Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
राष्ट्रीय बीज निगम के सीएसडी ने कृषि मंत्री को सौंपा लाभांश का चेक

राष्ट्रीय बीज निगम के सीएसडी ने कृषि मंत्री को सौंपा लाभांश का चेक

समसामयिक
वाई एस बिष्ट पूसा के राष्ट्रीय बीज भवन पर राष्ट्रीय बीज निगम लि. (भारत सरकार का उपक्रम ‘मिनी रत्न’ कंपनी) ने भारत सरकार के कृषि मंत्री को 8 करोड़, 97 लाख, 58 हजार, so 722 रूपए लाभांश का चैक सौंपा. यह चेक विनोद कुमार गौड़, सीएमडी, एनएससी ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, कृषि राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला और कृषि राज्य मंत्री कैलाश चैधरी को सौंपा. विनोद कुमार गौड़ इस अवसर पर कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि खेती के क्षेत्र में बीज की बड़ी महत्ता है, ऐसे में बीज के क्षेत्र में काम करने वालों की बहुत अहम because जवाबदेही होती है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति हो या संस्था, दोनों को सफर के स्मरण को संजोना बहुत ही सुखद होता है. इस अवसर पर सीड ट्रेसबिलिटी मोबाइल एप लांच किया. इस एप के माध्यम से असली बीजों की जानकारी मिलेगी और किसान धोखाधड़ी से बच सकेंगे. because केंद्रीय मंत्री ने इस ...
कंडोलिया थीम पार्क: लाइट एंड लेजर शो ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

कंडोलिया थीम पार्क: लाइट एंड लेजर शो ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

पौड़ी गढ़वाल
सीएम ने जनता को किया समर्पित कंडोलिया थीम पार्क हिमांतर ब्‍यूरो, देहरादून पौड़ी में आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नेbecause कंडोलिया के थीम पार्क को जनता को समर्पित किया. इस मौके पर स्कूली बच्चों की प्रस्तुतियां व पार्क में लाइट एंड लेजर शो का कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र रहे. कंडोलिया पौड़ी पहुंचने पर सबसे because पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कंडोलिया ठाकुर के दर्शन किए और सभी की खुशहाली की कामना की. इसके बाद उन्होंने कंडोलिया थीम पार्क का उद्धघाटन करते हुए सभी को कंडोलिया के थीम पार्क की बधाइयां दी. उन्होंने कहा कि कंडोलिया देश के सर्वोच्च उंचाई वाला थीम पार्क है. पहाड़ की भौगोलिक स्थितियों के अनुरूप बने इस पार्क के माध्यम से हम पर्यटन विकास को so आगे बढ़ा सकते हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक हमारे राज्य में धार्मिक पर्यटक ही आते हैं लेकिन अब इसे और विस्तार देने का प्...
कैसे रखा जाये पृथ्वी के फेफड़े का ख्याल, जब ब्राज़ील में पर्यावरण बजट का हुआ बुरा हाल?

कैसे रखा जाये पृथ्वी के फेफड़े का ख्याल, जब ब्राज़ील में पर्यावरण बजट का हुआ बुरा हाल?

पर्यावरण
निशांत पिछले हफ्ते भारत से वैक्सीन पा कर ब्राज़ील के प्रधान मंत्री जैयर बोल्सनारो ने हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाने वाले प्रकरण को याद करते हुए एक ट्वीट कर भारत को आभार व्यक्त किया और अच्छी ख़ासी सुर्खियाँ बटोरीं. बोल्स्नारो एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं. लेकिन गलत वजहों से. बोल्सनारो  बोल्सनारो को यूं ही because नहीं पर्यावरण विरोधी नहीं कहा जाता. बोल्सनारो प्रशासन एक बार फिर अपनी पर्यावरण विरोधी नीति के लिए सुर्ख़ियों में है. ब्राज़ील के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित 2021 का बजट पिछली शताब्दी के अंत के बाद से अब तक का सबसे कम बजट है. मौजूदा बजट प्रस्ताव बोल्सनारो प्रशासन द्वारा अपनाई गई पर्यावरणीय विघटन रणनीति को फिर से रेखांकित करता है. बजट दरअसल ब्राज़ील के पर्यावरण because मंत्रालय (MMA) और संबंधित एजेंसियों के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित 2021 का बजट पिछली शताब्दी के अं...
कब पूरा होगा गांधी जी के ‘ग्राम स्वराज’ का अधूरा सपना?

कब पूरा होगा गांधी जी के ‘ग्राम स्वराज’ का अधूरा सपना?

