Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
ये तो  पापा की परी है…

ये तो पापा की परी है…

आधी आबादी
विश्व बेटी दिवस पर विशेष डॉ. दीपा चौहान राणा यूँ  तो बेटी हर किसी कीbecauseलाडली होती है, पर क्या आप जानते हैं कि एक बेटी अपने पिता की जान होती है. आज बेटियों के लिए बेहद खास दिन है, क्योंकि आज डॉटर्स-डे यानी विश्‍व बेटी दिवस है. दुनिया भर में यह दिन अलग-अलग महीनों में मनाया जाता है, लेकिन भारत में यह दिन सितंबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता है. सप्तेश्वर बेटियां आज भले ही किसी भी so क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. हर क्षेत्र में हैं वो तरक्की कर रही हैं, लेकिन आज भी समाज में कई जगह उन्हें कमतर आंका जाता है. इसे देखते हुए कुछ देश की सरकार ने मिलकर समानता को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया. जिससे लोग जागरूक हो और इस बात को समझे कि हर इंसान बराबर है. सप्तेश्वर सप्तेश्वर यूं तो बेटी हर किसी की butलाडली होती है, पर क्या आप जानते हैं कि बेटी और पिता के बीच खास बॉन्डिंग क्यों होती ...
एडवेंचर, एक्साइटमेंट और थ्रिल से भरपूर है सप्तेश्वर ट्रैक

एडवेंचर, एक्साइटमेंट और थ्रिल से भरपूर है सप्तेश्वर ट्रैक

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उत्तराखंड के चम्पावत जिले से 25 becauseकिलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह ट्रैक गौरव कुमार बोहरा हाँ, यह सच है, जिंदगी का हर लम्हाbecause बहुत छोटा-सा है. कितने दिन, महीने और साल निकल गये, पता ही नही चला. जो बात समझ में आई वह यह कि कल की कोई बुनियाद नहीं है और आने वाला कल तो सिर्फ सपनो में ही है. अब बच गये इस पल में और becauseतमन्नाओं से भरी इस जिन्दगी में हम सिर्फ भाग रहे हैं. वो भी अंधाधुन्द, तो दोस्तों रफ़्तार थोड़ी धीमी करो और इस जिन्दगी को जम के जियो. सप्तेश्वर वो कहते हैं ना कि दिल से सोचो कहाँ जाना है butतो दिमाग खुद-ब-खुद तरकीब निकाल लेगा. पिछले कई समय से सप्तेश्वर ट्रैक का प्लान था लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से इस ट्रैक का प्लान पूरा नहीं हो पाया. अबकी बार मानो मौका और दस्तूर दोनों ही थे. becauseदिन छुट्टी का और मौसम एकदम सुहावना. सुहावना सप्तेश्वर ट्रैक मार्च 2020 के...
भारतीय काल गणना में ‘अधिमास’ की अवधारणा

भारतीय काल गणना में ‘अधिमास’ की अवधारणा

अध्यात्म
डॉ. मोहन चंद तिवारी इस वर्ष 18 सितंबर से 'अधिमास' प्रारंभ becauseहो चुका है,जो 16 अक्टूबर को समाप्त होगा.और 17 अक्टूबर से नवरात्र प्रारम्भ होंगे. यह 'अधिमास','अधिक मास', 'मलमास' और 'पुरुषोत्तम मास' आदि नामों से भी जाना जाता है. 'अधिमास' के कारण इस बार दो आश्विन मास पड़े हैं. साथ ही चतुर्मास भी पांच महीनों का हो गया है और नवरात्रि जो श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के साथ ही शुरू हो जाती थी वह भी एक महीने पीछे खिसक गई है. घासी विदित हो कि भारतीय पंचांग के becauseअनुसार वर्त्तमान विक्रम संवत 2077 में मान्य 60 संवत्सरों में 47वां 'प्रमादी' नामक संवत्सर चल रहा है. 'संवत्सर' उसे कहते हैं जिसमें मास आदि भली भांति निवास करते रहें. इसका दूसरा अर्थ है बारह महीने का काल विशेष. इस नए संवत की खास विशेषता यह है कि इस बार दो आश्विन मास होने के कारण वर्ष बारह नहीं बल्कि तेरह महीनों का होगा और श्राद्ध ...
घासी, रवीश कुमार, और लिट्टी-चौखा

