Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
पैंगोंग झील से कदम पीछे हटाने को मजबूर हुआ चीन

पैंगोंग झील से कदम पीछे हटाने को मजबूर हुआ चीन

समसामयिक
वाई एस बिष्ट, नई दिल्ली रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज राज्यसभा में पूर्वी लद्दाख के मौजूदा हालात की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पैंगोंग झील इलाके में चीन के साथ पीछे हटने को लेकर समझौता हो गया है. पिछले 8 महीने से ज्यादा समय से भारत और चीन की सेनाएं आमने सामने हैं. राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं सदन को यह भी बताना चाहता हूं कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं, साथ ही सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर बुरा असर पड़ता है. कई उच्च स्तरीय संयुक्त बयानों में भी यह जिक्र किया गया है कि एलएसी तथा सीमाओं पर शांति कायम रखना द्विपक्षीय संबंधों के लिए अत्यंत आवश्यक है. पिछले वर्ष मैंने इस सदन क...
गावों में भाईचारे की मिसाल हैं परम्परागत घराट  

गावों में भाईचारे की मिसाल हैं परम्परागत घराट  

साहित्‍य-संस्कृति
 आशिता डोभाल पहाड़ की चक्की, शुद्धता और आपसी भाईचारे की मिसाल कायम करने वाली ये चक्की शायद ही अब कहीं देखने को मिलती होगी, गुजरे जमाने में जीवन जीने का यह because मुख्‍य आधार हुआ करती थी. पहाड़ में मानव सभ्यता के विकास की ये तकनीक सबसे प्राचीन है. यहां की जीवन शैली में इसे आम भाषा में घराट (Gharat) या घट्ट कहा जाता है और हिंदी में पनचक्‍की यानी पानी से चलने वाली चक्की. but ये पूर्ण रूप से हमारे चारों ओर के पर्यावरण के अनुकूल होते थे, इसका निर्माण हमारे बुजुर्गों  ने अपनी सुविधा के अनुसार किया है, जिस जगह पानी की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता रही, वहीं इसका निर्माण किया, खासकर नदी या सदाबहार गाढ़ गदेरे में इसका निर्माण हुआ है. एक समय वह भी था जब हर गांव का अपना एक घराट होता हुआ करता था, चाहे वो किसी एक व्यक्तिगत परिवार so का रहा हो, पूरे गांव के लोग उसी घराट में अपना गेहूं, जौ, मक्...
गाड़ी का धुआं दुनिया में हर पांचवीं मौत का ज़िम्मेदार!

गाड़ी का धुआं दुनिया में हर पांचवीं मौत का ज़िम्मेदार!

पर्यावरण
शोध : हार्वर्ड विश्विद्यालय  निशांत   आप और हम जब अपनी पेट्रोल और डीज़ल की गाड़ी में बैठ आराम से इधर से उधर जाते हैं तब हमारी गाड़ी से निकलने वाले धुआं दुनिया में होने वाली हर पांचवीं मौत का ज़िम्मेदार बन जाता है. बात भारत की करें because तो यहां जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होने वाले PM2.5 वायु प्रदूषण के परिणामस्वरूप हर साल 14 वर्ष से अधिक आयु के 2.5 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है. यह आंकड़ा भारत में 14 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की होने वाली सालाना 8 मिलियन मौतों का  लगभग 30 फ़ीसद है. बांग्लादेश, भारत और दक्षिण कोरिया इस संदर्भ में दुनिया में सबसे खराब उदाहरण हैं. भारत ये हैरान करने वाली बातें हार्वर्ड so यूनिवर्सिटी द्वारा यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम, यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्‍टर और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के सहयोग से किये गये एक ताज़ा शोध में कही गयी है. इस शोध से मिले आंकड़े पूर्व में किये गय...
आंदोलन के नाम पर अराजकता

आंदोलन के नाम पर अराजकता

कविताएं
उमेद सिंह बजेठा गणतंत्र दिवस हमारा पर्व है, सभी धर्मों संप्रदायों का गर्व है. हमने ही जय जवान तथा, जय किसान का नारा दिया. फिर क्यों आज किसान ने, जवान पर तलवार से प्रहार किया. लाल किला राष्ट्रीय स्मारक है, राष्ट्र के गौरव का प्रतीक है. इसकी सुरक्षा व सम्मान प्रत्येक, भारतीय का कर्तव्य पुनीत है. आंदोलन की आड़ में तौहीन, यह कतई बर्दाश्त नहीं. तिरंगे के स्थान पर किसी, अन्य को यह मान प्राप्त नहीं न भाषा मर्यादित है,  न आचरण प्रशंसनीय है. शांति व प्रेम से हल खोजो, टकराव की राह निंदनीय है. इतिहास के पन्ने पढ़कर, तुमने कुछ नहीं सीखा है. बलिदान को उनके भुला दिया, देश को जिन्होंने लहू से सींचा है. मत खेलो उन हाथों में, तोड़ना देश जो चाहते हैं. विफल करो षड्यंत्र सभी, ज्वाला नफ़रत जो फैलाते हैं. मिल बैठकर बातें कर लो, क्रोध विनाश का मूल है. वरना कुछ भी हासिल नहीं होगा, प...
पहाड़ पर बस में बैठने की ख्वाहिश…

