उत्तराखंड में “पढ़ने लिखने की संस्कृति” को बढ़ावा देने और राज्य के अनछुए पर्यटक स्थलों के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करने के विचार के साथ कुछ रचनात्मक युवाओं ने साल 2022 के अंतिम दिनों में एक अनूठा प्रयोग किया. “किताब कौतिक” के नाम से शुरू किया गया यह प्रयोग अब एक अभियान का रूप ले चुका है. 24 और 25 दिसंबर 2022 को चंपावत जिले के छोटे से कस्बे टनकपुर में “किताब कौतिक” का यह विचार धरातल पर उतरा और पूरे देश में चर्चित हो गया. एक साल के भीतर कुमाऊं के सभी जिलों में “किताब कौतिक” के सात सफल आयोजनों के बाद पुनः दिसंबर 2023 में टनकपुर में ही “आठवां किताब कौतिक” होने जा रहा है.
“किताब कौतिक” अभियान के मुख्य संयोजक हेम पंत ने बताया कि “आओ, दोस्ती करें किताबों से” के आह्वान के साथ यह पुस्तक मेला टनकपुर, बैजनाथ, चम्पावत, पिथौरागढ़, द्वाराहाट, भीमताल और नानकमत्ता जैसी जगहों में आयोजित हो चुका है. पर्यटन और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के बावजूद देश के पर्यटन मानचित्र में उपरोक्त जगहें उचित स्थान नही बना पाई हैं. आयोजन के बाद इन सभी पर्यटन स्थलों की ओर आम जनता की रूचि निसंदेह बड़ी है. सभी “किताब कौतिक” कार्यक्रमों में 3 दिन के दौरान 50 हजार से अधिक किताबों के साथ “साहित्य, शिक्षा, संस्कृति और स्थानीय पर्यटन” पर केंद्रित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं. एक अनुमान है कि अब तक 50 हजार से अधिक बच्चे, युवा और साहित्यप्रेमी “किताब कौतिक” का हिस्सा बन चुके हैं.
देशभर से आए हुए साहित्यकार, सामाजिक चिंतक, कलाकार और प्रकाशकों से स्थानीय लोगों की सीधी बातचीत का मौका मिलता है. इन अनुभवों से उभरते हुए लेखकों को प्रेरणा और उचित मार्गदर्शन मिलता है. रंगकर्मी, खिलाड़ी, वन्यजीव विशेषज्ञ, हस्तशिल्प कलाकार, वैज्ञानिक और प्रसिद्ध लेखक स्कूलों में जाकर छात्र – छात्राओं से बातचीत करते हैं और रूचि के अनुसार कैरियर चुनने के लिए सलाह भी देते हैं.
हर “किताब कौतिक” में लगभग 60 प्रकाशकों की 50 हजार से अधिक किताबें स्टॉल्स में प्रदर्शनी और बिक्री के लिए उपलब्ध होती हैं. दूसरी तरफ मंच पर छोटे बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम और साहित्यिक परिचर्चाएं लगातार चलती हैं. आयोजन स्थल पर ही बच्चों के लिए रंगमंच गतिविधियां, क्विज, ऐपण प्रतियोगिता, पेंटिंग प्रतियोगिता, कविता वाचन आदि भी निर्धारित कार्यक्रमानुसार होते हैं. इस बहुआयामी कार्यक्रम में विश्वसाहित्य, बालसाहित्य, विज्ञान, धार्मिक – आध्यात्मिक और लोकप्रिय साहित्य के साथ साहसिक पर्यटन, हस्तशिल्प कलाकार, विज्ञान कोना और स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल में भी रुचि दिखाते हैं. सायंकालीन सत्र में उतराखंड के परंपरागत लोकगीतों पर स्थानीय और बाहर से आए प्रसिद्ध कलाकार अपनी प्रस्तुति देते हैं. “न्योलि कलम” पुस्तक प्रकाशन के द्वारा किताब कौतिक ने चम्पावत और पिथौरागढ़ जिले के शासकीय स्कूलों के बच्चों की लेखन प्रतिभा को भी आगे बढ़ाया है.
किताब कौतिक में अतिथियों और स्थानीय लोगों के लिए “नेचर वॉक” रखी जाती है. इसमें रामनगर के वन्य विशेषज्ञ राजेश भट्ट जी के नेतृत्व में “बर्ड वाचिंग” करते हुए वहाँ की प्राकृतिक संपन्नता को भी समझते हैं. इस दौरान प्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. बी. एस. कालाकोटी स्थानीय जड़ी बूटियों और परम्परागत चिकित्सा की जानकारी भी देते हैं.
यह आयोजन दूरस्थ इलाकों में ज्ञान की एक नई अलख जगाते हुए विज्ञान, रंगमंच, खगोलशास्त्र, स्थानीय हस्तशिल्प, लोक कलाकारों और स्थानीय उद्यमियों को वृहद मंच प्रदान भी करता है. पहाड़ के प्रति लगाव रखने वाली विभिन्न प्रतिभाएं “किताब कौतिक” से जुड़कर अपनी मातृभूमि की सेवा करने में योगदान दे रही हैं.
ऐसे समय में जब पूरे विश्व में इंटरनेट और गैजैट्स के कारण अख़बार, किताबें और पत्रिकाएँ पढ़ने वाले कम होते जा रहे हैं, “किताब कौतिक अभियान” लेखक, प्रकाशक और पाठकों को बड़े स्तर पर एक मंच पर लाने में सफल हो रहा है. छोटे शहरों में भी “किताब कौतिक” के दौरान जुटने वाली हजारों की भीड़ और किताबों की बिक्री भी आयोजन की सार्थकता को साबित करते हैं.
उम्मीद की जा सकती है कि उत्तराखंड से उपजा यह अनूठा विचार जल्दी ही व्यापक रूप लेगा.