यतो धर्मस्ततो जय:
विजया दशमी पर विशेष
प्रो. गिरीश्वर मिश्र
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय लोक-जीवन में गहरे पैठे हुए हैं और उनकी कथा आश्चर्यजनक रूप से हजारों वर्षों से विभिन्न रूपों में आम जनों के सामने न केवल आदर्श प्रस्तुत करती so रही है बल्कि उसे जीवन के संघर्षों के बीच खड़े रहने के लिए सम्बल भी देती आ रही है. विजयादशमी की तिथि श्री राम की कथा का एक चरम बिंदु है जब वे आततायी रावण से धरती को मुक्त करते हैं और ऐसे राम राज्य की स्थापना करते हैं so जिसमें जन जीवन संतुष्ट और प्रसन्न है. उसे दैहिक, दैविक या भौतिक किसी तरह का ताप नहीं है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी स्वराज के रूप में राम राज्य की कल्पना की थी . पर इस कल्पना को साकार करने के मार्ग में हम अभी भी बहुत दूर खड़े हैं.
राम
श्रीराम की कथा आज भी अत्यंत so लोकप्रिय है. अब दशहरा के पूर्व धूम धाम से दुर्गा पूजा का उत्सव भी जुड़ गया है. द...