पहाड़ पर बस में बैठने की ख्वाहिश…

साहित्‍य-संस्कृति
फकीरा सिंह चौहान ‘स्नेही’ शहरों में बस के विषय में कई बार मैंने अपने पापा से सुना था, कि बस एक घर की तरह होती है. उसमें 40- 50 लोग एक साथ मिलकर बैठते हैं. उसके अंदर खिड़कियां भी होती हैं because जिससे बाहर का नजारा आसानी से देख सकते हैं. नदी के उस पार दूर पहाड़ की धार becauseपर खींची गई एक पतली-सी रेखा जिसे लोग सड़क कहते थे. सड़क पर चलने वाली मोटर मकड़ी की तरह सरकती नजर आती थी . नजर जब भी बुजुर्ग बस या मोटर की बात करते थे, मैं बड़े  उत्सुकता और ध्यान से सुनता था. मुझे नजदीक से सड़क और मोटर देखने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था. अचानक एक दिन गांव के पंच आंगन में मीटिंग का आयोजन हुआ सभी बुजुर्गों ने उस मीटिंग में भाग लिया. मैं भी चुपके से एक दीवार की ओड लेकर आंगन के पीछे ही छुप छुप कर because मीटिंग में होने वाली बातों की चर्चा को सुनने लगा. गांव वाले सड़क के विषय में बात कर रहे थे. गां...
नारी संवेदनाओं का हृदयस्पर्शी स्वर गोपाल बाबू गोस्वामी

नारी संवेदनाओं का हृदयस्पर्शी स्वर गोपाल बाबू गोस्वामी

अल्‍मोड़ा
जन्मदिवस (2 फरवरी ) पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज 2 फरवरी उत्तराखंड सुर सम्राट स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी का जन्म दिवस है. यह जानकर हर्ष हो रहा है कि उनके पुत्र रमेश बाबू गोस्वामी द्वारा चौखुटिया स्थित because चांदीखेत,वैराठेश्वर में गोस्वामी जी की 79वीं जन्म जयंती बडे धूमधाम से मनाई जा रही है. इस अवसर पर विभिन्न स्थानों से लोक कलाकार इस समारोह में उपस्थित हो कर गोस्वामी जी के कलात्मक योगदान को पुनः ताजा करेंगे. इस अवसर पर गोस्वामी परिवार को भजन सम्राट अनूप जलोटा ने बधाई देते हुए एक वीडियो संदेश भेजा है,जिसमें उन्होंने उत्तराखंड के स्वर सम्राट गोपाल बाबू गोस्वामी को याद करते हुए उनके परिवार को कार्यक्रम की शुभकामनाएं दी हैं. प्रत्येक वर्ष दो फरवरी को गोस्वामी परिवार के परिजन स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी का जन्म उत्सव पैतृक गांव चांदीखेत में बड़े धूमधाम से मनाता है. चौखुटिया ...
दुनिया भर में वायु गुणवत्ता को ट्रैक करना हुआ सस्ता!

दुनिया भर में वायु गुणवत्ता को ट्रैक करना हुआ सस्ता!

पर्यावरण
निशांत ताज़ा वैश्विक आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि दुनिया का 90% हिस्सा वायु प्रदूषण के हानिकारक स्तरों से ग्रस्त हैं. और ऐसे में जब भारत सरकार ने because अपने ताज़ा बजट में वायु प्रदूषण से लड़ाई के लिए 2217 करोड़ खर्चने का प्रस्ताव किया है और पुराणी गाड़ियों के निस्तारण के लिए नीति बनाने की बात की है, तब कुछ उम्मीद बंधती है. बचपन लेकिन सिर्फ इतना काफ़ी नहीं. क्योंकि समस्या का स्वरुप बड़ा है. ओपनऐक्यू (OpenAQ), जो कि एक वैश्विक नॉन प्रॉफिट गैर सरकारी संगठन है, ने आज एक नए पायलट प्लेटफॉर्म की घोषणा की है जो c कि कम लागत वाले सेंसर को एकीकृत कर स्थानीय समुदायों में नागरिकों को वायु गुणवत्ता को ट्रैक करने और वायु प्रदूषण से लड़ने में सक्षम बनाएगा. बचपन OpenAQ के आंकड़ों के मुताबिक़ because दुनिया के सबसे बड़े शहरों में हाल ही में हुई एक जांच में पता चला है कि PM2.5 वायु प्रदूषण का...
मैं उस पहाड़ी मुस्लिम स्त्री की हवा से  मुखातिब हो रही हूं…

