आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकते हैं कर्नल अजय कोठियाल!
- हिमांतर ब्यूरो, उत्तराखंड
बीस साल के उत्तराखंड ने अब तक हमको कई मुख्यमंत्री दिए हैं, जिनमें भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां शामिल हैं. उत्तराखंड की गलियों में यह चर्चा गरम है कि कर्नल
अजय कोठियाल (रिटा.) अब ‘आम’ होने जा रहे हैं. जानकारों सूत्रों के अनुसार कर्नल अजय कोठियाल 11 अप्रैल को खास से ‘आम’ हो जाएंगे. यानी की वह किसी भी समय आम आदमी पार्टी की दामन थाम सकते हैं. सूत्रों की माने तो आम आदमी पार्टी उनको उत्तराखंड में बतौर मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में प्रमोट कर सकती है.लेफ्टिनेंट सैन्य जीवन
कर्नल कोठियाल का जन्म 26 फरवरी 1969 को हुआ. 7 दिसंबर 1992 को सेना में गढ़वाल राइफल्स की चौथी बटालियन में बतौर सेकेंड लेफ्टिनेंट सैन्य जीवन की शुरूआत की.
‘ऑपरेशन कोंगवतन’ के दौरान सात आतंकियों के मार गिराने के लिए ‘कीर्ति चक्र’ से सम्मानित किया गया. यही नहीं उनकी अगुवाई में चले ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान 4 गढ़वाल राइफल्स ने 21 आतंकवादियों को ढेर किया, इनमें से 17 आतंकवादियों को मार गिराने में तत्कालीन मेजर अजय कोठियाल का हाथ था.बीस साल
उत्तराखंड में साल 2013 में आई विनाशकारी हिमालयन सुनामी के बाद शुरू हुए निर्माण कार्यों और खासकर केदारनाथ पुनर्निर्माण की कहानी कर्नल (रिटा.) अजय कोठियाल के जिक्र के
बिना अधूरी है. केदारपुरी जिस दिव्य और भव्य स्वरूप में आज नजर आ रही है, उसका श्रेय कर्नल कोठियाल और उनके निर्देशन में बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में काम करने वाली टीम को जाता है. उत्तराखंड के लगभग हर उस घर में आज कर्नल कोठियाल के नाम का जिक्र होता है, जिसका बेटा भारतीय सेना का हिस्सा है. इसकी वजह है उनका यूथ फाउंडेशन. उत्तराखंड के हजारों युवाओं को यूथ फाउंडेशन ने सेना में जाने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित किया है.कर्नल कोठियाल
कर्नल कोठियाल की प्रेरणा से चल रहा यूथ फाउंडेशन एक मिशन बन चुका है. वह युवक-युवतियों को सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस बलों में जाने के लिए तैयार करते हैं. इतने बड़े
अभियान को वह नि:शुल्क चलाते हैं. नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रिंसिपल रहने के दौरान उनके द्वारा केदारनाथ के पुनर्निर्माण का कार्य कई लोगों के लिए प्रेरणा है. हर चुनौती का सामना शांति और सलीके से करने का हुनर उन्हें दूसरों से अलग बनाता है. चाहे वह सैन्य मोर्चे पर दुश्मनों के कुटिल इरादों को नाकाम करना हो या फिर आपदा पीड़ित उत्तराखंड में राहत और पुनर्वास का काम. उन्हें सेना में बेहतरीन सेवाओं और अदम्य साहस के लिए कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है.