पर्यावरण

‘पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर गुरुत्वाकर्षण बल कम होता जाता है’

‘पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर गुरुत्वाकर्षण बल कम होता जाता है’

पर्यावरण
अश्विनी गौड़ बस यूँ ही समझ लीजिये कि हम पृथ्वी की धरातलीय प्रकृति से हम जितना दूर जाएँगे हम पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्य से उतना ही विमुख होते जाएंगे. पर्यावरण को नजदीक से जानना,परखना so और अनुभव करना हो, तो प्रकृति की प्रकृति को समझिए. भूमिः देवता,  पृथ्वी देवता, वसवों देवता, आदित्य देवता जैसे मंत्रों का जाप करते हमारे वेद पुराण सनातन काल से ही पृथ्वी दिवस मनाने की प्रेरणा देते आ रहे है. सत्तर के दशक से अमेरिका पर्यावरण और पृथ्वी दिवस because मनाने की कवायद कर रहा है जो कि सराहनीय पहल है पर क्या 22 अप्रैल का दिन मना कर ही हम अपनी जिम्मेदारी इतिश्री कर लें? पर्यावरण आज अदृश्य वाइरस से पृथ्वी का सबसे बड़ा बुद्धिजीवी होने का दंभ so भरता मानव रक्त में ऑक्सीजन की हीमोग्लोबिन के साथ कमी से डरा-मरा पड़ा है. ऑक्सीजन की प्राकृतिक फैक्ट्री  सदाबहार हरे भरे जंगल को वनाग्नि की भेंट ...
‘पृथु वैन्य’ जिनके नाम पर ‘पृथिवी’ का नामकरण और लोकतंत्र की स्थापना हुई

‘पृथु वैन्य’ जिनके नाम पर ‘पृथिवी’ का नामकरण और लोकतंत्र की स्थापना हुई

पर्यावरण
 ‘पृथ्वी दिवस’ पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज 22 अप्रैल का दिन अंतरराष्ट्रीय जगत में ‘पृथ्वी दिवस’ (Earth Day) के रूप में मनाया जाता है. पृथिवी के पर्यावरण को बचाने के लिए ‘पृथ्वी दिवस’ की स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के द्वारा 1970 में की गई थी. ‘पृथ्वी दिवस’ की अवधारणा सभी पहाड़, नदियों, वनस्पतियों, महासागर, ग्राम-नगरों because के पर्यावरण संतुलन की चिंता को अपने आप में समाहित किए हुए.भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो पूरे ब्रह्माण्ड में पर्यावरण की शांति 'पृथ्वी दिवस’ का मूल विचार है. अंतरराष्ट्रीय जगत मैंने अपने शोधग्रंथ "अष्टाचक्रा अयोध्या : इतिहास और परंपरा" (उत्तरायण प्रकाशन, दिल्ली, 2006) में 'भारतराष्ट्र' की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए 'पृथु वैन्य' के because इतिहास पर भी विस्तार से चर्चा की है.और यह बताने का प्रयास किया है कि हमारे भारत में पृथिवी की रक्...
चिपको: खेतिहर देश में खेल नहीं खेत जरुरी  हैं…

चिपको: खेतिहर देश में खेल नहीं खेत जरुरी  हैं…

पर्यावरण
प्रकाश उप्रेती  चिपको आंदोलन कुछ युवकों द्वारा ‘दशौली ग्राम स्वराज्य संघ’ बनाने की कहानी से शुरू होता है. चिपको के दस साल पहले कुछ पहाड़ी नौजवानों ने चमोली जिले के मुख्यालय गोपेश्वर में ‘दशौली ग्राम स्वराज्य संघ’ बनाया. जिसका मकसद था वनों के नजदीक रहने वाले लोगों को वन सम्पदा के माध्यम से सम्मानजनक रोजगार और जंगल की लकड़ियों से खेती-बाड़ी के औज़ार बनाना . यह गाँव में एक प्रयोग के बतौर था . 1972 -73 के लिए उत्तर प्रदेश के वन विभाग ने संस्था के काष्ठ कला केंद्र को अंगू के पेड़ देने से इनकार कर दिया . गाँव वाले इस हल्की और मजबूत लकड़ी से खेती-बाड़ी के औज़ार और हल बनाते थे  गाँव के लोगों को इससे कोई शिकायत नहीं थी कि अंगू के पेड़ से खेलों का सामान बने . वो तो केवल इतना चाहते थे कि “पहले खेत की जरूरतें पूरी की जाएँ because और फिर खेल की. एक खेतिहर देश में यह माँग  नाजायज़ भी नहीं थी”[1] लेकिन सरकार को...
आई लव स्पैरो- मुझे गौरेयों से प्यार है

