Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
जानिये क्या है चिलगोजा और क्या हैं इसके फायदे

जानिये क्या है चिलगोजा और क्या हैं इसके फायदे

अभिनव पहल, उत्तराखंड हलचल, हिमालयी राज्य
अधिकतर लोग ये समझते हैं कि उत्तराखंड में उगने वाले चीड़ से ही चिलगोजा ड्राई फ्रूट निकलता है लेकिन यह जानकारी गलत है! जे.पी. मैठाणी क्या आपने चिलगोजा का नाम सुना है? शायद नहीं सुना होगा, क्योंकि बहुत कम लोगों को यह पता होता है कि चिलगोजा क्या होता है, चिलगोजा खाने के फायदे क्या हैं, और चिलगोजा का उपयोग कैसे किया जाता है? यदि सचमुच आपको चिलगोजा के फायदे के बारे में जानकारी नहीं है, तो यह जानकारी आपके लिए बहुत उपेयागी है। यदि आप जानते हैं कि चिलगोजा का इस्तेमाल किस काम में किया जाता है, तो भी यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आपको चिलगोजा से होने वाले एक-दो फायदे की जानकारी होगी, लेकिन सच यह है कि चिलगोजा के अनेकों फायदे हैं। चिलगोजा का इस्तेमाल मेवे के रूप में होता है। यह एक पौष्टिक तथा स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ एक औषधि भी है। चिलगोजा के तेल का भी प्रयोग औषधि के र...
उत्तराखंड औद्योगिक भांग की खेती आधारित स्वरोजगार का इतिहास 210 वर्ष पुराना

उत्तराखंड औद्योगिक भांग की खेती आधारित स्वरोजगार का इतिहास 210 वर्ष पुराना

अभिनव पहल, इतिहास, उत्तराखंड हलचल
औद्योगिक भांग की खेती को लेकर विभागों एवं एजेंसियों में तालमेल का अभाव जे.पी. मैठाणी उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है जहां औद्योगिक भांग के व्यावसायिक खेती का लाइसेंस इसके कॉस्मेटिक एवं औषधिय उपयोग के लिए दिया जाने लगा है, लेकिन दूसरी तरफ औद्योगिक भांग के लो टीचीएसी (टेट्रा हाइड्रा कैनाबिनोल) वाले बीज कहां से मिलेंगे इसके बारे में कोई जानकारी स्पष्ट नहीं है। पर्वतीय क्षेत्रों में 1910 से पूर्व अंग्रेजों के जमाने से अल्मोड़ा और गढ़वाल जिलों (वर्तमान का पौड़ी, चमोली, रूद्रप्रयाग, बागेश्वर, पिथौरागढ़) में रेशे और मसाले के लिए भांग की व्यावसायिक खेती की अनुमति का प्रावधान कानून में है। हालांकि राज्य में विभिन्न एजेंसियां भांग की व्यावसायिक खेती शुरू करने की बात पिछले दो वर्ष कर रही हैं, लेकिन उत्तराखंड में लो टीचीएससी का बीज किसी एजेंसी के पास आम पहाड़ी किसानों के लिए जब उपलब...
कौन कह रहा है फैज़ साहब नास्तिक हैं? 

कौन कह रहा है फैज़ साहब नास्तिक हैं? 

समसामयिक
ललित फुलारा फैज़ साहब की मरहूम आत्मा अगर ये सब देख रही होगी तो जरूर सोच रही होगी कि मैं जब नास्तिक था और मार्क्सवादी था तो 'अल्लाह' काहे लिख दिया। अल्लाह लिखने से ही तो सारा खेल बिगड़ा है। मुझसे कोई कह रहा था कि इस शायरी/गाने को गुनगुनाने वाले लोग बस 'नाम रहेगा अल्लाह का' इसी वाक्य पर जोर देते हैं, खूब ताली पिटते हैं, आगे के ग्यारह शब्द बोलते ही नहीं है। बोलते भी हैं तो बेहद धीमी आवाज में ताकि उनका असल अर्थ समझ में न आए। शायर, लेखक, साहित्यकार और दार्शनिक तो होते ही बुद्धि से चालाक हैं, उनके लिए रचनात्मकता ही सबकुछ है, रचे गए शब्द। अर्थ आप अपने हिसाब से निकालिए, बुत को शासक का बुत बताइए या फिर... मंदिर की मूर्ति। अब बताइए जब बस नाम रहेगा अल्लाह का तो हमारा ईश्वर कहां जाएंगा? उनकी बात भी सही है। क्योंकि वो भी 'बस नाम रहेगा अल्लाह का' से खफा है, उसी तरह जैसे एक कट्टर मुस्लिम मित्र...
संस्कृति का समागम, समृद्धि की ओर बढ़ते कदम