घासी, रवीश कुमार, और लिट्टी-चौखा

साहित्यिक-हलचल
ललित फुलारा एक बार मैं घासी के साथ रिक्शे पर बैठकर जा रहा था. हम दोनों एक मुद्दे को लपकते और दूसरे को छोड़ते हुए बातचीत में मग्न थे. तभी पता नहीं उसे क्या हुआ? नाक की तरफ आती हुई becauseअपनी भेंगी आंख से मेरी ओर देखते हुए बोला 'गुरुजी कॉलेज भी खत्म होने वाला है.. जेब पाई-पाई को मोहताज है.. खर्च बढ़ता जा रहा है.. घर वालों की रेल बनी हुई है.. नौकरी की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं दिख रही. भविष्य का क्या होगा पता नहीं!' घासी चेले के भविष्य की जरा-सी भी चिंता नहीं है आपको. जब देखों चर्चाओं का रस लेते रहते हो.' उसके मुंह से यह बात सुनकर मुझे बेहद शर्मिंदगी हुई. रिक्शे में एक butऔर व्यक्ति बैठे थे. जब हम तीनों एक साथ उतरे उन्होंने घासी से कुछ कहना चाहा पर उसने उनको अनदेखा कर दिया. मेरे हाथ से बटुआ लिया.. तीस रुपये निकालकर रिक्शे वाले को थमाए और आगे बढ़ गया. घासी उसकी बात एकदम सही...
वो “सल्डी सुंगनाथ” और देवीदत्त मासीवाल का फ़ोटो स्टूडियो

वो “सल्डी सुंगनाथ” और देवीदत्त मासीवाल का फ़ोटो स्टूडियो

संस्मरण
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—52 प्रकाश उप्रेती तब कैमरे का फ्लैश चमकना भी चमत्कार लगता था. कैमरा देख लेना ही चाक्षुष तृप्ति का चरम था. देखने के लिए हम सभी बच्चों की भीड़ इकट्ठा हो जाया करती थी और कैमरे को लेकर हम becauseअपना गूढ़ ज्ञान आपस में साझा करते थे. हम सबकी बातों में यह बात कॉमन होती कि- "हां यार कैमरा गोर कदयूं" (कैमरा गोरा कर देता है). इसके बाद जिसमें फेंकने का जितना सामर्थ्य होता वह उतनी बातें बनाता था. जबकि कैमरा हम सब ने दूर से ही देखा होता था. कैमरा गाँव में तब फ़ोटो खिंचाने के कुछ ही मौके होते थे. so उनमें से एक गाँव की 'दीदियों' (बहनों) द्वारा शादी के लिए फोटो खिंचवाने का होता था. एकदम चटक रंग के सूट में फ़ोटो खिंचवाया जाता था जिसमें अक्सर पीछे का बैकग्राउंड हरा, नीला और आसमानी होता था. फ़ोटो एकदम सावधान की मुद्रा में खिंचवाया जाता था. उसमें कोई भाव या पोज़ नहीं...
ऑक्सफोर्ड, हिन्दी और इमरै बंघा

ऑक्सफोर्ड, हिन्दी और इमरै बंघा

संस्मरण
बुदापैश्त डायरी-13 डॉ. विजया सती बुदापैश्त में हिन्दी पढ़ने वाले विद्यार्थियों का because अध्ययन ब्रजभाषा काव्य पढ़े बिना पूरा नहीं होता और इस भाषा के विशेषज्ञ के रूप में वहां निमंत्रित होते हैं डॉ इमरै बंघा. बुदापैश्त डॉ बंघा बुदापैश्त में इंडोलोजी के छात्र रहे but और विश्वभारती, शान्तिनिकेतन में शोधार्थी. वर्तमान में वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ओरिएंटल इन्सटीट्यूट में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं, जहां वे हिन्दी, उर्दू और बँगला पाठ पढ़ाते हैं. बुदापैश्त भारतीय साहित्य पर कई पुस्तकों और आलेखों के रचयिता डॉ बंघा का लेखन अंग्रेजी, हिंदी और हंगेरियन में प्रकाशित है. उनका मुख्य काम ब्रजभाषा पर है – ‘सनेह को मारग - so आनंदघन का जीवन वृत्त’ – उनकी इस पुस्तक का प्रकाशन भारत में हुआ. बुदापैश्त हिन्दी की मध्यकालीन कविता, because विशेष रूप से तुलसीदास में अभिरुचि रखने वाले डॉ इमरै बं...
स्कूली शिक्षा की वैकल्पिक राहें

स्कूली शिक्षा की वैकल्पिक राहें

शिक्षा
गांधी जी ने शिक्षा के सुन्दर वृक्ष के समूल विनाश के लिए अंग्रेजों को उत्तरदायी ठहराया था... प्रो. गिरीश्वर मिश्र स्कूली शिक्षा सभ्य बनाने के लिए एक अनिवार्य व्यवस्था बन चुकी है. शिक्षा का अधिकार संविधान का अंश बन चुका है. भारत में स्कूलों पर प्रवेश के लिए बड़ा दबाव है और अभी करोड़ों बच्चे because स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और जो स्कूल जा रहे हैं उनमें से काफी बड़ी संख्या में बीच में ही स्कूल की पढाई छोड़ दे रहे हैं. यानी शिक्षा के सार्वभौमीकरण का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है. दूसरी तरफ स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को ले कर भी सवाल खड़े होते रहे हैं. सभी बच्चों को उनकी रुचि, क्षमता और स्थानीय सांस्कृतिक प्रासंगिकता आदि को दर किनार रख सभी को एक ही ढाँचे में एक ही तरह के सांचे में ढाल कर शिक्षा की व्यवस्था की जाती है. स्कूली शिक्षा गांधी जी ने शिक्षा के सुन्दर वृक्ष के समूल विनाश के लिए ...