आई लव स्पैरो- मुझे गौरेयों से प्यार है

पर्यावरण
विश्व गौरेया दिवस पर विशेष अनीता मैठाणी एक सयानी गौरेया- हमारी चीं-चीं, चूं-चूं के बीच आज ये क्या मच-मच लगी है इंसानों की, कि जिसे देखो अपना एंड्राॅयड फोन लिए घर के आगे पीछे घूम रहा है कि कहीं हम दिख भर जाएं क्लिक, क्लिक, क्लिक, और वो सोशल मीडिया में दोस्तों के बीच शेखी बघार कर पोस्ट डाल सके कि ये देखो साहब हम भी ठहरे बड़े वाले प्रकृति प्रेमी, पर्यावरणविद् और गौरेया के पक्षधर। एक दूसरी गौरेया- मुझे लगता है इसमें हमें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए, चाहे जो हो इन दशकों में उन्हें कम से कम हमारे अस्तित्व की चिंता तो हुई। एक बेबी गौरेया- हाँ यही मैं भी कह रही हूँ लेने दो उन्हें हमारी फोटू। कौन सा रोज-रोज लेते हैं कोई हमारी फोटू। कहकर छुटकी ढाई सेेंटीमीटर की मुस्कान मुस्कुरा दी। और साथ में एक दूसरा बेबी गौरेया भी अपने पोपले मुंह से खी-खी कर पेट पकड़ कर हंस पड़ा। एक सयाना चिड़ा- कुछ गं...
गाड़ी का धुआं दुनिया में हर पांचवीं मौत का ज़िम्मेदार!

गाड़ी का धुआं दुनिया में हर पांचवीं मौत का ज़िम्मेदार!

पर्यावरण
शोध : हार्वर्ड विश्विद्यालय  निशांत   आप और हम जब अपनी पेट्रोल और डीज़ल की गाड़ी में बैठ आराम से इधर से उधर जाते हैं तब हमारी गाड़ी से निकलने वाले धुआं दुनिया में होने वाली हर पांचवीं मौत का ज़िम्मेदार बन जाता है. बात भारत की करें because तो यहां जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होने वाले PM2.5 वायु प्रदूषण के परिणामस्वरूप हर साल 14 वर्ष से अधिक आयु के 2.5 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है. यह आंकड़ा भारत में 14 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की होने वाली सालाना 8 मिलियन मौतों का  लगभग 30 फ़ीसद है. बांग्लादेश, भारत और दक्षिण कोरिया इस संदर्भ में दुनिया में सबसे खराब उदाहरण हैं. भारत ये हैरान करने वाली बातें हार्वर्ड so यूनिवर्सिटी द्वारा यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम, यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्‍टर और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के सहयोग से किये गये एक ताज़ा शोध में कही गयी है. इस शोध से मिले आंकड़े पूर्व में किये गय...
दुनिया भर में वायु गुणवत्ता को ट्रैक करना हुआ सस्ता!

दुनिया भर में वायु गुणवत्ता को ट्रैक करना हुआ सस्ता!

पर्यावरण
निशांत ताज़ा वैश्विक आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि दुनिया का 90% हिस्सा वायु प्रदूषण के हानिकारक स्तरों से ग्रस्त हैं. और ऐसे में जब भारत सरकार ने because अपने ताज़ा बजट में वायु प्रदूषण से लड़ाई के लिए 2217 करोड़ खर्चने का प्रस्ताव किया है और पुराणी गाड़ियों के निस्तारण के लिए नीति बनाने की बात की है, तब कुछ उम्मीद बंधती है. बचपन लेकिन सिर्फ इतना काफ़ी नहीं. क्योंकि समस्या का स्वरुप बड़ा है. ओपनऐक्यू (OpenAQ), जो कि एक वैश्विक नॉन प्रॉफिट गैर सरकारी संगठन है, ने आज एक नए पायलट प्लेटफॉर्म की घोषणा की है जो c कि कम लागत वाले सेंसर को एकीकृत कर स्थानीय समुदायों में नागरिकों को वायु गुणवत्ता को ट्रैक करने और वायु प्रदूषण से लड़ने में सक्षम बनाएगा. बचपन OpenAQ के आंकड़ों के मुताबिक़ because दुनिया के सबसे बड़े शहरों में हाल ही में हुई एक जांच में पता चला है कि PM2.5 वायु प्रदूषण का...
कैसे रखा जाये पृथ्वी के फेफड़े का ख्याल, जब ब्राज़ील में पर्यावरण बजट का हुआ बुरा हाल?

कैसे रखा जाये पृथ्वी के फेफड़े का ख्याल, जब ब्राज़ील में पर्यावरण बजट का हुआ बुरा हाल?

पर्यावरण
निशांत पिछले हफ्ते भारत से वैक्सीन पा कर ब्राज़ील के प्रधान मंत्री जैयर बोल्सनारो ने हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाने वाले प्रकरण को याद करते हुए एक ट्वीट कर भारत को आभार व्यक्त किया और अच्छी ख़ासी सुर्खियाँ बटोरीं. बोल्स्नारो एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं. लेकिन गलत वजहों से. बोल्सनारो  बोल्सनारो को यूं ही because नहीं पर्यावरण विरोधी नहीं कहा जाता. बोल्सनारो प्रशासन एक बार फिर अपनी पर्यावरण विरोधी नीति के लिए सुर्ख़ियों में है. ब्राज़ील के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित 2021 का बजट पिछली शताब्दी के अंत के बाद से अब तक का सबसे कम बजट है. मौजूदा बजट प्रस्ताव बोल्सनारो प्रशासन द्वारा अपनाई गई पर्यावरणीय विघटन रणनीति को फिर से रेखांकित करता है. बजट दरअसल ब्राज़ील के पर्यावरण because मंत्रालय (MMA) और संबंधित एजेंसियों के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित 2021 का बजट पिछली शताब्दी के अं...
आज ही के दिन बदली थी कोविड को लेकर हमारी सोच

