रवांल्टी कविता: मैत की दोफारी
कुलवन्ती रावत, प्रधानाध्यापिका
रा०प्रा०वि०धिवरा, पुरोला उत्तरकाशी
चैत मगसीर अर माग कु मैनु भी आ
ससुरास्या छोरियों मैत की याद बी आ
सी होली विचारी भाग्यान ज्युकि मैत की दोफारी आली
मैत्या दोफारया मां अरस अर लड्डु ल्याली
पैली बिन बैदाउ कोई मैत न सकत नै
साय सेरु कु तत्रा ब्याऊ यरंगु रतु भय
तदीक जमान बाबा अर भाई जी बैदी ल्यात
अर दोफारया क साथ अड़ेती बी आत
मैत अब छोरिया कम नौ मैत की दोफारी रुण लगी
गांव छोड़ी कीं सबुक मन मां अब बजार की दौड़ जगी
अब जु बजार रलू तेई मैत की याद काली आली
जब मैत न नली त दोफारी कोखन ल्याली
न छोड्याण माते दोफारी न चितायांण प्यारू बजार
आखिर मैत त मैत र कणेक करयाण दी विचार
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