घर ही नहीं, मन को भी ज्योर्तिमय करता है ‘भद्याऊ’
दिनेश रावत
वर्षा काल की हरियाली कितना आनंदित करती है। बात गांव, घरों के आस-पास की हो, चाहे दूर-दराज़ पहाड़ियों की। आकाश से बरसती बूंदों का स्पर्श और धरती का प्रेम, पोषण पाकर वनस्पति जगत का नन्हा-सा नन्हा पौधा भी मानो प्रकृति का श्रृंगार करने को दिन दुगुनी, रात चैगुनी कामना के साथ आतुर, विस्तार पा रहा हो, तभी नज़र आती है धरती अनेकानेक वनस्पतियों से सुसज्जित। खेतों में लहलहाती फसलें जहां मन को मदमस्त कर देती है तो गांव, घरों के आस-पास खेतों, खलियानों, आंगन, गली, चैबारों में उगी अत्यधिक घास-फूस, झाड़ियां अनावश्यक परेशानी का सबब भी बन जाती हैं। बरसात के इस मौसम में चाद तो मानो कई-कई दिनों के लिए खुद को बादलों की गोद में छुपा लेता है। कीट-पतंग, सांप, चूहों की प्रजातियों को देख भी आभास होता है मानो अतिरेक विस्तार पा लिया हो। घरों के आस-पास तैयार मक्का, ककड़ी आदि की फसलों को देख जंगली जानवर भी इनका...