सन् 639 : हिमालय की तलहट में ह्वेनसांग
(गुरु पद्मसंभव की तिब्बत यात्रा से पूर्ण मध्य एशियाई बौद्ध समाज में कई मत-मतांतरों का जन्म हो चुका था. ह्वेनसांग मूलत: चीन के तांग राजवंश का बौद्ध धर्म गुरु था. चीन में तब महायान और हीनयान दो मुख्य बौद्ध धाराएं थीं. जीवन शाश्वत है या नहीं, इस विषय पर इन दोनों में गहरा मतभेद था. पुनर्जन्म तथा ऐसे अनेकानेक पक्षों पर गहराते मतभेदों को स्पष्ट करने की मंशा लेकर ह्वेनसांग बौद्ध की जन्मस्थली भारत की यात्रा पर निकला. ह्वेनसांग नंगा पर्वत की कोख में बसे चित्राल-उदयन से लेकर बल्तिस्तान, तक्षशिला, पुंछ, राजौरी, जम्मू, कुल्लू तक और वर्तमान उत्तराखंड के पाद प्रदेश से लेकर उत्तर पूर्व हिमालय में बसे कामरूप शासक भाष्करबर्मन के दरबार तक पहुंचा. उत्तर भारत में तब हर्षवर्धन का साम्राज्य था. हर्षवर्धन की राजधानी में उसे पूर्ण राजकीय सम्मान मिला. भारत में रहकर उसने बौद्ध धर्म कें सभी मत्व...