एक होटल, जहां टीवी और म्यूजिक सिस्टम कुछ नहीं चलता!

hotel Kimona Himalayan Paradise

Vijendra Rawat

विजेन्द्र रावत, चकराता से

प्रसिद्ध हिल स्टेशन चकराता से मात्र 6 किलोमीटर दूर टाइगर फाल रोड़ पर आठ एकड़ में फैले सेब के बाग के बीच में पहाड़ी शिल्प से बना एक शानदार होटल नजर आता है, नाम है “किमौना हिमालयन पैराडाइज”।

दर्जन कमरों का यह होटल प्रकृति, जीव जन्तुओं व संस्कृति प्रेमियों की पसंदीदा जगह है, इसलिए 20-25 वर्षों से इनके बड़ी संख्या में नियमित ग्राहक बन गये हैं। इस होटल के शानदार कमरों में न टीवी है और न किसी प्रकार के म्यूजिक सिस्टम।

अंधेरा होते ही होटल की बाहरी लाइटें बंद हो जाती है, मुश्किल से ज़ीरो वाट के अति आवश्यक एक आध वल्व ही टिमटिमाते नजर आते हैं। पूरा होटल अंधेरे में समा जाता है। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र के सैकड़ों जंगली जीव जंतुओं के रहने में किसी तरह की खलल न पड़े।

चकराता का एक इनवायरमेंट फ्रेंडली आलीशान होटल, आठ एकड़ सेब के बाग में स्थित ग्राहकों को मिलती है खुद की उगाई साग सब्जियां और फल, दूध, दही व पनीर भी यहीं का

घने जंगलों के बीच स्थित इस होटल के मालिक दिगम्बर सिंह चौहान “बिट्टू” ने अपने होटल को इनवायरमेंट फ्रेंडली बनाया है। अब इनके ग्राहकों में शांति की खोज में पहाड़ आने वालों की सबसे पसंदीदा जगह बन गई है।

इस घाटी में करीब 72 प्रजाति की पक्षियां विचरण करती है इसलिए यह स्थान पक्षी प्रेमी पर्यटकों की पसंदीदा जगह बन गई है।

बिट्टू बताते हैं, उनके होटल में एक शानदार लाइब्रेरी भी है, रात को हुड़दंग वाली पार्टियों की सख्त मनाही है।

होटल के न कहीं बोर्ड लगे हैं और न किसी तरह की अन्य पब्लिसिटी की गई है, बस, हमारे ग्राहक ही हमारी माउथ टू माउथ पब्लिसिटी करते हैं, जिससे हमारा होटल साल भर चलता है।

रात होते ही बंद हो जाती है लाइटें ताकि आसपास की पक्षियों व जंगली जानवरों की नींद में न पड़े खलल। – इस क्षेत्र में मिलती है पक्षियों की 72 प्रजाति, इसलिए बर्ड वाच के शौकीनों का पसंदीदा आशियां है यहां, होटल के नियम मानने वालों को ही दिए जाते हैं कमरे

हां, होटल रात का भोजन भी दस बजे के बाद सर्व नहीं करता, बिट्टू का कहना है, होटल में काम करने वालों की भी अपनी जिंदगी है, इसलिए उन्हें भी आराम की जरूरत पड़ती है।

अब वे ऐसे ग्राहकों के लिए भी पारिवारिक फोर रूम विद किचन का रिजोर्ट तैयार कर रहे हैं जहां लोग परिवार सहित हफ्तों या महीनों अपने ही घर की तरह रह सकेंगे।

बिट्टू ने अपने गांव बिसोई में भी अपने पुराने घर को होम स्टे में तब्दील कर दिया है।

इसे पहाड़ी शैली के सैकड़ों वर्ष पुराने भवन शैली से बनाया गया है, जिसकी पत्थर की दीवारों को सीमेंट से नहीं बल्कि प्राचीन काल की तरह चने व उड़द की दाल को चूने के साथ मिलाकर मसाले से जोड़ा गया है, जो पुराने किलों की तरह सैकड़ों वर्षों तक मकान  को मजबूती देता है।

वे अब होम स्टे के लिए स्थानीय युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं ताकि वे अपने गांव में स्वरोजगार से जुड़ सके।

इसमें पहाड़ी भवन शैली के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट कृष्ण कुड़ियाल जैसे लोग भी उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं।

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