पूर्णता एवं तथ्यात्मकता के साथ देवलांग की विशेषताओं से परिचय करवाता दिनेश रावत का यह गीत
शशि मोहन रवांल्टा
सीमांत जनपद उपर साहित्यकार दिनेश रावत द्वारा लिखित गीत अब तक का सबसे पूर्णता एवं तथ्यात्मकता गीत है. रवांई घाटी के सुप्रसिद्ध देवलांग उत्सव की विशेषताओं को दर्शाता यह गीत रामनवमी के अवसर पर लॉन्च किया गया.
गीत साहित्यकार दिनेश रावत ने लिखा, जिसे रवांई घाटी सुप्रसिद्ध गायिका रेश्मा शाह ने आवाज दी और राजीव नेगी ने संगीतबद्ध किया है. गाने को इस तरह से पिरोया गया है कि उसमें देवलांग के आयोजन को आसानी से समझा जा सकता है. देवलांग पर लिखे गए इस गीत को हारूल शैली में गाया व संगीतबद्ध किया गया है.हरताली
गीत में देवलांग की तैयारियों से लेकर देवलांग के खड़े होने और वहां से आखिर ओल्ला को मड़केश्वर महादेव तक ले जाने की पूरी जानकारी दी गई है. देवलांग के आयोजन में एक—एक गाँव की हिस्सेदारी का स्पष्ट उल्लेख इस दिनेश रावत द्वारा लिखे इस गीत के माध्यम से लोगों को देवलांग के सम्बंध में आसानी से जानकारी प्राप्त होगी है. रवांई घाटी के इस बड़े पर्व देवलांग को देखने के लिए केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुंचते हैं.
गीत में किया गया है. देवलांग को लेकर लोगों में किस तरह से उत्साह रहता है, उसे भी बेहद शानदार तरीके से गाने में शामिल किया गया. इतिहास व लोक मान्यता और परम्पराओं को ध्यान में रखते हुएहरताली
उल्लेखनीय है कि देवलांग पर इससे पूर्व भी बहुत से गाने सामने आ चुके हैं लेकिन जिस पूर्णता एवं तथ्यात्मकता के साथ दिनेश रावत ने इस गीत के माध्यम से देवलांग की विशेषताओं को उल्लेखित किया है यह उनके गहन अध्ययन व
परिश्रम का परिणाम है. इसलिए गीत सुनने में ही कर्ण प्रिय ही नहीं बल्कि देवलांग पर पूरी जानकारी लिए हुए है, इसलिए इसे एक एतिहासिक दस्तावेज भी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. गीत को जीवंत बनाने के लिए देवलांग के दिन ही गैर गांव में शूटिंग की गई. कुल मिलाकर दिनेश रावत के परिश्रम से निकला यह गीत लम्बें समय तक लोगों के बीच बना रहेगा और गीत के माध्यम से रवांई के प्रमुख एवं प्रसिद्ध लोकोत्सव देवलांग की पूरी जानकारी लोगों तक पहुंचती रहेगी.हरताली
अब तक प्रकाशित हो चुकीं हैं छ: पुस्तकें
हरताली
गीत के रचनाकार दिनेश रावत कई वर्षों से लेखन में रवाँई के देवालय एवं देवगाथाएं‘, ‘रवांई क्षेत्र के लोक देवता एवं लोकोत्सव’ उनकी अब तक प्रकाशित कुल छ: पुस्तकों में से वह हैं, जो रवांई पर ही केन्द्रित हैं.
सक्रिय हैं. वह अपनी लेखनी के माध्यम से समूचे रवांई क्षेत्र की सामाजिक—सांस्कृतिक विशेषताओं को विभिन्न पत्र—पत्रिकाओं एवं आकाशवाणी वार्ता के माध्यम से पाठकों तक पहुँचाते रहे हैं. ‘हरताली
पेशे से शिक्षक दिनेश रावत लेखन ही नहीं बल्कि शिक्षण—अधिगम
के क्षेत्र में भी पूरी तरह सक्रिय हैं. बच्चों की कल्पनाशक्ति, रचनात्मकता एवं भाषाई कौशलों को विकसित करने के लिए वे विद्यालय स्तर पर भी कुछ न कुछ नवाचार करते रहते हैं. उनकी इसी सक्रियता के चलते उन्हें गत शिक्षक दिवस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी द्वारा ‘टीचर्स आफ दी इयर’ के सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.हरताली
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं
महावीर रवांल्टा : ‘सुंदर! सार्थक और
सराहनीय! आज की सबसे बड़ी जरूरत विश्वसनीय सामग्री की प्रस्तुति है जो इतिहास व संस्कृति के संरक्षण में मील का पत्थर बने. मेरी ओर से आपको हार्दिक बधाई. सुपरिचित गायिका रेशमा शाह,संगीतकार, निर्माता, निर्देशक व स्थानीय जन भी इसके लिए बधाई के पात्र हैं.हरताली
मनोज इष्टवाल : शानदार! पूरा गीत
सुना..ऐसे ही गीतों का जन्म होना भी चाहिए जिसमें पूरी गाथा समाहित हो.हरताली
जय प्रकाश पंवार : बहुत सुंदर
एतिहासिक गीत, वैसा ही सुंदर दृश्यांकन! बहुत—बहुत बधाई रावत जी.हरताली
अशिता डोभाल : रवांई घाटी की
समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं से देश—दुनिया को किताबों और कविताओं के माध्यम से पहुंचाने बाले बड़े भैजी दिनेश रावत जी अब गीतों के माध्यम से भी यहां के लोकरंगों को लोगों तक पहुंचाने की मुहिम भी शुरू कर चुके हैं. शानदार भैजी आपने एक नया अध्याय शुरू कर दिया है. आप पर राजा रघुनाथ की कृपा बनी रहे.हरताली
प्रेम पंचोली : वाह! सुंदर!
पैनी कलम से लिखे शब्दों को सुरीली भौण. शुभकामनाएं..हरताली
सोहन प्रसाद गैरोला : रावत जी आपका
बहुत—बहुत धन्यवाद जिन्होंने अपने अथक प्रयास व लगन से आज हमारी दिव्य संस्कृति को उजागर किया है. बहुत ही अच्छा लगा. आपने सभी बिंदुओं पर प्रकाश डाला है.हरताली
(लेखक पाञ्चजन्य एवं Organiser पत्रिका में आर्ट डायरेक्टर हैं)