पर्यटन

रहस्य रोमांच एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है सतोपंथ ट्रैक

रहस्य रोमांच एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है सतोपंथ ट्रैक

पर्यटन
जे. पी. मैठाणी सभी फोटो : अनुज नम्बूद्री आपको पता है सत्य की राह पर चलने का रास्ता भी बेहद दुर्गम, रोमांचक और प्रकृति के अनेक रहस्यों से भरा है अगर नहीं तो चलिए सतोपंथ ट्रैक यानी सत्य के पथ पर. कहाँ है सतोपंथ ट्रैक भारत के चार धामों में प्रसिद्ध श्री बद्रीनाथ धाम से लगभग 24 किमी0 की दूरी तय करके आप गहरे हरे और कभी कभी साफ नीले पानी की एक झील के निकट पहुँचते हैं जिसका नाम सतोपंथ झील है. हिन्दु धर्मग्रंथों के अनुसार महाभारत के युद्ध के पश्चात् लगभग 36 वर्षों तक राजकाज संभालने के बाद मोक्ष प्राप्ति हेतु और शिव को क्षमा सहित प्रसन्न करने के प्रयासों के बीच पाण्डव सतोपंथ के रास्ते ही स्वर्गारोहणी की तरफ गये. संभवतः इस यात्रा का नेतृत्व हमेशा सत्य बोलने वाले युधिष्ठिर कर रहे हों इसलिए इसे सतोपंथ कहा जाता होगा. सतोपंथ झील का आकार उत्तराखण्ड के हिमालयी क्षेत्र में मौजूद सभी प्रकार के ...
पर्यटन को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध धामी सरकार

पर्यटन को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध धामी सरकार

पर्यटन
डेस्टिनेशन उत्तराखंड का नया आकर्षण केंद्र बनती टिहरी झील, तैयार हो जाईये एक और शानदार आयोजन के लिए टिहरी झील में आगामी 24 नवंबर से शुरू होने जा रहा टिहरी अंतरराष्ट्रीय एक्रो फेस्टिवल पर्यटन को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है उत्तराखंड की धामी सरकार देहरादून। उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र में टिहरी झील सबसे तेजी से उभरता हुआ नया स्थल है। एडवेंचर टूरिज्म के शौकीनों के लिए यह स्थान हॉट फेवरेट साबित हो रहा है। यही वजह है कि डेस्टिनेशन उत्तराखंड के अंतर्गत राज्य की धामी सरकार द्वारा यहां नियमित रूप से विभिन्न आयोजन किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब टिहरी झील में 24 से 28 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय टिहरी एक्रो फेस्टिवल 2023 का आयोजन होने जा रहा है। उत्तराखंड में साहसिक खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि डे...
ट्रैकर्स के आकर्षण का केन्द्र बन रहा है पीपलकोटी पांचुला ट्रैक

ट्रैकर्स के आकर्षण का केन्द्र बन रहा है पीपलकोटी पांचुला ट्रैक

पर्यटन
जेपी मैठाणी सरकार की उदासीनता के बावजूद शोध अध्ययन कर किया जा रहा है प्रचारित-प्रसारित देहरादून से लगभग 265 किमी0 की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर लगभग 4000 फीट (1300 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है एक पर्यटक स्थल पीपलकोटी. पीपलकोटी अपनी खूबसूरत घाटी, पीपल के पेड़ों,  सीढ़ीनुमा खेतों के साथ-साथ अच्छी व्यवस्था वाले होटलों, ढाबों, पर्यटक आवास गृह के लिए जाना जाता है. because पीपलकोटी में ही प्रदेश के पहले बायोटूरिज़्म पार्क (जिसकी स्थापना 1999-2001 में हुई थी) भी स्थित है. पुरातन समय से ही पीपलकोटी बद्रीनाथ यात्रा मार्ग की एक प्रमुख चट्टी/ पड़ाव रहा है. ज्योतिष पीपलकोटी से अनेक ट्रैकिंग रूट्स जो कि कम जाने जाते हैं या नहीं जाने जाते हैं उनका प्रचार-प्रसार एवं मार्केटिंग का कार्य आगाज़ संस्था कर रही है. इन्हीं में से एक because महत्वपूर्ण ट्रैकिंग पीपलकोटी से हस्तशिल्प ग्राम किरूली होते हुए...
साकार होता खतलिंग पांचवां धाम  का इंद्रमणि बडोनी का स्वप्न

