‘संझा’ देवी को सर्वाधिक प्रिय है सफेद फूल
मंजू दिल से… भाग-18
मंजू काला
कवार मास का प्रारंभ ...यानी शरद ऋतु का आगमन जिसमे रंग-आकृति और गंध वाले फूलों की बहुतायत देखने को मिलती है. ये फूल केवल कला की उत्कृष्टता को इंगित नहीं करते वरन उनकी समग्र सुगंधावली का भी प्रस्फुटन करते हैं. इसी प्रकृति उल्लास के साथ बालिका पर्व यानी सांझी का शुभारंभ होता है. संझा बनाते समय लड़कियां because एक-एक फूल और उसकी पंखुड़ी को बड़े जतन से सहेजती हैं. संझा की ऋतु में जो फूल जिस अंचल में खिले मिलते हैं उन्हीं से संझा सजाई जाती है. मालवा तथा निमाड़ के क्षेत्रों में गुलगट्टे, गुलबास, गुलतेवड़ी के अलावा चंपा, चमेली, गुलाब, चांदनी, कनेर, गेंदा और अन्य फूल अधिकता में पाए जाते हैं
कोलकाता
संझा के अंकन के समय लड़कियां एक एक फूल और उसकी पंखुड़ियों से गोबर से अंकित संझा की आकृति पर श्रृंगार करती हैं. संझा का मूल अंकन गोबर से किया जाता है क्योंकि, गोबर से be...