उत्तराखंड के चम्पावत जिले से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह ट्रैक
हाँ, यह सच है, जिंदगी का हर लम्हा
बहुत छोटा-सा है. कितने दिन, महीने और साल निकल गये, पता ही नही चला. जो बात समझ में आई वह यह कि कल की कोई बुनियाद नहीं है और आने वाला कल तो सिर्फ सपनो में ही है. अब बच गये इस पल में और तमन्नाओं से भरी इस जिन्दगी में हम सिर्फ भाग रहे हैं. वो भी अंधाधुन्द, तो दोस्तों रफ़्तार थोड़ी धीमी करो और इस जिन्दगी को जम के जियो.सप्तेश्वर
वो कहते हैं ना कि दिल से सोचो कहाँ जाना है
तो दिमाग खुद-ब-खुद तरकीब निकाल लेगा. पिछले कई समय से सप्तेश्वर ट्रैक का प्लान था लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से इस ट्रैक का प्लान पूरा नहीं हो पाया. अबकी बार मानो मौका और दस्तूर दोनों ही थे. दिन छुट्टी का और मौसम एकदम सुहावना.सुहावना
सप्तेश्वर ट्रैक मार्च 2020 के बाद सुर्ख़ियों में तब आया,
जब किसी ने इसका जिक्र अपने ब्लॉग और यूट्यूब चैनल में किया. इससे पहले इसके बारे में बहुत कम लोग जानते थे. इस ट्रैक की ख़ास बात यह है कि इसमें मंजिल तक पहुचने के लिए आधे से ज्यादा रास्ता आपको खुद ही बनाना पड़ता है. शुरुआत में आधे किलोमीटर तक कच्चा रास्ता है लेकिन उसके बाद बड़े-बड़े पत्थर, पानी और झरनों को कूदते-फांदते ही आगे बढ़ना होता है. हर दूसरे कदम पर एक झरना आपके स्वागत के लिए तैयार रहता है और हर झरना ऐसा कि उसे बार-बार निहारने का मन करे.शुरुआत
आखरी और सबसे बड़े झरने
पर पहुंचने में जो आनंद और रोमांच मिलता है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. आप घंटों वहां बिता सकते हैं. उसके शोर में छुपे संगीत को महसूस कर सकते हैं, जिसकी गिरने वाली हर बूंद, एक नई धुन पैदा कर रही हो. इन सबके साथ एक डर हमेशा बना रहता है कि इतनी खूबसूरत जगह कहीं पिकनिक स्पॉट के आगोश में आकर कचरे में तब्दील ना हो जाय.उत्तराखंड
खैर, अगर आप अपनी जिन्दगी में
एडवेंचर, एक्साइटमेंट और थ्रिल चाहते हैं तो आप इस छोटे से मगर खुबसूरत यादों को सजोने वाले ट्रैक पर जा सकते हैं. यह ट्रैक उत्तराखंड के चम्पावत जिले से 25 किलोमीटर की दूरी पर है. जिसमें लगभग 22 किलोमीटर की दूरी किसी वाहन से और 3 किलोमीटर की दूरी ट्रैक करके तय की जाती है. अकेले ना जाएँ, ग्रुप में जायं क्योंकि ट्रैक का अधिकतर हिस्सा घना जंगल है, जहाँ जंगली जानवरों (बाघ, भालू, सांप आदि) का डर बना रहता है.सप्तेश्वर
(गौरव चम्पावत जिले से हैं एवं ट्रैकिंग
के शौकीन हैं, खासकर पहाड़ों के. इसके साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं)