समसामयिक

क्रूरता की पराकाष्टा, चीन की कूटनीतिक चाल

क्रूरता की पराकाष्टा, चीन की कूटनीतिक चाल

समसामयिक
प्रेम पंचोली दुनियाभर के अधिकांश देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहे है। अपने अपने स्तर से लोग इस महामारी का मुकाबला कर रहे है। हालात ऐसी है कि विश्व पटल पर जनाधारित कार्यों निगरानी रखने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन की कार्रवाई भी मौजूदा समय में निष्क्रिय दिखाई दे रही है। ऐसा लोग सोसल मीडिया पर संवाद कायम कर रहे है। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनिया के लोगों की सेवा के लिए एक निगरानी करने वाली विश्वसनीय संस्था है। यदि ऐसी संस्थाएं लोगों का विश्वास खो रही है तो मानवता खतरे में जा रही है। जिस पर आज ही सोचा जाना लाजमी है। वुहान शहर में आप जैसे प्रवेश करेंगे आपको 200 मी. लम्बी सुरंग से गुजरना पड़ता, ताकि आप पूर्ण रूप से सैनिटाईज होकर जाये। ये ऐसे सवाल हैं, जिन पर भरोसा किया जा सकता है। अर्थात चीन को मालूम था कि वे इस मानवजनित कोरोना वायरस से निपट लेंगे। सन्देह क्यों है? इसलिए कि वुहान श...
अच्छी किस्म का बीज ने मिलने से काश्तकार लाचार

अच्छी किस्म का बीज ने मिलने से काश्तकार लाचार

उत्तराखंड हलचल, समसामयिक
डा० राजेंद्र कुकसाल जिन सपनों को लेकर पहाड़ी राज्य की स्थापना की गई थी, वे सपने आज भी सपने बन कर रह गये है उत्तराखंड राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में, नगदी फसल के रूप में अदरक का उत्पादन कई दशकों से किया जा रहा है। विभागीय आकड़ों के अनुसार 4876 हैक्टियर में अदरक की कास्त की जाती है, जिससे 47120 मैट्रिक टन का उत्पादन होता है।  अदरक की उन्नत किस्मों के बीज प्राप्त करने के मुख्य स्रोत हैं- 1-आई.आई.एस.आर प्रयोगिक क्षेत्र, केरल । 2-कृषि एवं तकनीकी वि० वि० पोट्टांगी उडीसा। 3- डॉ. यशवंत सिंघ परमार युनिवर्सिटी ऑफ़ हॉर्टिकल्चर एंड फोरेस्ट्री, नौणी सोलन, हिमाचल प्रदेश उद्यान विभाग विगत 20 - 30 बर्षो से 10 से 15 करोड़ रुपए का अदरक बीज उत्तर पूर्वी राज्यों से दलालों के माध्यम से मंगाता आ रहा है, यह बीज कृषकों को न तो समय पर मिलता है और न ही इस बीज से अच्छी उपज प्राप्त होती है किन्तु उद्...
कौन कह रहा है फैज़ साहब नास्तिक हैं? 

कौन कह रहा है फैज़ साहब नास्तिक हैं? 

समसामयिक
ललित फुलारा फैज़ साहब की मरहूम आत्मा अगर ये सब देख रही होगी तो जरूर सोच रही होगी कि मैं जब नास्तिक था और मार्क्सवादी था तो 'अल्लाह' काहे लिख दिया। अल्लाह लिखने से ही तो सारा खेल बिगड़ा है। मुझसे कोई कह रहा था कि इस शायरी/गाने को गुनगुनाने वाले लोग बस 'नाम रहेगा अल्लाह का' इसी वाक्य पर जोर देते हैं, खूब ताली पिटते हैं, आगे के ग्यारह शब्द बोलते ही नहीं है। बोलते भी हैं तो बेहद धीमी आवाज में ताकि उनका असल अर्थ समझ में न आए। शायर, लेखक, साहित्यकार और दार्शनिक तो होते ही बुद्धि से चालाक हैं, उनके लिए रचनात्मकता ही सबकुछ है, रचे गए शब्द। अर्थ आप अपने हिसाब से निकालिए, बुत को शासक का बुत बताइए या फिर... मंदिर की मूर्ति। अब बताइए जब बस नाम रहेगा अल्लाह का तो हमारा ईश्वर कहां जाएंगा? उनकी बात भी सही है। क्योंकि वो भी 'बस नाम रहेगा अल्लाह का' से खफा है, उसी तरह जैसे एक कट्टर मुस्लिम मित्र...
तार-तार होती गांवों की परंपरा, घर-घर पैदा हो रहे नेता

तार-तार होती गांवों की परंपरा, घर-घर पैदा हो रहे नेता

समसामयिक
पंचायत चुनाव किस्त— 1 शशि मोहन रवांल्टा मारी तो शरीप कंसराओ... मारी तो शरीप ये उंच बौख क डांडा कंसराओ ह्यू पड़ी बरिफ ये।। कंसराओ (कंसेरू) भटाओ (भाटिया) केशनाओ (कृष्णा).... हेड़ खेलण जाणू ये.... कंसराओ, भटाओ, केशनाओ.... हिमालय तीन गांवों का यह गीत अपने आप में एक because बहुत ही गहन संदेश छिपाए हुए है, जिसमें तीन गांवों की एकता को गीत के माध्यम से बखूबी दर्शाया गया है। इस लोक गीत के माध्यम से यह बताने की कोशिश की है कि इन तीनों की गांवों की एकता अटूट है। बर्फ हिमालय की ऊंची चोंटियां because जब बर्फ से आच्छादित हो जाती हैं, तो हम रवांल्टे अपने उच्च हिमालय क्षेत्र में आखेट करने जाते हैं जो हमारे हक—हकूक में शामिल है। जब हिमालय की because ऊंची चोटियों के साथ—साथ हमारे गांव—गोठ्यार तक बर्फ से लक—दक हो आते हैं तो उस दौरान हम हिमालय के वांशिदें अपनी पुरानी परंपराओं को आगे बढ़ाते ह...
अभिनेता और नाट्य निर्देशक भूपेश जोशी को मिलेगा 2018 का सफदर हाशमी पुरस्कार

अभिनेता और नाट्य निर्देशक भूपेश जोशी को मिलेगा 2018 का सफदर हाशमी पुरस्कार

समसामयिक
हिमांतर ब्यूरो  अपने अभिनय से किसी भी किरदार को सांरग बनाने और निर्देशन के जरिए नाटकों को समसामयिक मुद्दों और परिस्थियियों से जोड़ने में माहिर रंगकर्मी भूपेश जोशी को उत्तर प्रदेश की संगीत नाटक अकादमी की तरफ से 'सफदर हाशमी पुरस्कार 2018' दिए जाने की घोषणा हुई है। उन्हें यह पुरस्कार नाट्य निर्देशन की श्रेणी में दिया जाएगा। भूपेश जी पिछले 25 सालों से रंगमंच के क्षेत्र में सक्रिय हैं। 60 से ज्यादा नाटकों में अभिनय किया है। इन नाटकों के देश-विदेश में 400 से ज्यादा शो हुए हैं। अपनी मेहनत और लगन के बदौलत भूपेश दा ने 40 से भी ज्यादा नाटकों का निर्देशन किया है। अनेक नाट्य महोत्सवों में इन नाटकों के साथ भागीदारी की है। फीचर फिल्म पिंजर, चिंटू जी, किस्म लव पैसा दिल्ली, सौन चिरैया सहित विभिन्न फिल्मों में काम भी किया है। स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले सीरियल दहलीज और डीडी वन पर आने वाले तुम...
‘एक प्रेमकथा का अंत’ का लोकार्पण

‘एक प्रेमकथा का अंत’ का लोकार्पण

समसामयिक
रवांई क्षेत्र की सुप्रसिद्ध लोकगाथा गजू मलारी पर आधारित नाटक 'एक प्रेम कथा का अंत' — महाबीर रवांल्टा सामाजिक एवं पर्यावरणीय कल्याण समिति (सेवा) व टीम रवांई लोक महोत्सव के संयुक्त तत्वावधान में यमुना वैली पब्लिक स्कूल नौगांव में आयोजित कार्यक्रम में रवांई क्षेत्र की सुप्रसिद्ध लोकगाथा गजू मलारी पर आधारित नाटक एक प्रेमकथा का अंत का लोकार्पण हेमवतीनन्दन बहुगुणा गढ़वाल(केन्द्रीय)विश्व विद्यालय श्रीगर गढ़वाल के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र के असिस्टेंट प्रोफेसर डा अजीत पंवार, जिला शैक्षणिक प्रशिक्षण संस्थान बडकोट के प्राचार्य वी पी सेमल्टी, रंगकर्मी पृथ्वीराज कपूर, वयोवृद्ध कवि खिलानन्द बिजल्वाण, डा मनमोहन रावत, युवा कवि दिनेश रावत, क्षेत्र पंचायत प्रमुख रचना बहुगुणा की मंच पर उपस्थिति के साथ हुआ ।अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्य क्रम का आरम्भ हुआ। लोक गायक जितेन्द्र राण...