आज ही के दिन बदली थी कोविड को लेकर हमारी सोच

पर्यावरण
निशांत आज से ठीक एक साल पहले, 23 जनवरी 2020 को, चीन ने जब वुहान शहर में तालाबंदी लागू की थी, तब शायद पहली बार पूरी दुनिया ने कोविड को एक महामारी की शक्ल में संजीदगी से लिया था. खूबसूरती साल भर बाद आज कोविड-19 न सिर्फ पूरी दुनिया में ज़बरदस्त नुकसान पहुंचा चुका है, बल्कि इस ग्रह पर लगभग सभी की ज़िन्दगी को भी बदल चुका है. इस महामारी ने विश्व को because सोचने पर मजबूर कर दिया है और पुराने सभी मानदंडों को भी चुनौती भी दे दी है. इस वैश्विक महामारी ने जलवायु परिवर्तन के साथ मिल कर एक यौगिक संकट उत्पन्न कर दिया है. साथ ही प्रकृति के साथ मानव विकास को because संरेखित करने की आवश्यकता की याद दिला दी है, जो आने वाले वर्ष के लिए नई उम्मीदें प्रदान करता है. यह महत्वपूर्ण है कि हम कोविड 19 से सबक सीखें और साथ ही आगे के वर्ष  में उन चुनौतियों का समाधान करने की ओर आगे बढ़े. खूबसूरती कोविड-19 के नाश...
दुनिया वार्म हो रही है इसीलिए मौसम कोल्ड हो रहा है!

दुनिया वार्म हो रही है इसीलिए मौसम कोल्ड हो रहा है!

पर्यावरण
निशांत पिछला साल भले ही मानव इतिहास का सबसे गर्म साल रहा हो, लेकिन फ़िलहाल कई देशों में, 2021 की शुरुआत काफ़ी सर्द रही है. जहाँ because पड़ोसी देश चीन में, बीजिंग ने तो 20 वर्षों में सबसे कम तापमान दर्ज किया, तो स्पेन में, मैड्रिड ने हाल ही में, 1971 के बाद से सबसे तीव्र, एक भारी स्नोस्टॉर्म का अनुभव किया. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि एक तरफ़ दुनिया इतनी गर्म हो रही है तो दूसरी तरफ़ अचानक इतनी सर्दी भी पड़ रही है? आपको पढ़ कर अटपटा because लग सकता है लेकिन असलियत ये है कि अब सर्दियाँ अचानक इतनी भीषण इसलिए हो रही हैं क्योंकि दुनिया गर्म हो रही है. भीषण अंग्रेजी में इस छोटी अवधि की एकाएक आई शीत लहर कोल्ड स्नेप कहते हैं.  हैरत की बात ये है कि ये कोल्ड स्नैप्स उसी समय हो रहे हैं जब मौसम संबंधी एजेंसियां बताती हैं कि 2020 अब तक के सबसे गर्म सालों में था. यह घोषणा एक ग्लोबल वार्मिंग प्रवृत्ति की...
दुनिया के सबसे बड़े बैंक कर रहे हैं प्लास्टिक प्रदूषण का वित्त पोषण!

दुनिया के सबसे बड़े बैंक कर रहे हैं प्लास्टिक प्रदूषण का वित्त पोषण!

पर्यावरण
निशांत आज जरी बैंकरोलिंग प्लास्टिक्स रिपोर्ट से पाता चलता है कि दुनिया के सबसे बड़े बैंक प्लास्टिक प्रदूषण के संकट के लिए सह-जिम्मेदार हैं, और अपने ग्राहकों की नाराजगी को अनदेखा कर रहें  हैं. यह पहली बार है जब वैश्विक बैंकों द्वारा प्लास्टिक आपूर्ति श्रृंखला को प्रदान किए गए ऋणों की जांच की गयी है. प्लास्टिक की आपूर्ति श्रृंखला में अंधाधुंध वित्तपोषण से ये बैंक वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण को प्रबल करने में अपनी भूमिका को स्वीकार करने में विफल रहे हैं. साथ ही, वे प्लास्टिक उद्योग से संबंधित किसी भी परिश्रम प्रणाली, आकस्मिक ऋण मानदंड, या वित्तपोषण बहिष्करण को शुरू नहीं कर रहे हैं. बैंकरोलिंग प्लास्टिक्स, प्लास्टिक की आपूर्ति श्रृंखला के साथ प्रमुख कंपनियों को प्रदान किए गए वित्त की पहली जांच, द्वारा पाया गया है कि प्रमुख बैंक प्लास्टिक प्रदूषण संकट को दूर करने के लिए कोई प्रयास किए बिना पूं...