साकार होता खतलिंग पांचवां धाम  का इंद्रमणि बडोनी का स्वप्न

पर्यटन
हिमालय दिवस (9 सितंबर) पर विशेष कवि बीर सिंह राणा 2 सितंबर 2021 का दिन वास्तव में  भिलंगना घाटी के लिए अविस्मरणीय और गौरवमय इतिहास का साक्षी बन गया. जहां पिछले ढाई दशक से सजग मातृशक्ति because और ऊर्जावान युवाओं का आह्वान किया जाता रहा कि खतलिंग को पांचवां धाम स्वार्थी और सत्तालोलूप नेता नहीं स्थानीय जनशक्ति बनाएगी और वो भी तब जब  घुत्तू में मेले  तक सीमित ऐतिहासिक कोलकाता महायात्रा  बडोनी जी वाले स्वरूप में लौटेगी. घाटी के युवा ही नहीं माता -  बहनें 2015 से लगातार खतलिंग सहस्रताल तक की यात्रा करने वाले आधे दर्जन लोगों के जुनून से वाकिफ भी थे ,सहानुभूति केक्साथ सहयोग और बराबर रुचि भी ले रहें थे  . 2016 से जब दिल्ली से बडोनी जी की खतलिंग महायात्रा को पद्मविभूषण because सुंदरलाल बहुगुणा जी की प्रेरणा से हिमालय जागरण से जोड़ा गया,सोशल मीडिया,पत्र पत्रिकाओं और विभिन्न मंत्रालयों और सरका...
बेनीताल बुग्याल की 650 एकड़ जमीन पर लगा निजी संपत्ति का बोर्ड!

बेनीताल बुग्याल की 650 एकड़ जमीन पर लगा निजी संपत्ति का बोर्ड!

पर्यटन
बेनीताल: प्रकृति की गोद में बसा बुग्याल कमलेश चंद्र जोशी उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से विविधताओं से भरा प्रदेश है. हालाँकि पर्यटकों के बीच इसकी पहचान चार धाम यात्रा के रूप में अधिक मशहूर है लेकिन यात्रा पर्यटन के सिवाय उत्तराखंड में बहुत कुछ ऐसा है जिन तक अभी सीमित व नियमित पर्यटकों का पहुँचना बाकी है. एक गंतव्य के तौर पर उत्तराखंड के बुग्यालों को पर्यटन में अब तक because वह मुकाम हासिल नहीं हो पाया है जो पारंपरिक गंतव्यों को है. बुग्यालों को पर्यटन से जोड़ने के इतर समय-समय पर बुग्यालों में हो रहे अतिक्रमण व बैकपैकर्स द्वारा फैलाई जा रही गंदगी की खबरें सुनने को मिल जाती हैं जिसकी वजह से बुग्यालों में पर्यटन को बढ़ावा देने की जगह उन्हें संरक्षित करने के लिए यात्रियों के रात्रि विश्राम व टेंट लगाने पर रोक जैसे सख़्त कदम प्रशासन को उठाने पड़ते हैं. बुग्याल समुद्र तल से 8-10 हजार फ...
पंडित नेहरू में क्यों जागी थी ‘कण्वाश्रम’ को जानने की रुचि

पंडित नेहरू में क्यों जागी थी ‘कण्वाश्रम’ को जानने की रुचि

पर्यटन
कण्वाश्रम एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसका प्राचीन और समृद्ध इतिहास रहा है. महर्षि कण्व के काल में कण्वाश्रम शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था. because उस समय वहां दस हजार छात्र शिक्षा लेते थे. वैदिक काल में कण्वाश्रम शिक्षा और संस्कृति कर बड़ा गढ़ था. स्वरोजगार विजय भट्ट भारत की आजादी के बाद वर्ष 1955 में रूस दौरे पर गए भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जब रूस में महर्षि कण्व ऋषि की तपस्थली because और चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली कण्वाश्रम के बारे में सुना तो उनको इस ऐतिहासिक स्थल को जानने की जिज्ञासा हुई. स्वरोजगार हुआ यूं कि प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू1955 में रूस यात्रा पर गए थे. उस दौरान उनके स्वागत में रूसी कलाकारों ने महाकवि कालिदास रचित 'अभिज्ञान शाकुंतलम' की नृत्य नाटिका प्रस्तुत की. जिससे उन्हें भी इस ऐतिहासिक स्थल के जानने की जिज्ञासा हुई. वापस भ...
आदि शंकराचार्य की नेपाल और बदरीनाथ यात्रा

आदि शंकराचार्य की नेपाल और बदरीनाथ यात्रा

पर्यटन
ललित फुलारा अद्वैत-वेदांत के प्रतिष्ठाता और संन्यासी संप्रदाय के गुरु आदि शंकराचार्य की जयंती पर उनकी नेपाल यात्रा और पशुपतिनाथ महादेव में पुन: पूजा अर्चना की व्यवस्था के बारे में जानना बेहद जरूरी है. but यह वह वक्त था जब नेपाल में पशुपतिनाथ महादेव की पूजा-अर्चना समाप्त हो गई थी. बौद्धों के असाधारण प्रभाव की वजह से हिंदू देवी-देवताओं का तिरस्कार किया जा रहा था. मंदिर की पवित्रता भ्रष्ट की जा रही थी. बौद्धों नेपाल के राजा वेद विरोधियों के सामने शक्तिहीन और निष्क्रिय हो चुके थे. यह समाचार जब आदि शंकराचार्य के शिष्यों को मिला तो चिंतित होते हुए उन्होंने भगवान शंकर के साक्षात अवतार but आचार्य शंकर से नेपाल चलने की प्रार्थना की और आर्चाय श्री नेपाल की तरफ चल पड़े. हिमालय की तराई की प्राकृतिक सौंदर्य और हिंसक जानवरों वाले भयंकर उतार-चढ़ाई वाले मार्ग एवं घनघोर जंगलों को पार करते हुए शंकराच...
पर्वतारोहण और ट्रैकिंग से स्वरोजगार की पहल…

