सागर से शिखर तक का अग्रदूत
चारु तिवारी
स्वामी मन्मथन जी की पुण्यतिथि पर विशेष। हमने 'क्रियेटिव उत्तराखंड-म्यर पहाड़' की ओर से हमेशा याद किया। हमने श्रीनगर में उनका पोस्टर भी जारी किया था। उन्हें याद करते हुये-
हे ज्योति पुत्र!
तेरा वज्र जहां-जहां गिरा
ढहती कई दीवारें भय की
स्वार्थ की, अह्म की, अकर्मण्यता की
तू विद्युत सा कौंधा
और खींच गया अग्निपथ
अंधकार की छाती पर
तुझे मिटाना चाहा तामसी शक्तियों ने
लेकिन तेरा सूरज टूटा भी तो
करोड़ों सूरजों में।
उनकी हत्या के बाद गढ़वाल में शोक की लहर दौड़ गई। अंजणीसैंण (टिहरी गढ़वाल) में उनके द्वारा स्थापित श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम के आनन्दमणि द्विवेदी ने इस कविता से अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये। कौन है यह ज्योति पुत्र! निश्चित रूप से स्वामी मन्मथन। इस नाम से शायद ही कोई गढ़वाली अपरिचित हो। साठ-सत्तर के दशक में गढ़वाल में सामाजिक चेतना के अग्रदूत। एक ऐसा व्यक्तित्व ...