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उत्तराखंडः गढ़वाल-कुमाऊं के नाम पर घमासान, चुनौती से कैसे निपटेगी कांग्रेस?
प्रदीप रावत ’रवांल्टा‘
2024 लोकसभा चुनाव सिर पर है। बहुत ज्यादा वक्त नहीं बचा है। एक तरफ INDIA गठबंधन है और दूसरी ओर इस गठबंधन में शामिल हर राजनीति दल का अपना एजेंडा। इनमें सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी कांग्रेस है। जाहिर है कांग्रेस (Congress) का फोकस 2024 के लोकसभा (Loksabha) चुनाव में जीत के लिए प्रत्येक राज्य की हर सीट पर होगा। उत्तराखंड भी उन्हीं राज्यों में से एक है। पार्टी से यहां से काफी उम्मीदें भी है। कांग्रेस की नजर पांचों विधानसभा सीटों पर तो है, लेकिन, उसके लिए पहले पार्टी के भीतर चल रहे संग्राम को जीतना जरूरी होगा।
भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस (Congress) की हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर नजर बनाए हुए है। ऐसे में कांग्रेस को और अधिक सकतर्कता से आगे बढ़ना चाहिए था, लेकिन कांग्रेस, भाजपा को बैठे-बिठाए मुद्दे थमा दे रही है। उसका नतीजा यह है कि जहां कांग्रेस को भाजपा पर हमलावर होना चाहिए था। वहां, भाजपा, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करना माहरा के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। इससे सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस 2024 की जंग को जीत पाएगी?
दरअसल, कांग्रेस (Congress) प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा (Karan Mahra) ने एक बयान दिया था। उस बयान में उन्होंने अंकिता हत्याकांड को लेकर लोगों में जोश जगाने के लिए कुछ ऐसे शब्द कह दिए, जिनको भाजपा ने मुद्दा बना लिया। करन माहरा के इस बयान पर बवाल मचा हुआ है। जहां कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने करना माहरा का समर्थन किया। वहीं, यह भी कहा कि वो थोड़े संयतिम शब्दों का प्रयोग कर सकते थे। पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह (Pritam Singh) समेत पूर्व सीएम हरीश रावत (Harish Rawat) समेत करन माहरा के बयान का बचाव करते नजर आ रहे हैं। वहीं, सोशल मीडिया के जरिए भाजपा नेताओं के पुराने बयानों की एक लंबी फेहरिस्त को पेश कर भाजपा पर पलटवार भी किया जा रहा है। कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और बंशीधर भगत के बयानों के वीडियो को लगातार लोगों के सामने ला रही है।
यहां तक तो सब ठीक था। लेकिन, इससे आगे की कहानी में कुछ ऐसा ट्वीस्ट आया, जिसकी कल्पना कांग्रेस (Congress) ने शायद नहीं की होगी। करन माहरा ने जो बयान दिया, उस बयान पर अब कांग्रेस के भीतर से ही विरोध के सुर उठने लगे हैं। कांग्रेस में गढ़वाल के कुछ नेता सवाल उठा रहे हैं। हालांकि, करन माहरा के माफी मांगने के बाद यह मामला थोड़ा शांत होने लगा था। लेकिन, इस बीच कांग्रेस संगठन ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र शाह (Rajendra Shah) को प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ बयानबाजी करने पर नोटिस भेज कर जवाब तलब कर लिए, जिसके जवाब में वो सोशल मीडिया में खुलकर सामने आ गए।
उन्होंने नाम लिए बगैर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को लेकर यहां तक कह दिया कि गढ़वालियों को लानत देने वाले बताएं कि अंकिता हत्याकांड के बाद कितनी बार वो अंकिता के परिजनों से मिलने पहुंचे। उन्होंने क्या किया? गढ़वाली (Garhwali) तो पहले दिन से ही अंकिता की न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसी ही कुछ अन्य पोस्टें भी सोशल मीडिया में चर्चा में हैं, जिसके चलते कांग्रेस (Congress) का कलह थमने के बजाय लगातार बढ़ता ही जा रही है।
कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गिरीमा माहरा दसौनी (Garima Mahara dasauni) ने राजेंद्र शाह पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि राजेंद्र शाह ने आज तक कांग्रेस में केवल कलह कराने का काम किया है। आज तक जितने भी अध्यक्ष रहे हैं, राजेंद्र शाह ने किसी को सही ढंग से काम नहीं करने दिया। अब तक के सभी अध्यक्षों के कार्यकाल में उनका किसी ने किसी रूप में विवाद रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि राजेंद्र शाह के काले कारनामे भी उनके पास आने शुरू हो जाएंगे, जिसके बाद खुलासा किया जाएगा।
इस पर राजेंद्र शाह (Rajemdra shah) ने कहा कि जो लोग कांग्रेस में आज पदों पर बैठे हैं, वो उस वक्त स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे, जब वो राज्य आंदोलन के लिए जेल जा रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों का अपमान करने वालों पर पार्टी संगठन को कार्रवाई करनी चाहिए। हालांकि, कांग्रेस ने कहीं भी किसी राज्य आंदोलनकारी (Raj Anadolnkari) के बारे में कोई बयान नहीं दिया है। कांग्रेस ने अपने नेता को निशानी पर लिया है। अब देखना होगा कि कांग्रेस इस पूरे मामले को कैसे संभालती है?
इधर, BJP मामले को भुनाने की कोई कसर नहीं छोड़ रही है। भाजपा लगातार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष (Congres State President) के खिलाफ हमलावर है। वहीं, कांग्रेस का अरोप है कि भाजपा का लक्ष्य केवल और केवल गढ़वाल-कुमाऊं के बीच खाई पैदा करना है। कुलमिलाकर देखा जाए तो एक ओर कांग्रेस को अपनी ही पार्टी के भीतर गढ़वाल-कुमाऊं (Grahwal-Kumaun) को लेकर दूरी पैदार करने के प्रयासों को पाटना होगा। वहीं, दूसरी ओर भाजपा के गढ़वाल-कुमाऊं के दांव को भी बेअसर करने के लिए उससे मजबूत दांव चलना होगा।
उत्तराखंडः गढ़वाल-कुमाऊं के नाम पर घमासान, चुनौती से कैसे निपटेगी कांग्रेस?