पाता. हमारे यहाँ सनातन काल से नारी शक्ति स्वरूपा रही है,अबला नहीं शक्तिशाली रही है ,बेशक कुरीतियों के चलते महिलाओं के लिए कुछ सुरक्षा मानक बनाए गए थे. आज भी हमारी बेटियाँ एसपी बनकर असम के जंगलों में आतंकियों का खात्मा करने का साहस दिखा रही हैं,डॉक्टर,वकील,वैज्ञानिक और आदर्श शिक्षक की भूमिका निभा रही हैं,लेकिन आज बेटियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि माता-पिता एकांगी न बनकर घर की बेटी के साथ बैठकर संवाद करें . ये विचार पर्वतीय लोकविकास समिति द्वारा अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस के अवसर नोएडा के प्रेरणा भवन में आयोजित शक्तिपर्व संकल्प विचार गोष्ठी एवं हिमालयी मातृशक्ति सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र प्रचार प्रम...
देश के सुदूर स्थानों पर सेवा कर रहे 18 समाजसेवियों/संस्थाओं को दिया गया संत ईश्वर सम्मान

देश के सुदूर स्थानों पर सेवा कर रहे 18 समाजसेवियों/संस्थाओं को दिया गया संत ईश्वर सम्मान

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तिरंगा बनाकर सभी ने मनाया आजादी का अमृत महोत्सव एवं सेवा परमोधर्म पुस्तक का विमोचन हिमांतर वेब डेस्क, नई दिल्ली संत ईश्वर फाउंडेशन एवं राष्ट्रीय सेवा भारती के सहयोग से  राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में देश के प.पू. स्वामी अवधेशानंद गिरि जी, केंद्रीय राज्य मंत्री श्री जितेंद्र सिंह जी एवं श्रीमती मीनाक्षी लेखी जी के सान्निध्य में संत ईश्वर सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। संत ईश्वर की महासचिव सुश्री वृंदा ने संत ईश्वर सम्मान का परिचय देते हुए बताया कि संत ईश्वर फाउंडेशन की स्थापना 9 वर्ष पूर्व हुई थी और 7 वर्ष पूर्व पहली बार संत ईश्वर सम्मान देना प्रारंभ हुआ था। यह सम्मान व्यक्तिगत एवं संस्थागत रूप में मुख्यतः चार  क्षेत्र- जनजातीय , ग्रामीण विकास, महिला-बाल विकास  एंव विशेष योगदान (कला, साहित्य, पर्यावरण,स्वास्थ्य और शिक्षा) में तीन श्रेणियों 1 विशेष सेवा सम्मान, 4 विशिष्ट सेवा सम्मान...
तुम दीपक हम बाती

तुम दीपक हम बाती

Uncategorized, लोक पर्व-त्योहार
दीपावली पर विशेष  प्रो. गिरीश्वर मिश्र  भारतीय समाज अपने स्वभाव में मूलतः उत्सवधर्मी है और यहाँ के ज़्यादातर उत्सव सृष्टि में मनुष्य की सहभागिता को रेखांकित करते दिखते हैं। प्रकृति की रम्य क्रीड़ा स्थली होने के कारण मौसम के बदलते मिजाज  के साथ कैसे जिया जाय इस प्रश्न विचार करते हुए भारतीय जन मानस की संवेदना में ऋतुओं में होने वाले परिवर्तनों ने ख़ास जगह बनाई है. फलतः सामंजस्य और प्रकृति के साथ अनुकूल को ही जीवन का मंत्र बनाया गया. यहाँ जीवन का स्पंदन उसी के अनुसार होता है और उसी  की अभिव्यक्ति यहाँ के मिथकों  और प्रतीकों के साथ होती है. कला, साहित्य, संगीत आदि को भी सुदूर अतीत से ही यह विचार भावित करता आ रहा है. इस दृष्टि से दीपावली का लोक- उत्सव जीवन के हर क्षेत्र-घर-बार, खेत-खलिहान, रोज़ी-रोटी और व्यापार-व्यवहार सबसे जुड़ा हुआ है. इस अवसर पर भारतीय गृहस्थ की चिंता होती है घर-बाहर ...
‘चलो गांव की ओर’ मुहिम के तहत डॉ. जोशी ने  उत्तरकाशी में लगाया फ्री मेडिकल हैल्थ कैम्प

‘चलो गांव की ओर’ मुहिम के तहत डॉ. जोशी ने  उत्तरकाशी में लगाया फ्री मेडिकल हैल्थ कैम्प

