- हिमांतर ब्यूरो, देहरादून
पेटारै थियेटर समर वैली स्कूल देहरादून में बौंगाण औंनि बौंगाणी समूह द्वारा बौंगाण के प्रथम लेखक श्री सुरेंद्र सिंह रावत ‘सुराह’ की जयंती पर एक महत्वपूर्ण बौंगाणी खुमळी (बैठक) आयोजन किया गया. ज्ञातव्य है बौंगाण मोरी तहसील के अंतर्गत टौंस और पब्बर नदियों के बीच पड़ने वाला इलाका है. यहाँ के लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को बौंगाणी कहते हैं. ये बैठक बौंगाणी भाषा के इतिहास की पहली ऐसी बैठक थी जहाँ इस भाषा के बचाव और उन्नयन का विषय केन्द्र में था और इस बैठक में सिर्फ बौंगाणी लोग ही आमंत्रित थे. बौंगाण औनि बौंगाणी समूह के दो प्रमुख सदस्यों सुनीता मोहन और मंजु रावत ‘राधा’ द्वारा आये हुए लोगों के स्वागत संबोधन से बैठक की शुरुआत की.
“बौंगाण औनि बौंगाणी” समूह द्वारा गत एक वर्ष से बौंगाणी भाषा का जन शब्दकोष तैयार किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत प्रत्येक दिन बौंगाणी भाषा का एक शब्द बौंगाण औनि बौंगाणी नाम के फेसबुक पेज पर अपलोड किया जाता है. बौंगाणी जन शब्दकोश जनता की भागीदारी से तैयार किये जाने वाले शब्दकोष की अवधारणा पर आधारित है. इस अवधारणा की शुरुआत समूह के साथी शुबा द्वारा की गयी है.
इस विषय पर अपने सम्बोधन में बौंगाणी भाषा के इस संपूर्ण कार्यक्रम की रूप रेखा और साज-सज्जा में मुख्य भूमिका निभाने वाले मोहन चौहान ने कहा कि किसी भी भाषा में प्रयोग किये जाने वाले प्रत्येक शब्द के प्रचलन में आने की एक लम्बी प्रक्रिया होती है, लोगों द्वारा तैयार किये जाने वाला यह जन शब्दकोश बौंगाणी भाषा को बचाए रखने की दिशा में एक प्रयास है.
इस उपलक्ष्य पर बौंगाण औनि बौंगाणी समूह द्वारा बौंगाणी भाषा की त्रैमासिक पत्रिका ‘इज़ाज़’ का लोकार्पण किया गया. पत्रिका के सम्पादक आर. पी.विशाल ने कहा कि, यह पत्रिका बंगाणी भाषा के साथ ही उसके व्याकरण पक्ष को लिखित रूप प्रदान करेगी.
इज़ाज़ पत्रिका के प्रवेशांक का डिज़ाइन शशि मोहन रावत ने किया है. साज सज्जा का जिम्मा संभालने वाले सुरक्षा रावत ने इसी विषय पर अपनी बात रखी.
इस अवसर पर मंजु रावत ‘राधा’ और सुनीता मोहन के अलावा दिल्ली से आये जाने-माने रंगकर्मी डॉ. सुवर्ण रावत ने इज़ाज़ के प्रवेशांक में प्रकाशित अपनी रचनाओं के अंश पढ़कर सुनाये. बौंगणियों द्वारा अपनी लिखित रचनाओं का पाठ करना श्रोताओं के लिए एक अद्भुत अनुभव रहा.
कार्यक्रम के संचालक शुबा ने कहा कि, आज हम ऑनलाइन संपर्क का महत्व समझ चुके हैं. समूह का उद्देश्य विलुप्ति की कगार पर खड़ी बंगाणी भाषा के विस्तार और संरक्षण हेतु कार्य करना व भाषा के प्रति लोगों को जागरूक करना है, जिसके लिए हम आधुनिक माध्यमों को उपयोग कर रहे हैं जिसमें सोशल मीडिया शामिल है. बैठक में एक बंगाणी युट्यूब चैनल शुरू करने की भी घोषणा की गयी.
इस अवसर पर बैठक की सहयोगी ‘सुराह सम्मान समिति’ द्वारा बौंगाण के लेखक श्री बलबीर सिंह रावत को उनकी किताब ‘बंगाण- समाज भाषा एवं लोक साहित्य’ के लिए सुराह सम्मान वर्ष 2022 से सम्मानित किया गया. ज्ञातव्य है कि बौंगाण क्षेत्र के बारे किसी भी किस्म की जानकारी देने वाली यह पहली पुस्तक है .समिति के अध्यक्ष सुरेश रावत ने कहा कि स्वर्गीय श्री सुरेंद्र सिंह रावत बौंगाणी भाषा के गीतों व अन्य लेखों के ज़रिए समाज के उत्थान व बदलाव के लिए जीवन पर्यन्त नशा एवं बलि-प्रथा के विरोध में संघर्षरत रहे, उनके द्वारा लिखी गयी आराध्य देव महासू की आरती वर्ष 1972 में प्रकाशित हुई थी. स्वर्गीय सुरेंद्र सिंह रावत बौंगाणी भाषा के प्रथम लेखक हैं, जिनकी स्मृति में समिति प्रत्येक वर्ष बंगाणी भाषा, समाज एवं संस्कृति के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों हेतु किसी व्यक्ति अथवा संस्था को सुराह सम्मान से पुरस्कृत करेगी.
श्री बलबीर सिंह रावत ने इस सम्मान के लिए समिति का आभार व्यक्त किया व कहा कि, वह बौंगाणी भाषा के संरक्षण के लिए अपने स्तर पर निरन्तर प्रयासरत हैं. इस अवसर पर प्रेम दत्त नौटियाल द्वारा स्वरचित कविता का पाठ किया.
पेटारै थियेटर में हुई इस बैठक में सुराह सम्मान समिति के सदस्य डॉ. सुवर्ण रावत, सुमन रावत, सुधा रानी, महेश रावत, डॉ. अनिल रावत, डॉ. पवन रावत, माया और किरन रावत उपस्थित थे.
बैठक में, डॉ0 किशोर सिंह चौहान, देवेन्द्र चौहान, डॉ0 पवन रावत, सुरेश रावत, डॉ0 चंदन सिंह रावत आदि ने अपने विचार व्यक्त किये. बैठक दर्शन चौहान, सुरेश रावत, चैन सिंह रावत, शकुन्तला, बीना, हर्षा रावत, जबर सिंह चौहान, दयाल सिंह चौहान, चित्रा रावत, दीना रमोला, चन्दर सिंह, विनोद फांटा, चन्द्रकान्ता, जगमोहन सिंह रावत, कला रावत, बैजयन्ती असवाल, आशा रावत, कृतिका रावत, कल्पना पंवार, सुधांशु रावत, उर्मिला, निखिल आदि बौंगाणी भाषा प्रेमी पेटारै थियेटर में अच्छी संख्या में उपस्थित थे.