पहाड़ में बालिका शिक्षा की दशा एवं दिशा: नई शिक्षा नीति के संदर्भ
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भाग-7
डॉ. अमिता प्रकाश
शिक्षा, वह व्यवस्था जिसे मनुष्य ने अपने कल्याण के लिए, अपनी दिनचर्या में शामिल किया . मनुष्य की निरंतर बढ़ती मानसिक शक्तियों ने स्वयं को अपने परिवेश को, अपने सुख-दुख, आशाओं–आकांक्षाओं को व्यक्त और अनुभूत करने के लिए जो कुछ किया, वह जब दूसरों के द्वारा अनुकृत किया गया या अपने जीवन में उतारा गया तो वह सीख या शिक्षा कहलाया. धीरे-धीरे बदलते मानव समाज के साथ यह स्वाभाविक प्रक्रिया अस्वाभाविक और यांत्रिक होती चली गयी.
भारत में शिक्षा को लेकर आजादी के समय से ही दोहरा रवैया रहा है. एक ओर राजा राममोहन राय जैसे विद्वान थे जो पश्चिमी शिक्षा से ही भारतवासियों की उन्नति को संभव देख रहे थे, तो वहीं दूसरी ओर महात्मा गांधीजी का विचार था कि भारतीय जीवन पद्धति के अनुसार यहां की परंपरागत शिक्षा को बढ़ावा दिया जाय, और ग्रामीण स्तर से भारत को मजबूत किय...