पर्वतारोहण और ट्रैकिंग से स्वरोजगार की पहल…

चमोली, पर्यटन
शशि मोहन रवांल्टा स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी श्रीराम शर्मा के गीत ‘करो राष्ट्र निर्माण बनाओ मिट्टी से सोना’ जी हां! इस गीत की पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया है उत्तरकाशी जिले because के दूरस्थ गांव सौड़-सांकरी के चैन सिंह रावत ने. उन्होंने पर्वतारोहण और ट्रैकिंग के काम को पर्यटन व्यवसाय से जोड़ा है. अब उनके गांव के हर नौजवान के पास ‘होम स्टे’ के रूप में स्वरोजगार है. बसंत ऋतु उत्तरकाशी जिले के so सीमान्त विकासखण्ड मोरी के दूरस्थ गांव सांकरी में वर्ष के 10 माह तक पर्यटकों की आमद देखने को मिलती है. जनवरी और फरवरी माह में यह सम्पूर्ण घाटी बर्फ से ढक जाती है. यहां पर हरे-भरे जंगल, गोविंद पशु विहार नेशनल पार्क और सैंचुरी (Govind Pashu Vihar National Park & Sanctuary), सेब के बागान, पास में बह रही सुपीन नदी, हरकीदून बुग्याल, केदारकांठा ट्रैक, जुड़ी ताल की सैर, इसके अलावा इस घाटी में स...
सतत पर्यटन विकास के लिए जुटे लोग  

सतत पर्यटन विकास के लिए जुटे लोग  

पर्यटन
हिमांतर ब्‍यूरो, उत्तरकाशी सतत पर्यटन विकास (Sustainable Tourism Development), साहसिक और सुरक्षित पर्यटन स्थल कैसा हो,  इसको लेकर मोरी में स्थानीय लोगों के द्वारा एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें क्षेत्र के स्थायी पर्यटन विकास को लेकर चर्चा की गई. पर्यटन को सुगम because और सरल बनाने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं. बैठक में क्षेत्र के सभी जनप्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया. इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि क्षेत्र में पर्यटन के so लिए प्राथमिक परिवहन, स्थानीय परिवहन, आवास, मनोरंजन, खान—पान का विशेष ध्यान रखा जाएगा, साथ ही कूड़ा निस्तारण के समुचित प्रबंधन को लेकर भी विचार—विमर्श किया गया. इसके लिए सभी ने एक स्वर में यमुना घाटी में रिसाइक्लिंग प्लांट लगाने की आवश्यकता पर जोर दिया. पर्यटन क्षेत्र के सभी टूर ऑपरेटर, ट्रैकिंग but एजेंसियों के द्वारा सुव्यवस्थित पर्यटन की कल्पना की गई, जिसमें फ...
शिलाखर्क बुग्याल ट्रैक: रहस्य और रोमांच से भरा ट्रैकिंग स्‍पॉट

शिलाखर्क बुग्याल ट्रैक: रहस्य और रोमांच से भरा ट्रैकिंग स्‍पॉट

पर्यटन
कम और ना जाने, जाने वाले ट्रैंकिंग रूट - पार्ट-2 पांडव यहॉं बना रहे थे विशाल मंदिर, लेकिन... जे. पी. मैठाणी उत्तराखण्ड के सीमान्त जनपद चमोली की एक बेहद रोमांचक घाटी है पाताल गंगा घाटी. बायोटूरिज़्म पार्क पीपलकोटी से लगभग 11 किमी. की दूरी पर पाखी गरूड़गंगा, पनाईगाड, टंगणी और बेलाकूची के बाद एक छोटा सा 10-12 दुकानों का बाजार है जिसका नाम पातालगंगा है. संभवतः यह नाम देश की आजादी के बाद जब भारत-चीन बॉर्डर पर सड़कों का विकास हो रहा था, तब पड़ा होगा. उस दौरान 70 के दशक में अलकनन्दा घाटी की सबसे बड़ी बेलाकूची बाढ़ आई थी. उसके बाद पीपलकोटी से भंडीरपाणी के बाद सड़क का अलाइनमेन्ट बदल दिया गया और अब सड़क पाखी गरूड़ गंगा, पनाईगाड़ टंगणी से अपर बेलाकूची होते हुए एक ऐसे स्थान पर पहुँचती है जहाँ पर लॉर्ड कर्जन पास के जलागम से विभाजित होकर एक बड़ी जलधारा आती है. इस स्थान पर राष्ट्रीय राजमार्ग के बनने में ए...