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‘विचार एक नई सोच’ संस्था ने बांटे मास्क और सैनिटाइजर, कोरोना को लेकर किया लोगों को जागरूक हिमांतर ब्‍यूरो, देहरादून डॉक्‍टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है. कुछ लोग इसको साकार करते हुए दिखाई दे रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं डॉक्‍टर एसडी जोशी. उत्तराखंड के लोकप्रिय फिजीशियन डॉ. एसडी जोशी किसी पहचान के मोहताज नहीं है. अपने व्यवहार और समर्पण से मरीजों में खासा लोकप्रिय डॉ. जोशी की लोकप्रियता का अंदाजा आप but इस बात से लगा सकते हैं कि जिन-जिन जनपदों में इन्होंने अपने रिटायरमेंट से पहले सेवाएं दे वहां से आज भी मरीज इनकी सलाह लेने या इनको दिखाने के लिये देहरादून स्थित इनके शंकर क्लीनिक में आते हैं. डॉ. जोशी भी किसी को निराश नहीं करते हैं. चिकित्सा सेवा के तमाम संगठनों से जुड़े डॉ. एसडी जोशी प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के 2 बाद निर्विरोध अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उत्तरकाशी में लगाया फ्री...
शिलागत जलान्वेषण के सन्दर्भ में वर्त्तमान ‘एक्वीफर’ अवधारणा

शिलागत जलान्वेषण के सन्दर्भ में वर्त्तमान ‘एक्वीफर’ अवधारणा

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भारत की जल संस्कृति-19 आधुनिक भूवैज्ञानिक विश्लेषण डॉ. मोहन चंद तिवारी वराहमिहिर ने निर्जल प्रदेशों में मिट्टी और भूमिगत शिलाओं के लक्षणों के आधार पर भूमिगत जल खोजने की जो विधियां बताई हैं आधुनिक भूविज्ञान के धरातल पर उसका अध्ययन ‘एक्वीफर्’ (Aquifer) के अंतर्गत किया जाता है. वराहमिहिर की 'बृहत्संहिता' के समान ही आधुनिक भूविज्ञान भी यह मानता है कि भूमि के उदर में ऐसी बड़ी बड़ी शिलाएं या चट्टानें होती हैं जहां सुस्वादु जल के सरोवर बने होते हैं. आधुनिक भूविज्ञान में इसे ‘एक्वीफर' (Aquifer) की संज्ञा दी गई है. लेकिन जब हम वर्त्तमान सन्दर्भ में भूमिगत जल या 'अंडरग्राउंड वाटर' की बात करते हैं तो भूवैज्ञानिक धरातल पर इस आधुनिक 'एक्वीफर '(Aquifer) अथवा जलभृत,या 'अंडरग्राउंड वाटर' की विशेष पारिभाषिक जलवैज्ञानिक स्थिति को समझना भी आवश्यक हो जाता है. वराहमिहिर प्रायः माना जाता है कि कुएं,न...
एडवेंचर, एक्साइटमेंट और थ्रिल से भरपूर है सप्तेश्वर ट्रैक

एडवेंचर, एक्साइटमेंट और थ्रिल से भरपूर है सप्तेश्वर ट्रैक

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उत्तराखंड के चम्पावत जिले से 25 becauseकिलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह ट्रैक गौरव कुमार बोहरा हाँ, यह सच है, जिंदगी का हर लम्हाbecause बहुत छोटा-सा है. कितने दिन, महीने और साल निकल गये, पता ही नही चला. जो बात समझ में आई वह यह कि कल की कोई बुनियाद नहीं है और आने वाला कल तो सिर्फ सपनो में ही है. अब बच गये इस पल में और becauseतमन्नाओं से भरी इस जिन्दगी में हम सिर्फ भाग रहे हैं. वो भी अंधाधुन्द, तो दोस्तों रफ़्तार थोड़ी धीमी करो और इस जिन्दगी को जम के जियो. सप्तेश्वर वो कहते हैं ना कि दिल से सोचो कहाँ जाना है butतो दिमाग खुद-ब-खुद तरकीब निकाल लेगा. पिछले कई समय से सप्तेश्वर ट्रैक का प्लान था लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से इस ट्रैक का प्लान पूरा नहीं हो पाया. अबकी बार मानो मौका और दस्तूर दोनों ही थे. becauseदिन छुट्टी का और मौसम एकदम सुहावना. सुहावना सप्तेश्वर ट्रैक मार्च 2020 के...
ईजा को ‘पाख’ चाहिए ‘छत’ नहीं

