सोशल-मीडिया

आभासी दुनिया के बेगाने परिन्दे

आभासी दुनिया के बेगाने परिन्दे

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भुवन चन्द्र पन्त जमीनी हकीकत से दूर आज हम एक ऐसे काल खण्ड में प्रवेश कर चुके हैं, जहां हमारे चारों तरफ सब कुछ है भी, और नहीं भी. बस यों समझ लीजिए कि आप दर्पण के आगे खड़े हैं, दर्पण में आपकी स्पष्ट छवि दिख रही है, आपको अपना आभास भी हो रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि आप उसमें हैं नही. कुछ इसी तरह की हो चुकी है, हमारी सोशल मीडिया की आभासी दुनिया. फेसबुक जैसे प्लेटफार्म पर आपके सैंकड़ो मित्रों की लम्बी फेहरिस्त होगी, लेकिन बमुश्किल गिने-चुने ही ऐसे मित्र होंगें, जो हकीकत की दुनिया में आपकी मित्र मण्डली से ताल्लुक रखते होंगे. ऐसे बेगाने मित्रों से गुलजार दुनिया में उनका रिश्ता केवल लाइक और कमेंट्स से ज्यादा कुछ नहीं है. सोशल मीडिया की दुनिया में प्रवेश के कई रास्ते हैं- फेसबुक, व्हाट्सऐप, इन्स्टाग्राम, ट्वीटर आदि-आदि. अब तो कोरोना काल में वेबिनार, वर्क फ्रॉम होम, ऑन लाइन कक्षाएं और मन्दि...
जावेद साहब कंगना को घर बुलाकर हड़काना सहिष्णुता है क्या?

जावेद साहब कंगना को घर बुलाकर हड़काना सहिष्णुता है क्या?

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ललित फुलारा जावेद साहब पिछले छह साल से भड़क रहे हैं. कभी टीवी पर, तो कभी मंचों पर, लेकिन मुझे उनका यह भड़कना अभी तक इतना ख़राब नहीं लगता था, पर जब से कंगना पर भड़कने की ख़बर सुनी है, तब से जावेद साहब की बौद्धिकता और उदारता से रश्क होने लगा है. कथित गढ़ी गई असहिष्णुता पर भड़कते हुए पुरस्कार लौटाने वालों के पक्ष में गोलबंदी करने वाले जावेद साहब को देश के प्रधानमंत्री के हर भाव-भंगीमा, साक्षात्कार, ओबामा से दोस्ती और यहां तक की सोने के घंटों पर अजीब-सी शक्ल बनाते हुए भड़कते और उपहास उड़ाते हुए तो देखा था, लेकिन एक स्त्री को घर बुलाकर माफी मांगने के लिए उस पर भड़कते/ धमकाते हुए सुना, तो कलेजा गुस्से से भर उठा. इतना महान कवि और गीतकार एक स्त्री को अपने घर बुलाकर कैसे हड़का सकता है? माफी मांगने के लिए दबाव बनाने का प्रयास कर सकता है. यहां तक कहता है कि अगर कंगना ने राकेश रोशन और उनके...