पहाड़ों के सतत विकास, नेचर टूरिज्म और स्वरोजगार के लिए उत्तराखंड के पहाड़ों की जमीन बचानी होगी

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पहाड़ों के सतत विकास और स्वरोजगार के लिए उत्तराखंड के पहाड़ों की जमीन बचानी होगी ये बात प्रकृति पर्यटन एवं नेचर जागरूकता कार्यक्रम के द्वितीय दिवस में अतर सिंह तोमर पूर्व राज्य मंत्री उत्तराखंड ने कही. श्री तोमर ने पंचम केदार कल्पेश्वर महादेव में नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग और जनदेश संस्था द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही उन्होंने ग्रामीणों का आह्वाहन करते हुए कहा कि, हम सबको   पहाड़ों की जमीन को बचाने के साथ- साथ उस भूमि पर प्रकृति के सतत संरक्षण और वैज्ञानिक दोहन  के रूप में  नियोजन को प्रबंधित करना होगा.

पूर्व राज्य मंत्री अतर सिंह तोमर ने कहा कि प्रकृति को बचाने के लिए युवाओं की मुख्य भूमिका हो सकती है उन्होंने कहा कि पहाड़ों में लोग अपनी भूमि को नहीं बेचना चाहिए आज आवश्यकता है कि जमीन को बचाया जाए बाहर के लोगों की गिद्ध दृष्टि पहाड़ों की भूमि पर लगी है. पूर्व राज्य मंत्री अतर सिंह तोमर एवं टिहरी न्यू प्रेस क्लब के अध्यक्ष शशिभूषण भट्ट  ने प्रशिक्षण के अलग सत्रों में भी  सहभाग किया.

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पूर्व राज्य मंत्री अतर सिंह तोमर ने कहा कि बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीद – फरोख्त की जा रही है इसे रोकने की आवश्यकता है, उन्होंने कहा कि कल्पेश्वर उर्गम मोटर मार्ग को ठीक किया जाना चाहिए करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी सड़क की हालत बहुत खराब है यहां पर यह सड़क ठीक हो जाती है तो कल्पेश्वर महादेव की यात्रा बहुत अच्छी चल सकती है. प्रेस क्लब के अध्यक्ष शशि भूषण भट्ट ने कहा कि युवाओं के द्वारा यदि सही तरीके से नियोजन किया जाता है तो इसके परिणाम काफी लाभदायक हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि ट्रैकिंग में काफी संभावना है इसको बेहतरीन ढंग से विकसित किया जाने की आवश्यकता है. प्रशिक्षण में मुख्य रूप से वन क्षेत्र में आयोजित किए जाने वाले ट्रैकिंग के कार्यों में सरकारी नियमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई.

नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क जोशीमठ के अनुभाग अधिकारी देवचंद ने कहा कि प्रकृति पर्यटन के व्यवसाय में  यदि नियम के अनुसार नहीं चलेंगे तो जुर्माना बहुत अधिक है और इसका कई वर्षों तक कोर्ट कचहरी के बेवजह  चक्कर लगाने  पड़ते हैं उन्होंने कहा कि बिना अनुमति के संरक्षित क्षेत्रों में जाना नियम के विरुद्ध है.

इस अवसर पर उर्गम की पूर्व प्रधान मिन्कल ने कहा कि बेहतरीन ढंग से प्रकृति के आधारित पर्यटन विकास की अपार संभव नहीं घाटी में है इसे विकसित करने की आवश्यकता है. वहीं  देवग्राम के पूर्व प्रधान देवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उर्गम घाटी से 15 से अधिक ट्रैक मार्ग जाते हैं इसमें मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जाए तो क्षेत्र को काफी राजस्व मिल सकता है.

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प्रशिक्षण में आये  प्रतिभागियों ने 16 से अधिक ट्रैक मार्गों की सूची तैयार की और इन मार्गों में प्रकृति प्रेमियों को उस क्षेत्र में दिखाई देने वाले  महत्वपूर्ण स्थानों, फ्लोरा एवं फौना, नदी नालों के जलागम क्षेत्रों के बारे में भी जानकारी इकट्ठा की और उसे चार्ट के माध्यम से प्रस्तुत किया.  इसी के साथ केदारनाथ वन्य जीव और नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत टूर ऑपरेटर की पंजीकरण के नियमों के बारे में भी मुख्य प्रशिक्षक लक्ष्मण सिंह नेगी के द्वारा जानकारी दी गई. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम मे 45 से अधिक लोगों ने प्रतिभाग किया. ग्रामीणों और प्रशिक्षणार्थियों ने बताया कि  क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण ट्रैक ऐसे हैं जो वर्ष भर चल सकते हैं साथ ही कल्पेश्वर की यात्रा भी वर्ष भर चलती है जो पंच केदार का महत्वपूर्ण मंदिर है इसके अलावा पंच बद्री में ध्यान बद्री, बंसी नारायण, फ्यूंला नारायण मंदिर, रुद्रनाथ के ट्रैक बहुत ही सुंदर और रमणीक है जिनका विकास किया जाना चाहिए.

युवाओं ने यहां के स्थानीय खाद्य पदार्थों, फल सब्जियों, मशरूम आदि के होमस्टे में अधिकाधिक उपयोग और प्रचार प्रसार किए जाने पर भी जोड़ दिया, साथ ही यहां की लोक कला, लोक संस्कृति, हश्त शिल्प के प्रचार-प्रसार पर भी जोड़ दिया गया.

इस अवसर पर रघुवीर सिंह चौहान, ट्रैकिंग प्रेमी दीपक चौहान, दिनेश नेगी, कल्पेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष विनोद नेगी, चंदन सिंह राणा, यादवेंद्र सिंह नेगी, अभिजीत प्रकाश, जयदीप, मनोहर सिंह सजवाण, युवराज सिंह, श्रीनंद ममगाईं, राजेंद्र सिंह रावत, पूर्व सरपंच हर्षवर्धन सिंह फ्यूंलानारायण फ्रेंड्स ग्रुप के उजागर सिंह, प्रदीप सिंह पंवार सहित कई लोग उपस्थित थे.

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