रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए आयुर्वेद और विज्ञान का अद्भुत संगम!

Vaidya Chandra Prakash

आयुर्वेद के कथित रोग प्रतिरोधक क्षमता के गुण को वैज्ञानिक रूप से समझने और विकसित करने की एक अनुपम पहल

देहरादून. तंदुरुस्त रखने के उपाय तथा बीमारियों को दूर करने के उपाय के सिद्धांतों पर आधारित है आयुर्वेद. इसी प्रकार शरीर के वात, पित्त, कफ दोषों, रस, रक्त, मांस, मेद, मज्जा, शुक्र धातुओं तथा मल, मूत्र, विष्ठा के सामान्य क्रियाओं के साथ समस्त ज्ञानेन्द्रियों, मन और आत्मा की प्रसन्नता की अवस्था में रहने वाले को आयुर्वेद में स्वस्थ की परिभाषा दी गई है. तात्पर्य है कि शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति को बराबरी में रखकर किसी आदमी को स्वस्थ रखा जा सकता है. यह तभी संभव होगा जब शरीर में स्थित कोशिकाएं, ग्रंथियों और विभिन्न अंगों में रोग प्रतिरोधक शक्ति इम्यूनिटी का संचार हो.

कोरोना के विश्व व्यापी संक्रमण के पश्चात वैज्ञानिकों का ध्यान वायरस, बैक्टीरिया को नष्ट करने के साथ-साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के प्रति भी आकर्षित हुआ है. अभी तक वैक्सीन द्वारा ही रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने की बात की जाती है, लेकिन देखने में आया है कि समय के साथ वैक्सीन का असर या तो धीरे-धीरे कम हो रहा है या उनकी जरूरत ज्यादा हो रही है. और उनके दुष्प्रभावों से भी दुनिया अनजान नहीं है.

उपरोक्त परिपेक्ष्य में राजनीतिक सिद्धांतों, परिभाषा और आयुर्वेद में उल्लेखित कुछ वनस्पतियों, खनिजों तथा औषधी योग द्वारा रोग प्रतिरोधक शक्ति का विकास कर कुछ रोगों की रोकथाम और चिकित्सा की जा रही है, जिसे यदा-कदा शोध पत्रों तथा मीडिया के अन्य चैनलों पर प्रकाशित किया जाता रहा है. समय के साथ एक आम धारणा का विकास हो रहा है कि आयुर्वेद द्वारा रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाई जा सकती है. परंतु आधुनिक विज्ञान के रोग प्रतिरोधक क्षमता मापने वाले पैमाने पर ऐसा सुचारू रूप से स्पष्ट नहीं हो पाया है. उत्तराखंड स्थित वैद्य चंद्र प्रकाश कैंसर रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक, प्रख्यात आयुर्वेदिक चिकित्सक और पद्मश्री से सम्मानित वैद्य बालेंदु प्रकाश ने इस क्षेत्र में पहल करते हुए कुछ आयुर्वेदिक औषधियों का चिकित्सकीय एवं प्रायोगिक परीक्षण किया है, जिसमें उक्त औषधि के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले प्रभाव को प्रामाणिक रूप से देखा गया है.

Vaidya Chandra Prakash

देहरादून स्थित यूपीएस ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है तथा आज इसका स्थान देश के दस अग्रणी संस्थानों में है. यूपीएस के स्वास्थ्य एवं विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों के समूह ने वैद्य बालेंदु प्रकाश द्वारा किए गए कार्यों का संज्ञान लेते हुए देश के विभिन्न भागों में कार्यरत चिकित्सकों, वैज्ञानिकों एवं अनुसंधानकर्ताओं के साथ संवाद कर आयुर्वेद के रोग प्रतिरोधक क्षमता गुण को बढ़ाने वाले कार्यों को एकत्रित कर विश्लेषण किया. जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 50 शोध प्रपत्रों में वैज्ञानिकों के समूह ने रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव पाया. उक्त अनुभवों को एक मंच पर साझा करने और विचार-विमर्श कर के सुचारू रूप से विकास की रूपरेखा बनाने के लिए दो दिवसीय गोष्ठी का आयोजन यूपीएस के कंडोली परिसर में किया जा रहा है, जिसमें आधुनिक चिकित्सा के विशेषज्ञों के साथ विज्ञान की विभिन्न विधाओं एवं आयुर्वेद के मूर्धन्य विद्वान एवं शोधार्थी भाग लेने के लिए अपना पंजीकरण करा चुके हैं.

वैद्य बालेंदु प्रकाश ने बताया कि आधुनिक जीवन के आहार एवं जीवनशैली के फल स्वरुप लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में लगातार कमी आ रही है, जिसका एक उदाहरण है बार-बार होने वाला सर्दी, जुकाम और खांसी. उन्नीसवीं शताब्दी में हे फीवर के नाम से यूरोप और अमेरिका में जाना जाने वाला यह रोग आज विश्व की लगभग 22% आबादी को संक्रमित करता है. एलोपैथिक दवाइयां से तुरंत आराम तो मिल जाता है पर रोग को दोबारा होने से रोकने के लिए कोई उपाय नहीं है और लंबे समय तक इन औषधियों को लेने से दुष्प्रभाव भी होने लगते हैं.

सर्दी-खांसी को आधुनिक विज्ञान में रोग प्रतिरोधक क्षमता की प्रतिक्रिया माना गया है. यह देखने में आया है कि आयुर्वेद के चिकित्सा सिद्धांतों से बार-बार होने वाले सर्दी जुकाम को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है और रोग की पुनरावृत्ति में भी उल्लेखनीय कमी आती है. कल से शुरू होने वाली दो दिवसीय गोष्ठी में वैज्ञानिक अपने कार्य को पोस्टर के रूप में पेश कर आईसीएमआर दिल्ली, एम्स दिल्ली, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद यूनिवर्सिटी जोधपुर, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय काशी एवं उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय देहरादून के विशेषज्ञों के द्वारा अवलोकन कर विश्लेषण किया जाएगा. पोस्टरों को तीन श्रेणियां में चुना जाएगा जिनमें प्रथम श्रेणी में 21000 का नकद पुरस्कार तथा प्रशस्ति पत्र, द्वितीय में 11000-11000 के दो नकद पुरस्कार तथा प्रशस्ति पत्र एवं तृतीय में 5000-5000 के तीन नकद पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र दिए जाएंगे.

समारोह में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री तथा सांसद, श्री अजय भट्ट जी, मुख्य अतिथि एवं श्री धन सिंह रावत जी, स्वास्थ्य, शिक्षा और सहकारिता मंत्री, उत्तराखंड सरकार, विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे. समारोह की अध्यक्षता उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक, डॉ दुर्गेश पंत द्वारा  की जाएगी. यूपीएस की तरफ से प्रेसिडेंट डॉक्टर सुनील राय, उपकल्पति डॉ राम शर्मा, स्कूल ऑफ़ हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, यूपीएस की डीन डॉ पद्मा वेंकट, क्लस्टर हेड डॉ ध्रुव कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर फार्मोकोलॉजी डॉ ज्योति उपाध्याय, एवं वीसीपीसीआरएफ से वैद्य शिखा प्रकाश एवं स्नेह सती इस कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

आयुर्वेद के रोग प्रतिरोधक क्षमता को जानने, समझने और आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़कर विकसित करने के लिए यह देश का पहला प्रयास है, जिससे भविष्य में दूरगामी सुखद परिणाम आ सकते हैं.

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