एकजुट राज्य चारधाम हाई पावर कमेटी ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर खुशी जताई
- हिमांतर ब्यूरो
एकजुट राज्य चारधाम हाई पावर कमेटी एवं उत्तराखंड की आम जनता, विशेषकर प्रांत के ग्रामीण निवासी और चारधाम परियोजना सड़क चौड़ीकरण के पर्यावरणीय और सामाजिक सरोकारों को लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के 8 सितम्बर, 2020 के इस विषय में आए निर्णय का स्वागत करते हैं. परियोजना के अन्तर्गत प्रस्तावित सड़क की चौड़ाई रोड ट्रांसपोर्ट
अपने खुद के 5.5 मीटर सड़क के पैमाने को ताक पर रख कर 12मीटर (डबल लेंन पेव शोल्डर) के मानक पर तूल देते हुए जिस तरह अंधाधुन पहाड़ खोद रहे थे, उस पर न्यायलय द्वारा रोक लगाते हुए, MoRTH के खुद के मानक को स्वीकारने का और सही मानक के आधार पर पहाड़ काटने का फैसला बहुत सराहनीय है.ज्ञात
ज्ञात हो कि केंद्र व राज्य सरकार पहाडी मानकों के विपरीत अपने मनमाने तरीके से इस परियोजना के अन्तर्गत सड़क की चौड़ाई 12 मीटर करने पर आमादा थी, जिसके कारण भारी नुकसान हुआ और जगह जगह भूस्खलन की घटनाएं भी बढ़ गईं.
अब तक परियोजना का जितना कार्य अवैज्ञानिक डिजाइन का इस्तेमाल हो चुका है, उसने चारधाम क्षेत्र की घाटियों, जल स्रोतों और वन सम्पदा को काफी हानि पहुंचाई है.आशा
हम सभी आशा करते हैं कि केंद्र सरकार का सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, राज्य सरकार
और इस परियोजना से जुड़े सभी सरकारी विभाग, निजी कंपनियां और लोग सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का पूर्ण रूप से पालन करेंगे. हमारा निवेदन है कि अब तक परियोजना के अन्तर्गत हुए कार्यों में पर्यावरण की जितनी भी हानि हुई है, उसकी भरपाई के लिए हर संभव प्रयास सरकार व ठेकेदारों द्वारा तुरंत किए जाएं.आज
अनेको क्षेत्रों में आज भी बिना अनुमति सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय लेने के बाद भी
जैसे हेलंग -मारवाड़ी रूट पर अनेको वृक्षो को बलि चढ़ा दिया जा रहा है, और सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की जा रही है.वन
पहाड़ी ढलानों व वनों की विनाशकारी ढंग से कटाई व नदियों में हजारों टन मलबा डालने से मार्ग पर कई खतरनाक भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र बन गए हैं.
अब तक परियोजना में 47,000 से अधिक वृक्ष कट चुके हैं व ठेकेदारों का हजारों और वृक्ष चुप चाप काटने की योजना का भी मीडिया की खबरों से पता चल चुका है. हम सभी इस बात पर ज़ोर देते कि सड़क की चौड़ाई को हर जगह 5.5 मीटर तक ही रखने का सख्त पालन तो हो ही, साथ ही नदियों से मलबे को हटाकर सही जगह डालना व नए वृक्ष लगाकर उन्ही क्षेत्रों में हो चुकी हानि की हर संभव भरपाई सरकार व कॉन्ट्रैक्टर सुनिश्चित करें. जहां तक हो सके, अवैज्ञानिक निर्माण, वन कटाई व खुदाई से आस पास के ग्रामीण निवासियों के जीवन व जीवनी की जो हानि हुई है उसकी पूर्ण भरपाई के लिए तुरंत उचित कदम उठाए जाएं.सबसे
सबसे महत्वपूर्ण ये है कि आस्था और विकास के नाम पर सदा मानव जीवन को सुरक्षित व संजोए रखने वाली हिमालय की संपदा व हमारी नदियों की अविरल
धारा का सरकार व समाज के सभी वर्गों द्वारा पूर्ण ध्यान रखा जाए. यदि नहीं हुआ तो विकास की अंधाधुन्द दौड़ हम सभी के लिए विनाशकारी सिद्ध होगी.राज्य
एकजुट राज्य चारधाम हाई पावर कमेटी के सुशील भंडारी-रुद्रप्रयाग, स्वामी संविदानंद-हरिद्वार, नरेंद्र पोखरियाल-पीपलकोटी, जेपी मैठाणी-पीपलकोटी, रमेश पहाड़ी-रुद्रप्रयाग,
केएस राणा-गुप्तकाशी, विजय जड़धारी-टिहरी, भोपाल सिंह चौधरी-श्रीनगर, दीपक रमोला-चिन्यालीसौड़, अतुल सती-जोशीमठ, कमल रतूड़ी-जोशीमठ एवं केसर सिंह पंवार उत्तरकाशी आदि लोगों ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के 8 सितम्बर, 2020 के उक्त विषय में आए निर्णय का स्वागत किया है.