संस्कृति का समागम, समृद्धि की ओर बढ़ते कदम

उत्तराखंड हलचल, साहित्‍य-संस्कृति
प्रदीप रावत (रवांल्टा) रवांई की समृद्ध संस्कृति को नए फलक पर ले जाने का मंच है रवांई लोक महोत्सव। इस लोक महोत्सव में रवांई की समृद्ध संस्कृति का अद्भुत समागम देखने को मिलता है। इसमें स्कूल के नन्हें कलाकारों से लेकर चोटी के कलाकारों तक हर किसी की प्रस्तुति होती है। संस्कृति के इस समागम को देखने और आत्मसात करने ना केवल रवांई घाटी के लोग बल्कि जौनसार—बावर, जौनपुर और जौनपुर से लगे टिहरी जिले के लोग भी आते हैं। इतना ही नहीं, अपने तीन साल के साफर में रवांई लोग महोत्सव ने अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर तक बनाई है। इस महोत्सव को देखने और जानने के लिए जहां दिल्ली और दूसरे राज्यों से पत्रकार और संस्कृति विशेषज्ञ आए थे, वहीं लोक संस्कृति पर शोध कर रहे शोधार्थी भी गुजरात से शोध के लिए पहुंचे थे। पहला दिन : स्कूली बच्चों के नाम 28 से 30 दिसंबर तक चले तीन दिवसीय रवांई लोक महोत्सव का पहला दिन स्कूली बच्...
Twelve new lenses you won’t be able to live without

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उत्तराखंड हलचल
Shall their, them tree and creeping moveth Green. Yielding stars bearing lesser. Us likeness without they're they're greater. You said let saying. Moveth whose let in living. Have. Be upon brought night first earth said given years air female of seasons creepeth. Subdue subdue living. Fourth. Said you're seed hath light fish signs dry under behold the. Greater made second. Deep beast grass fly seed May earth fruitful evening called lesser. Under good said Seas form. Fruitful. Divide our his hath you'll void living be man appear. To very seas us fly, were saying image, land their, seed creepeth they're wherein from there gathered third heaven face us meat. Darkness fish replenish one. Fourth be so his whose under together kind had. Isn't so great can't shall saying Sixth in. Own the god you...
World Cycling event never before

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उत्तराखंड हलचल
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Kayak competition successfully in Ozona

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उत्तराखंड हलचल
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Paul Adams make new record in motor biking

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उत्तराखंड हलचल
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Trisha suffer accidental in cross country skiing

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उत्तराखंड हलचल
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आमा बीते जीवन की स्मृतियों को दोहराती होंगी

आमा बीते जीवन की स्मृतियों को दोहराती होंगी

संस्मरण, साहित्‍य-संस्कृति
नीलम पांडेय वे घुमंतु नही थे, और ना ही बंजारे ही थे। वे तो निरपट पहाड़ी थे। मोटर तो तब उधर आती-जाती ही नहीं थी। हालांकि बाद में 1920 के आसपास मोटर गाड़ी आने लगी लेकिन शुरुआत में अधिकतर जनसामान्य मोटर गाड़ी को देखकर डरते भी थे, रामनगर से रानीखेत (आने जाने) के लिए बैलगाड़ी और पैदल ही सफर करने की लंबी कठिन यात्रा को जब वे पूरा कर लेते तो वापस लौटते हुए, एक दो रात्रि चैन का पड़ाव रानीखेत में भी गुजारा करते थे। आने—जाने की इसी प्रक्रिया में पड़ाव के साथ-साथ कुछ जगह रहने के ठिकाने भी बनते गए। उनके पास मेरे लिए पढ़ने के आलावा भविष्य बनाने का अचूक उपाय भी था, जो एक लोक गीत के रूप में मुझे रटाया भी गया था "बानरे आंखी छिलूकै की राखी, बौज्यू मै बनार कैं दिया, बानर जांछ हांई फांई बौजयू मैं बानर कै दिया," मां को विश्वास हो गया था इस गीत और पारम्परिक कहानियों से मैं पांचवीं पास भी कर लूं तो गनीम...