समसामयिक
गणतंत्र दिवस पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज 26 जनवरी का दिन पूरे देश में गणतंत्र दिवस के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. 26 जनवरी सन् 1950 को देश का संविधान लागू किया गया because और हमारे देश भारत को गणतंत्र देश के रूप में घोषित किया गया था.उसी उपलक्ष में भारत देश के प्रत्येक नागरिक के द्वारा गणतंत्र दिवस को बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. माथा भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास में यह दिन इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि 31 दिसम्बर,1929 को पं.जवाहर so लाल नेहरू की अध्यक्षता में लाहौर में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में ब्रिटिश साम्राज्यवादी शासकों के सामने यह मांग रखी गई थी, कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी,1930 तक भारत को 'डोमेनियम स्टेटस' नहीं प्रदान करेगी तो भारत अपने को पूर्ण स्वतंत्र घोषित कर देगा. किन्तु अंग्रेज सरकार पर इस घोषणा का कोई असर न...
आन-बान और शान की प्रतीक हैं टोपियां…

आन-बान और शान की प्रतीक हैं टोपियां…

साहित्‍य-संस्कृति
सुनीता भट्ट पैन्यूली सर्द मौसम है, कभी बादल सूर्य को आगोश में ले लेते हैं कभी सूरज देवता बादलों को पछाड़कर धूप फेंकते यहां-वहां नज़र आ जाते हैं, कभी पेड़ो के झुरमुट में, कभी आसमान so में प्रचंड चमकते, कभी खेतों के पीछे, कभी पहाड़ियों में धीरे-धीरे सरकते कभी नदी का माथा  चूमते किंतु इस धूप में ताबिश नहीं है बनिस्बत इसके सर्दी की धूप में कहीं न कहीं नमी भी है. जरा-सी धूप मलने का मन हो देह में तो एक चुभन भरी हवा चेहरे को छूकर, सर्र से कानों से होकर गुज़र जाती है. माथा फिर क्या किया जाये? नमी और कोहरे भरे दिन से धूप का आंख-मिचौली करना कहां सुकून दे पाता है ठिठुरते शरीर को. झट से ओढ़ लिये जाते हैं शाल, स्कार्फ, so कैप या टोपी तब कहीं जाकर निजात मिल पाती है ठंड से. कड़कड़ाती ठंड  हो और दांत किटकिटा रहे हों ऐसे में टोपी, स्कार्फ़ मफलर पहनने का ख़्याल न आये तो सर्दी का मजा लेना बेईमानी है....
आज ही के दिन बदली थी कोविड को लेकर हमारी सोच

आज ही के दिन बदली थी कोविड को लेकर हमारी सोच

पर्यावरण
निशांत आज से ठीक एक साल पहले, 23 जनवरी 2020 को, चीन ने जब वुहान शहर में तालाबंदी लागू की थी, तब शायद पहली बार पूरी दुनिया ने कोविड को एक महामारी की शक्ल में संजीदगी से लिया था. खूबसूरती साल भर बाद आज कोविड-19 न सिर्फ पूरी दुनिया में ज़बरदस्त नुकसान पहुंचा चुका है, बल्कि इस ग्रह पर लगभग सभी की ज़िन्दगी को भी बदल चुका है. इस महामारी ने विश्व को because सोचने पर मजबूर कर दिया है और पुराने सभी मानदंडों को भी चुनौती भी दे दी है. इस वैश्विक महामारी ने जलवायु परिवर्तन के साथ मिल कर एक यौगिक संकट उत्पन्न कर दिया है. साथ ही प्रकृति के साथ मानव विकास को because संरेखित करने की आवश्यकता की याद दिला दी है, जो आने वाले वर्ष के लिए नई उम्मीदें प्रदान करता है. यह महत्वपूर्ण है कि हम कोविड 19 से सबक सीखें और साथ ही आगे के वर्ष  में उन चुनौतियों का समाधान करने की ओर आगे बढ़े. खूबसूरती कोविड-19 के नाश...
स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिवीर नेताजी सुभाष चंद्र बोस

स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिवीर नेताजी सुभाष चंद्र बोस

इतिहास
125वीं जन्मजयंती पर नेताजी को ‘भारतराष्ट्र’ का शत् शत् नमन डॉ. मोहन चंद तिवारी आज भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी क्रांतिवीर नेता सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जन्म जयंती है.समूचा देश नेता जी की इस जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मना रहा है. यह भी स्वागत योग्य है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के सभी शिक्षण संस्थानों से कहा है कि वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की because इस 125वीं जयंती को मनाने के लिए ऑनलाइन व्याख्यान, वेबिनार, खेल गतिविधियों और अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन करें. यूजीसी ने अपने पत्र में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा है कि वे राष्ट्र के प्रति नेताजी की अदम्य भावना और निःस्वार्थ सेवाओं के उपलक्ष्य में साल भर शैक्षिक गतिविधियों का आयोजन करें. नेता जी 'नेताजी' के नाम से विख्यात सुभाष चन्द्र बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में स्व...
गोपाल की ईमानदारी व परिश्रम का हर कोई कायल है…