मैं उस पहाड़ी मुस्लिम स्त्री की हवा से  मुखातिब हो रही हूं…

संस्मरण
दुर्गाभवन स्मृतियों से नीलम पांडेय ‘नील’ जब हम किसी से दूर हों रहे होते हैं, तब हम उसकी कीमत समझने लगते हैं. कुछ ऐसा ही हो रहा है आज भी. कुछ ही पलों के बाद हम हमेशा के लिए यहां से दूर हो जाएंगे. so फिर शायद कभी नहीं मिल पाएंगे इस जगह से. कितना मुश्किल होता है ना, अपना बचपन का घर छोड़ना, तब और मुश्किल होती है, जब हम उसको हमेशा के लिए छोड़ रहे हों. कारण बहुत रहे, मैं कारण पर नहीं जाना चाहती हूं, उसका जिक्र फिर कभी करूंगी. किन्तु आज मन कह रहा है कि- बचपन मुठ्ठी भर अलविदा लेते because जाना गर लौट रहे हो, जीवन की शरहदों because में खामोशी बहुत है रोज आकर  लौटso रही थी, जो हवाएं  मेरे द्वार से मुझे but ही खटखटाकर, देखना किसी रोज गुम  हो because जाएंगी मुझे सुलाकर. मैं सबसे ऊपर वाले खेत के so मुहाने पर बैठकर सोच रही हूं, बचपन मेरे छल जो because मुझे बचपन में लगते रहे हैं और पू...
कब पूरे होंगे गांधी जी के रामराज्य के अधूरे सपने

कब पूरे होंगे गांधी जी के रामराज्य के अधूरे सपने

इतिहास
राष्ट्रपिता की पुण्यतिथि पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज 30 जनवरी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्य तिथि है. इस दिन समूचा देश राष्ट्रपिता को देश की आजादी के लिए उनके द्वारा दिए गए योगदान हेतु अपनी because भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है.राष्ट्रपिता के दिशा निर्देशन में ही भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी गई थी और उस स्वतंत्र भारत का लोकतांत्रिक और गणतांत्रिक स्वरूप कैसा होगा इस पर भी गांधी जी के द्वारा गम्भीरता से विचार विमर्श होता रहा था. गांधी जी के स्वराज का सपना था कि सत्ता लोगों के हाथ में होनी चाहिए न कि चुने हुए कुछ चंद लोगों के हाथ में.10 फरवरी, 1927 को 'यंग इंडिया' में गांधी जी ने लिखा- स्वराज ''सच्चा स्वराज मुट्ठी भर because लोगों के द्वारा सत्ता प्राप्ति से नहीं आएगा बल्कि सत्ता का दुरुपयोग किए जाने की सूरत में उसका प्रतिरोध करने की जनता की सामर्थ्य विकसित होने से आएगा...
कुमाऊंनी महाकाव्य ‘न्यायमूर्ति गोरल’

कुमाऊंनी महाकाव्य ‘न्यायमूर्ति गोरल’

पुस्तक-समीक्षा
डॉ. कीर्तिवल्लभ शक्टा रचित ग्वेल देवता महाकाव्य की समीक्षा डॉ. मोहन चंद तिवारी ग्वेल देवता की लोकगाथा को आधार बनाकर अब तक दुदबोली कुमाऊंनी भाषा के स्थानीय लेखकों के द्वारा अनेक कविताएं, लघुकाव्य, खंडकाव्य, चालीसा तथा महाकाव्य विधा में साहित्यिक रचनाएं लिखी गई हैं और निरंतर रूप से आज भी लिखी जा रही हैं. किन्तु इन सबके बारे में एक व्यवस्थित जानकारी का अभाव-सा है. अब तक गोरिल देवता के सम्बन्ध में जो रचनाएं मेरे संज्ञान में आई हैं, उनमें गोलू देवता पर रचित काव्यों में कविवर जुगल किशोर पेटशाली रचित 'जय बाला गोरिया' और कुमाऊंनी लोक संस्कृति के रंगकर्मी त्रिभुवन गिरी महाराज द्वारा रचित 'गोरिल' महाकाव्य लोकविश्रुत रचनाएं हैं. इनके अलावा केशव दत्त जोशी द्वारा रचित 'ग्वल्ल देवता की जागर', कृष्ण सिंह भाकुनी विरचित 'श्री गोल्ज्यू काथ सौती राग', मथुरा दत्त बेलवाल रचित 'जै उत्तराखंड जै ग्वेल देव...