ईजा को ‘पाख’ चाहिए ‘छत’ नहीं

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मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—39 प्रकाश उप्रेती पहाड़ के घरों की संरचना में 'पाख' की बड़ी अहम भूमिका होती थी. "पाख" मतलब छत. इसकी पूरी संरचना में धूप, बरसात और एस्थेटिक का बड़ा ध्यान रखा जाता था. because पाख सुंदर भी लगे और टिकाऊ भी हो इसके लिए रामनगर से स्पेशल पत्थर मँगा कर लगाए जाते थे. रामनगर से पत्थर मंगाना तब कोई छोटी बात नहीं होती थी. अगर गाँव भर में कोई मँगा ले तो कहते थे-"सेठ आदिम छु, पख़्म हैं रामनगर बे पथर ल्या रहो" (सेठ आदमी है, छत के लिए रामनगर से पत्थर लाया है). ज्योतिष पाख की संरचना में एक 'धुरेणी' because (छत के बीचों- बीच बनी मेंड सी) दूसरी, "दन्यार" (छत के आगे के हिस्से में लगे पत्थर, जिनसे बारिश का पानी सीधे नीचे जाता था) और तीसरी चीज होती थी "धुँवार" (रोशन दान). इनसे ही पाख का एस्थेटिक बनता था. ज्योतिष पाख में जो "धुरेणी" होती थी वह सबसे महत्वपूर्ण थी. वही...
राष्ट्र-गान की धुन के रचयिता कैप्टन राम सिंह

राष्ट्र-गान की धुन के रचयिता कैप्टन राम सिंह

Uncategorized, इतिहास, हिमाचल-प्रदेश, हिमालयी राज्य
चारु तिवारी कुछ गीत हमारी चेतना में बचपन से रहे हैं। बाल-सभाओं से लेकर प्रभात फेरियों में हम उन गीतों को गाते रहे हैं। एक तरह से इन तरानों ने ही हमें देश-दुनिया देखने का नजरिया दिया। जब हम छोटे थे तो एक गीत अपनी प्रार्थना-सभा में गाते थे। बहुत मधुर संगीत और जोश दिलाने वाले इस गीत को हम कदम-ताल मिलाकर गाते थे। गीत था- 'कदम-कदम बढाये जा, खुशी के गीत गाये जा/ये जिन्दगी है कौम की तू कौम पै मिटाये जा।' उन दिनों अन्तरविद्यालयी प्रतियोगिताएं होती थी, जो क्षेत्रीय से लेकर प्रदेश स्तर तक अलग-अलग चरणों में होती थी। उसमें विशेष रूप से एक प्रतियोगिता थी- 'राष्ट्र-गान गायन प्रतियोगिता।' इसे एक विशेष धुन और नियत समय 52 सेकेंड में पूरा करना होता था। इसमें झंडारोहण, सलामी, राष्ट्र गान की सावधान वाली मुद्रा के सभी मानकों पर भी अंक मिलते थे। इस प्रतियोगिता में हमारी टीम मंडल स्तर तक प्रथम आती थी। तब हमें...
रवाँई यात्रा – भाग-2

रवाँई यात्रा – भाग-2

Uncategorized, उत्तराखंड हलचल, संस्मरण, साहित्‍य-संस्कृति, हिमालयी राज्य
भार्गव चंदोला 28, 29, 30 दिसंबर, 2019 उत्तरकाशी जनपद की रवांई घाटी के नौगांव में तृतीय #रवाँई_लोक_महोत्सव अगली सुबह आंख खुली तो बाहर चिड़ियों की चहकने की आवाज रजाई के अंदर कानों तक गूंजने लगी, सर्दी की ठिठुरन इतनी थी की मूहं से रजाई हटाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। कुछ समय बिता तो दरवाजे के बाहर से आवाज आई, चाय—चाय, मनोज भाई ने दरवाजा खोला तो बाहर Nimmi Kukreti Rashtrawadi हाथ में चाय लिए खड़ी थी। प्रायः मैं चाय से दूरी रखता हूँ, मगर रवाँई की उस ठिठुरन में ऐसा करना संभव न था। मैंने निम्मी से आग्रह किया, निम्मी गुनगुना पानी पिला देती तो फिर चाय का स्वाद भी लेने का आनंद बढ़ जायेगा। निम्मी झट से गुनगुना पानी भी ले आई, निम्मी के हाथ से बनी चाय में गांव की गाय के दूध का स्वाद था, निम्मी ने सभी साथियों को बहुत आत्मियता के साथ चाय पिलाकर सुबह खुशनुमा बना दी थी। बिस्तर छोड़कर बाहर आये तो बाहर क...