सनातन संस्कृति के मूल में है पर्यावरण की रक्षा
भुवन चन्द्र पन्त
दुनिया के पर्यावरण विज्ञानी भले आज पर्यावरण संरक्षण की ओर लोगों को चेता रहे हों, लेकिन हमारे मनीषियों को तो हजारों-हजार साल पहले आभास था कि पर्यावरण के साथ खिलवाड़ के क्या भयावह परिणाम हो सकते हैं? भारत की सनातन संस्कृति जो वेदों से विकसित हुई, उन वैदिक ऋचाओं का मूल कथ्य ही प्रकृति के साथ सन्तुलन से जुड़ा है. जिसने वेदों का जरा भी अध्ययन न किया, वे वेदों को हिन्दुओं के धार्मिक ग्रन्थ मात्र समझने की भूल करते हैं, जब कि वैदिक ज्ञान, किसी धर्म अथवा सम्प्रदाय से परे वह जीवन शैली है, जो सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण का रास्ता दिखाती है. हकीकत तो ये है कि वेदों में पंच महाभूतों को ही देवतुल्य स्थान दिया गया है और इन्हीं को सन्तुलित करना चराचर जगत के लिए कल्याणकारी बताया गया है. वैदिक ऋचाओं में इन्द्र, अग्नि व वरूण आदि का ही उल्लेख मिलता है. ईश्वर के साकार रूप से परे वेदों में पृ...