गोपाल की ईमानदारी व परिश्रम का हर कोई कायल है…

संस्मरण
गोपाल आ गया है… प्रकाश चन्द्र पुनेठा मैं अपने एक मंजिले भवन को परिवार के सदस्यों की भविष्य में संख्या बढ़ने के बारे में सोचता हुआ दुमंजिला बनवा रहा था. इस कार्य के लिए मजदूरों की आवश्यकता थी. पिथौरागढ़ में स्थानीय मजदूर न के बराबर मिलते है. अतः यहां मजदूर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार व पड़ोसी देश नेपाल उपलब्ध हो पाते हैं. बिहार के अधिकतर कुशल मजदूर हैं. राजमिस्त्री, कारपेन्टर, पेन्टर व लोहा काटने वाले कुशल मजदूर अधिकतर बिहार राज्य के मिलते है. वर्तमान में जहां भी भवन निर्माण कार्य हो रहा हैं वहां बिहार के मजदूरों का अधिपत्य हैं. अकुशल मजदूर पूर्वी उत्तर प्रदेश या नेपाल के मिलते है. शारीरिक श्रम में एक नेपाली मजदूर अन्य क्षेत्रों के मजदूरों की अपेक्षा अधिक सक्षम होते हैं. नेपाल जब मेरा मेरा मकान पूर्ण रुप से निर्मित हो गया. सब मजदूर अपनी मजदूरी लेकर संतुष्ट होकर चले गए. किन्तु गोपा...
‘लोक में पर्व और परम्परा’

‘लोक में पर्व और परम्परा’

पुस्तक-समीक्षा
‘जी रया जागि रया, यो दिन यो मास भेंटने रया, दुब जस पनपी जाया’ अरुण कुकसाल हिमालयी क्षेत्र एवं समाज के जानकार लेखक चन्द्रशेखर तिवारी की नवीन पुस्तक ‘लोक में पर्व और परम्परा’ कुमाऊं अंचल के सन्दर्भ में एक सामाजिक, सांस्कृतिक so और पर्यावरणीय विवेचन प्रस्तुत करती है. कुमाऊंनी जनजीवन के जीवन-मूल्यों एवं जीवंतता को यह पुस्तक खूबसूरती से बताती है. कुमाऊं अंचल के पर्व, परम्परा और संवाहक खंडों के फैलाव में 8 अध्यायों की यह पुस्तक है. पर्व खंड में- हरेला, सातूं-आठूं और गंगा दशहरा, परम्परा खंड में- कुमांऊ के विवाह संस्कार, नौल-धार और कुमाऊं के वस्त्राभूषण तथा संवाहक खंड में- लोकगायिका नईमा खान उप्रेती और कबूतरी because देवी के बारे में इस किताब में बेहतरीन जानकारी है. किताब में समाज वैज्ञानिक के बतौर चन्द्रशेखर तिवारी ने अपनी लेखकीय दृष्टि को पूरी तरह से शोधपरख रखा है. किताब का प्रकाशन...
जहां न्‍याय के लिए गुहार लगाने पहुंचते हैं लोग…

जहां न्‍याय के लिए गुहार लगाने पहुंचते हैं लोग…

साहित्‍य-संस्कृति
कुमाऊंनी से कुछ अलग है न्याय देवता गोरिल की गढ़वाली जागर कथा न्यायदेवता गोरिल पर एक शोधपूर्ण लेख डॉ. मोहन चंद तिवारी कुमाऊं और गढ़वाल के विभिन्न क्षेत्रों में 'ग्वेल देवता', ‘गोलज्यू’ ,‘गोरिल' आदि विभिन्न नामों से आराध्य न्याय देवता की लोकगाथा के विविध संस्करण प्रचलित हैं और उनमें इतनी भिन्नता है कि कभी कभी उनमें परस्पर तारतम्य बिठाना भी बहुत कठिन कार्य हो जाता है. because लोकगाथाओं की सामान्य प्रवृत्ति रही है कि विभिन्न क्षेत्रीय मान्यताओं और जनश्रुतियों के आधार पर इनका निरंतर कथाविकास होता रहता है. जागर लगाने वाले क्षेत्रीय जगरियों के द्वारा भी कथा में अपनी तरफ से कुछ नया जोड़ देने के कारण न्याय देवता ग्वेल की कथा के साथ समय समय पर कई अवांतर कथाएं भी जुड़ती गई हैं. मूल कथा को क्षेत्रीय भेद और स्थानीय मान्यताओं के कारण भी कई तरह के मोड़ दे दिए गए हैं. इसलिए यह पता लगाना कठिन है कि न्य...